मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कांग्रेस को इंदौर में भी झटका, उम्मीदवार ने क्यों वापस लिया नामांकन? अब BJP में शामिल

कांग्रेस को इंदौर में भी झटका, उम्मीदवार ने क्यों वापस लिया नामांकन? अब BJP में शामिल

बीजेपी प्रवक्ता हितेश बाजपेयी ने दावा किया कि अक्षय कांति बम ''लूट, शोषण और वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के असहयोग से नाखुश थे.''

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>सूरत के बाद कांग्रेस को एक और झटका, इंदौर उम्मीदवार नामांकन वापस लेकर BJP में शामिल</p></div>
i

सूरत के बाद कांग्रेस को एक और झटका, इंदौर उम्मीदवार नामांकन वापस लेकर BJP में शामिल

(फोटो: X)

advertisement

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में कांग्रेस (Congress) को एक और झटका लगा है. सूरत (Surat) में बीजेपी के निर्विरोध जीत के बाद इंदौर (Indore) कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम (Akshay Kanti Bam) ने सोमवार, 29 अप्रैल को अपना नॉमिनेशन वापस ले लिया है. बता दें कि इंदौर में चौथे चरण में 13 मई को वोटिंग होनी है.

मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस खबर की घोषणा करते हुए लिखा, इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार अक्षय कांति बम जी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी में स्वागत है."

9 प्रत्याशियों ने लिए नाम वापस

इंदौर लोकसभा सीट से 23 प्रत्याशियों में से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम सहित 9 प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस ले लिया है. अब इंदौर लोकसभा सीट पर बीजेपी के शंकर लालवानी समेत 14 उम्मीदवार मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के चुनाव नहीं लड़ने से यहां बीजेपी की जीत की संभावना और बढ़ गई है.

कांग्रेस प्रत्याशी ने क्यों वापस लिया नामांकन?

बीजेपी प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, "कांग्रेस उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस ले लिया है. यह कांग्रेस नेतृत्व की विफलता है. यह उनकी नीतियों की विफलता है. उनकी वोट बैंक की राजनीति, विरासत की राजनीति... उलटी पड़ गई है. कांग्रेस कार्यकर्ता पहले ही जा रहे थे और अब नेता भी शामिल हो गए हैं."

बीजेपी प्रवक्ता हितेश बाजपेयी ने दावा किया कि बम ''लूट, शोषण और वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के असहयोग से नाखुश थे.''

इसके साथ ही उन्होंने दावा करते हुए कहा, "(टिकट के लिए) लाखों रुपये की मांग और कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं को इंदौर नहीं आने देना उनकी नाराजगी का कारण बना. अक्षय बम पैसे के बदले टिकट बेचने की प्रथा से भी परेशान थे.”

वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा, "अक्षय कांति बम पर तीन दिन पहले एक पुराने मामले में 307 की धारा बढ़वाई गई. डराया गया. धमकाया गया. रातभर यातना दी गई. अलग-अलग प्रकार की. आज उसको साथ ले जाकर फॉर्म वापस निकलवा लिया गया."

हालांकि बीजेपी प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने इसे "सस्ते बहाने" करार देते हुए कहा, “पूरे भारत में दस लाख नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है, और अकेले मध्य प्रदेश में लगभग 5 लाख नेता हैं. क्या आप उन सभी पर दबाव डाल सकते हैं? कांग्रेस नेतृत्व नीतिगत पंगुता से गुजर रहा है और नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं क्योंकि उन्हें मोदी की गारंटी पर विश्वास है.''

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

वहीं मध्य प्रदेश की राजनीति को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश सोलंकी ने कहा, "बम के नामांकन वापस लेने की सबसे बड़ी वजह है कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा उन्हें नजरअंदाज करना. न तो बम के नामांकन के दौरान पार्टी का कोई बड़ा नेता उनके साथ था और न ही चुनाव प्रचार के दौरान. इंदौर सीट पर वो अकेले पड़ गए थे. इन सब बातों से ही बम नाराज थे."

बम रविवार रात तक इंदौर में चुनाव प्रचार कर रहे थे और सोमवार सुबह 7 बजे उन्होंने कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं से बात भी की थी. बाद में दिन में उनकी और विजयवर्गीय की एक तस्वीर वायरल हुईं, जिसके बाद कांग्रेस नेता उनके घर पहुंचे, जहां पुलिसबल तैनात था और बम की कोई खोज-खबर नहीं थी.

नामांकन वापस लेने वालों में निर्दलीय प्रत्याशी धर्मेंद्र सिंह झाला का भी नाम

नामांकन वापस लेने वालों की लिस्ट में पूर्व वायुसैनिक और निर्दलीय प्रत्याशी धर्मेंद्र सिंह झाला का भी नाम शामिल है. हालांकि, झाला का कहना है कि उन्होंने अपना नामांकन वापस नहीं लिया है. न ही उन्होंने कहीं साइन किया और न ही साइन करने के लिए किसी को अधिकृत किया है.

झाला ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट कर धांधली का आरोप लगाते हुए कहा, "कोई सिग्नेचर करना था, वो मेरा सिग्नेचर नहीं है. पता नहीं किस हिसाब से मेरा नामांकन पत्र वापस लिया गया है."

कांग्रेस ने बीजेपी पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाते हुए अपने आधिकारिक X अकाउंट पर लिखा, "देश में चुनाव नहीं होने देना बीजेपी की मंशा है, देश में तानाशाही चरम पर है."

वहीं एक और निर्दलीय प्रत्याशी दिलीप ठक्कर ने भी नामांकन वापसी को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने भी यही आरोप लगाए कि जब उन्होंने नामांकन वापस ही नहीं लिया तो फिर नामांकन किस आधार पर वापस हुआ. किसके हस्ताक्षर से इसे वापस करवाया गया है.

नॉमिनेशन वापस लेने वालों में नीलाधर चौहान, सुनील अहिरवार, नासिर खान, भावना संगेलिया, जयदेव परमार और विजय इंगले का नाम शामिल है.

अक्षय बम के खिलाफ कितने मामले?

46 वर्षीय अक्षय बम का जन्म सामाजिक कार्यकर्ताओं के परिवार में हुआ था और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा इंदौर के डेली कॉलेज से की है. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से एलएलबी कोर्स करने के लिए इंदौर लौटने से पहले उन्होंने 1998 में मुंबई के सिडेनहैम कॉलेज से बी.कॉम कोर्स किया और साथ ही कार्मिक प्रशासन में एमबीए किया. बम ने अंततः 2022 में पिलानी में श्रीधर विश्वविद्यालय से मैनेजमेंट में पीएचडी पूरी की.

2019 में उन्हें राज्य में कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा आइकन ऑफ एमपी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. वह इंदौर में कानून और प्रबंधन कॉलेज भी चलाते हैं.

चुनाव आयोग को सौंपे अपने हलफनामे में बम ने बताया है कि उनके खिलाफ तीन मामले लंबित हैं. दो मामले जमीन विवाद से जुड़े हैं और एक मामला लापरवाही से गाड़ी चलाने से जुड़ा.

अक्षय बम के खिलाफ पहली FIR 2007 में दर्ज की गई थी. बम और उनके परिवार के सदस्यों ने यूनुस खान नामक व्यक्ति की जमीन खरीदी थी और बाद में उनके बीच भूमि विवाद हुआ, जिसके बाद मामला दर्ज किया गया था. दूसरी FIR 2018 में लापरवाही से गाड़ी चलाने से संबंधित अपराध में 2018 में दर्ज की गई थी. वहीं तीसरा केस जमीन विवाद में 2022 में निजी शिकायत पर दर्ज किया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 24 अप्रैल को जिस दिन बम ने अपना नामांकन दाखिल किया, उसी दिन जिला अदालत ने जमीन विवाद के एक मामले में उनके और उनके पिता कांतिलाल के खिलाफ IPC की धारा 307 (हत्या का प्रयास) जोड़ दी. बता दें कि इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर 10 साल की जेल की सजा का प्रावधान है. इस मामले में बम और उनके पिता को 10 मई को अदालत में पेश होने के लिए बुलाया गया है.

कांग्रेस के पास अब क्या विकल्प?

अब बड़ा सवाल है कि प्रत्याशी के नामांकन वापसी के बाद कांग्रेस के पास अब क्या विकल्प है? कांग्रेस खजुराहो सीट की तरह ही इंदौर में भी निर्दलीय या छोटे दल के प्रत्याशी का समर्थन कर सकती है. इस पूरे घटनाक्रम के बीच प्रदेश नेतृत्व एक्टिव हो गया है.

बता दें कि खजुराहो लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी से इंडिया गठबंधन की उम्मीदवार मीरा यादव का नामांकन रद्द हो गया था. तब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के उम्मीदवार आरबी प्रजापति को बीजेपी प्रत्याशी वीडी शर्मा के खिलाफ समर्थन दिया था. बता दें कि खजुराहो में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को वोटिंग हुई है.

सूरत में बिना चुनाव लड़े हारी कांग्रेस

इससे पहले कांग्रेस को गुजरात में झटका लगा था. सूरत में कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभानी का नामांकन फॉर्म चुनाव आयोग ने उनकी उम्मीदवारी का प्रस्ताव करने वाले लोगों के हस्ताक्षरों में गड़बड़ी पाये जाने के बाद रद्द कर दिया था. वहीं सूरत में कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवार सुरेश पडसाला का नामांकन फॉर्म भी इसी आधार पर अमान्य घोषित कर दिया गया था. जिसके बाद बीजेपी प्रत्याशी मुकेश दलाल को निर्विरोध चुन लिया गया.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT