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मंगलवार को गुजरात में राज्यसभा चुनावों में एक सीट को लेकर बड़ी उठापटक हुई. लेकिन आखिर में अहमद पटेल राज्यसभा सीट जीतने में कामयाब रहे. 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा में एक सदस्य को चुनाव जीतने के लिए 44 वोटों की जरूरत थी.कई लोगों के मन में सवाल उठता है कि ये आंकड़ा कैसे निकाला जाता है? यहां हम आपको राज्यसभा से संबंधित 5 फैक्ट्स बताएंगे.
1) राज्यसभा संसद का उच्च सदन है. इसकी सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 हो सकती है. फिलहाल ये संख्या 245 है. राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव सीधे जनता के द्वारा न होकर विधान सभा के सदस्यों द्वारा होता है. हर राज्य के लिए राज्यसभा सदस्यों की संख्या फिक्स की गई है. इनमें सबसे ज्यादा संख्या उत्तरप्रदेश (31) है. यह संख्या इनकी जनसंख्या के हिसाब से तय की गई है.
2) राज्यसभा कभी भंग नहीं होती. मतलब ये एक स्थायी सदन है. इसके एक तिहाई सदस्य हर दो साल में रिटायर हो जाते हैं. इसके 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करता है. ये सदस्य कला, साहित्य, खेल या संगीत क्षेत्र के प्रतिभावान और नामी गिरामी लोग होते हैं.
(कुल वोटर्स/कुल सीटें+1)
उदाहरण : गुजरात- गुजरात में कुल विधायक-182, 6 की सदस्यता रद्द हुई. बचे 176.
(176/03+1) = (176/4) = 44
मतलब एक सदस्य को चुनाव जीतने के लिए 44 (राउंड ऑफ लेफ्ट) की जरूरत थी.
बीजेपी के 121 विधायक तो वो दो सीटें आराम से जीत सकती थी 90 वोटों में.
4) अगर किसी भी कैंडिडेट को इतने वोट नहीं मिलते तो वोटर्स की सेकंड च्वॉइस को गिना जाता है. उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन( एक्स ऑफिसियो) चेयरपर्सन होता है. मतलब जो भी उपराष्ट्रपति बनेगा, वो पद ग्रहण करते हुए ऑटोमेटिकली राज्यसभा का सभापति हो जाएगा.
5) ज्यादातर मामलों में राज्यसभा की शक्ति लोकसभा से कम होती है. लेकिन लोक सेवाओं के सृजन, राज्य सूची के मामलों में राज्यसभा की ताकत ज्यादा है. इसके अलावा संविधान संशोधन में राज्यसभा की ताकत लोकसभा के बराबर होती है.
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Published: 09 Aug 2017,07:36 AM IST