Home News Politics अभी चुनाव हुए तो UPA को फायदा, NDA को झटका, सर्वे की 10 बड़ी बातें
अभी चुनाव हुए तो UPA को फायदा, NDA को झटका, सर्वे की 10 बड़ी बातें
एबीपी के सर्वे के दौरान 19 राज्यों में 700 जगहों की 175 विधानसभा सीटों पर जाकर 15859 लोगों की राय ली गई.
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अभी चुनाव हुए तो UPA को फायदा, NDA को झटका
(फोटो: Reuters / altered by Quint Hindi
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नरेंद्र मोदी सरकार के 4 साल पूरे होने जा रहे हैं. ऐसे में जनता का मूड जानने के लिए एबीपी न्यूज चैनल ने सीएसडीएस के साथ मिलकर सर्वे कराया है. इस सर्वे के मुताबिक, अगर अभी चुनाव हुए, तो एनडीए गठबंधन की ही सरकार बनने का अनुमान है, लेकिन बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
सर्वे के मुताबिक, लोकसभा की कुल 543 सीटों पर एनडीए को 274 सीट, यूपीए को 164 सीट और दूसरी पार्टियों को 105 सीटें हासिल हो सकती है. ऐसे में 2014 के मुकाबले एनडीए को 49 सीटों का नुकसान हो सकता है, वहीं यूपीए को 104 सीट के फायदे का अनुमान है.
सर्वे का दावा है कि इस सर्वे के दौरान 19 राज्यों में 700 जगहों की 175 विधानसभा सीटों पर जाकर 15,859 लोगों की राय ली गई. जानते हैं सर्वे की 10 बड़ी बातों को:
कुल 543 सीटों पर एनडीए को 274 सीट, कांग्रेस को 164 सीट और दूसरी पार्टियों को 105 सीटें हासिल हो सकती हैं. वोट शेयर के लिहाज से एनडीए को 37%, यूपीए को 31% और अन्य को 32% वोट शेयर का अनुमान है. 2014 में एनडीए को 36%, यूपीए को 25% और अन्य को 39% वोट मिला था.
सर्वे के मुताबिक, पीएम मोदी की लोकप्रियता में थोड़ी गिरावट आई है. राहुल गांधी की लोकप्रियता बढ़ी है. 2014 में मोदी 36 फीसदी लोगों की पसंद थे, अब 34 फीसदी लोगों के पसंद हैं. 2014 में राहुल 16 फीसदी लोगों की पसंद थे, अब 24 फीसदी लोगों की पसंद हैं.
यूपी में एनडीए का वोट शेयर 2014 के मुकाबले 8 फीसदी घट सकता है. एनडीए को 35 फीसदी, यूपीए को 12 फीसदी और दूसरे के हाथ में 53 फीसदी वोट शेयर आने का अनुमान है. एसपी-बीएसपी गठबंधन अगर एक साथ चुनाव लड़ते हैं, तो उनके हिस्से सबसे ज्यादा 46 फीसदी वोट शेयर आने का अनुमान है.
सर्वे के मुताबिक, मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी पर भी खतरा मंडरा सकता है. बीजेपी का वोट शेयर 34 फीसदी और कांग्रेस का 49 फीसदी रह सकता है. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 45 फीसदी था, कांग्रेस का 36 फीसदी था. इस हिसाब से बीजेपी को 11 फीसदी का नुकसान और कांग्रेस को 13 फीसदी का फायदा हो सकता है.
यही हाल राजस्थान में दिख रहा है, राजस्थान में बीजेपी को 39 फीसदी वोट शेयर हासिल हो सकता है. 2013 में ये आंकड़ा 45 फीसदी था. कांग्रेस 44 फीसदी वोट शेयर के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है. 2013 में पार्टी का वोट शेयर 33 फीसदी था.
सर्वे के अनुमानों के मुताबिक, अगर अभी चुनाव हों, तो बिहार में एनडीए गठबंधन को बड़ा फायदा होगा. एनडीए को 2014 के मुकाबले 8 फीसदी के फायदे के साथ 60 फीसदी, यूपीए को 34 फीसदी, दूसरों को 6 फीसदी वोट शेयर हासिल हो सकता है. आरजेडी को 5 फीसदी के वोट शेयर का नुकसान हो सकता है.
पश्चिम बंगाल में अनुमानों के मुताबिक, टीएमसी का जादू बरकरार रहेगा. पिछले चुनाव के 39 फीसदी वोट शेयर के मुकाबले पार्टी को 44 फीसदी वोट शेयर हासिल हो सकता है. एनडीए को भी यहां फायदा मिल सकता है. एनडीए के खाते में 24% वोट आ सकते हैं, 2017 में ये 14 फीसदी था.
गुजरात में एनडीए के वोट शेयर में थोड़े नुकसान का अनुमान है. एनडीए को 2014 के 59 फीसदी के मुकाबले 54 फीसदी वोट शेयर हासिल हो सकता है. वहीं यूपीए को 2014 के 33 फीसदी के मुकाबले अब 42 फीसदी वोट मिल सकता है.
महाराष्ट्र में भी एनडीए को कुछ नुकसान का अनुमान है और कांग्रेस को फायदा मिलता दिख रहा है. महाराष्ट्र में अभी चुनाव हों, तो एनडीए को 48 फीसदी, यूपीए को 40 फीसदी और अन्य को 12 फीसदी वोट शेयर मिल सकता है.
अगर दक्षिण भारत के राज्यों की बात करें, तो वहां के जिन 6 राज्यों की 132 लोकसभा सीटों पर ये सर्वे कराया गया है, वहां एनडीए को थोड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. यूपीए को यहां भारी फायदा मिल सकता है. 2014 में यूपीए को इन 6 राज्यों में 21 सीटें हासिल हुई थीं, जो बढ़कर 65 से 45 हो सकती हैं. वहीं बीजेपी को 2014 में 23 सीटें हासिल हुई थीं, जो 18-22 सीट तक सिमट सकती है.
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पीएम मोदी और बीजेपी के बारे में क्या कहता है CSDS सर्वे
सर्वे के मुताबिक,
देश में ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा है जो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार की वापसी नहीं चाहते.
सर्वे में शामिल, हर 5 में से 2 से भी कम (39%) लोग ही मोदी सरकार की वापसी चाहते हैं, बाकियों ने अपनी राय नहीं दी. NDA के लिए ये आंकड़े उतने ही निराशाजनक हैं जितने 2014 लोकसभा चुनाव से करीब 9 महीने पहले कराए गए सर्वे में UPA के लिए थे.
2013 में 39 फीसदी लोग ही UPA को चांस देना चाहते थे, 30 फीसदी लोगों ने अपनी राय जाहिर नहीं की थी
अल्पसंख्यक समुदाय में मोदी सरकार के खिलाफ काफी नाराजगी है. मुस्लिम समुदाय के करीब तीन चौथाई, ईसाई समुदाय के करीब 3/5 और सिख समुदाय के आधे से ज्यादा लोग मोदी सरकार को 2019 में सत्ता में देखना पसंद नहीं करते हैं.
मोदी सरकार के लिए हिंदू समुदाय के वोटर बंटे हुए नजर आए. सर्वे में शामिल 44 फीसदी लोग मोदी सरकार के साथ हैं और 42 फीसदी लोग पसंद नहीं करते हैं.
हिंदू समुदाय में दलित और आदिवासी समुदाय का बड़ा हिस्सा सरकार का विरोध करता नजर आया. 55 फीसदी दलित और 43 फीसदी आदिवासी मोदी सरकार के विरोध में नजर आए.
लोकनीति-CSDS ने जब पिछले साल मई में ये सर्वे कराया था, तब 39 फीसदी वोटर बीजेपी के समर्थन में नजर आए थे. मई से जनवरी 2018 के बीच इस समर्थन में 5 फीसदी की गिरावट दिखी और अब फरवरी से मई के बीच और 2 फीसदी की गिरावट दिख रही है.