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कर्नाटक में सीएम एचडी कुमारस्वामी की सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया है. फ्लोर टेस्ट के दौरान कुमारस्वामी के पक्ष में 117 विधायकों के वोट पड़े. शुक्रवार को सदन में वोटिंग से पहले विपक्ष के नेता बीएस येदियुरप्पा ने भाषण के बाद बीजेपी के सदस्य सदन से बाहर चले गए.
बीजेपी की गैर मौजूदगी में सदन में जेडी(एस)-कांग्रेस गठबंधन को विश्वास मत निर्विरोध हासिल हो गया. इसी के साथ दस दिन से चली आ रही राजनीतिक ड्रामेबाजी खत्म हो गई. 15 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद लगातार राजनीतिक दांव-पेंच का दौर जारी है.
कुमारस्वामी ने बुधवार को कर्नाटक में विपक्ष के दिग्गज नेताओं की गैर मौजूदगी में सीएम पद की शपथ ली थी. शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी की विरोधी पार्टियों के नेताओं का खासा जमावड़ा लगा था. कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में जेडी(एस) और कांग्रेस ने गठजोड़ कर सत्ता की दौड़ में बीजेपी को मात दे दी थी.
एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार में कांग्रेस के 22 मंत्री होंगे और जेडी(एस) के 12. सदन में कांग्रेस के 78 विधायक हैं और जेडी(एस) के 37. अभी बेंगलुरू में दो सीटों पर चुनाव होने हैं. साथ ही उस सीट पर भी चुनाव होगा जिसे कुमारस्वामी खाली करेंगे. कुमारस्वामी दो सीटों से चुनाव ल़ड़े थे.
छह बार कांग्रेस से विधायक रह चुके रमेश कुमार को सर्वसम्मति से विधानसभा स्पीकर चुन लिया गया. बीजेपी नॉमिनी सुरेश कुमार के इस रेस के हट जाने के बाद रमेश कुमार को चुना गया.
कर्नाटक चुनाव के नतीजे आने के बाद बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा ने सबसे बड़ी पार्टी के तर्ज पर राज्यपाल के सामने अपनी सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया था. वहीं कांग्रेस-जेडीएस ने भी मिलकर पर्याप्त सीटे होने की तर्ज पर सरकार बनाने का दावा कर दिया था.
दोनों तरफ से दावा पेश किए जाने के बाद राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी नेता येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया. इसके बाद कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट चली गई और आधी रात में सुनवाई हुई. अगले दिन सुबह येदियुरप्पा ने कर्नाटक मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. इसके पर सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा से शनिवार को शाम 4 बजे तक बहुमत साबित करने के लिए कहा. तीसरे दिन शनिवार को फ्लोर टेस्ट से पहले ही येदियुरप्पा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
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Published: 25 May 2018,05:53 PM IST