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नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 पर बोलते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दो ऐसा बयान दिए, जो भारत के खिलाफ पाकिस्तान के केस को अनजाने में मजबूत करते हैं.
विपक्षी सांसदों की आलोचना के जवाब में अमित शाह ने कहा, "पाकिस्तान में मुसलमानों का उत्पीड़न नहीं होता है". नागरिकता (संशोधन) विधेयक में मुसलमानों को छोड़कर सभी अफगान, बांग्लादेशी और पाकिस्तानी शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है.
यह टिप्पणी कुछ मायनों में इस्लामाबाद को बलूच, शियाओं और अहमदियों पर किये गए जुल्म को क्लीन चीट देती है. पाकिस्तान पर इन वर्गों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया जाता है, और ये लोग भी मुस्लिम हैं.
उदाहरण के लिए, सितंबर 2016 में, संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि अजीत कुमार ने कहा, "यह एक देश (पाकिस्तान) है, जिसने बलूचिस्तान सहित अपने ही नागरिकों के मानव अधिकारों का उल्लंघन किया है".
शाह का ये कहना कि "पाकिस्तान में मुसलमानों को सताया नहीं जाता है" . बलूचिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत के दावों को कमजोर करता है.
2016 में स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के उत्पीड़ित मुस्लिम अल्पसंख्यकों के बारे में कहा था ," बलूचिस्तान के लोगों, गिलगिट के लोगों, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोगों ने मुझे इस तरह से धन्यवाद दिया है, उन जगहों से जिनसे मैं कभी नहीं मिला और कभी मिलने का मौका भी नहीं मिला, उन्होंने भारत के लोगों को शुभकामनाएं भेजी हैं. हमें धन्यवाद दिया."
लेकिन अब जब अमित शाह ने कह दिया है कि पाकिस्तान में मुसलमानों पर कोई जुल्म नहीं होता तो ये समझ से परे है कि भारत पाकिस्तान में बलूच और पीओके के लोगों पर जुल्म के दावों पर क्या कहेगा?
अमित शाह ने ये भी कहा कि “हम इस विधेयक पर चर्चा क्यों कर रहे हैं? हम इस पर चर्चा कर रहे हैं क्योंकि कांग्रेस ने 1947 में भारत का विभाजन किया था.”
अमित शाह का ये बयान एकतरफा है. ये कुछ मायनों में विभाजन के लिए मुहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग के साथ-साथ अंग्रेजों की भूमिका को नजरअंदाज करता है. यह सावरकर जैसे अतिवादियों की भूमिका की भी अनदेखी करता है, वही सावरकर जो 1920 के दशक में टू नेशन थ्योरी लेकर आए थे.
अमित शाह के बयान पर इतिहासकार श्रीनाथ राघवन ने लोहिया का एक बयान याद दिलाया है -
श्रीनाथ के मुताबिक लोहिया ने कहा था कि - इसमें कोई शक नहीं कि जो लोग इस वक्त अखंड भारत के नारे लगा रहे हैं , यानी कि संघ के लोग, उन्होंने भारत के विभाजन में अंग्रेजों और मुस्लिम लीग की मदद की है.
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Published: 09 Dec 2019,05:13 PM IST