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लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में पार्टी अध्यक्ष पद को लेकर चल रही उठापटक का जिक्र करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा है कि संसद किसी सियासी पार्टी के संविधान से नहीं चलती. बिड़ला ने कहा कि किसी भी संसदीय दल के नेता को चुनने के लिए प्रक्रिया का पालन करना होता है और ये पार्टी का अपना फैसला होता है. अगर एक पार्टी पूरी प्रक्रिया का पालन करती है और संसदीय दल का नेता, साथ ही चीफ व्हीफ लेटर पेश करते हैं तो फैसला तय समझा जाता है.
ओम बिड़ला ने कहा कि पशुपति पारस का LJP संसदीय दल का नेता चुना जाना उचित था क्योंकि 5 लोकसभा सदस्यों के हस्ताक्षर थे और चीफ व्हीफ का लेटर भी था.
जब ओम बिड़ला से इस मामले में पुनर्विचार के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ''चिराग पासवान ने एक पत्र सौंपकर दावा किया कि वो राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. उन्होंने अपनी पार्टी के संविधान के बारे में जिक्र किया है. मैं साफ कर दूं कि संसद किसी पार्टी के संविधान के आधार पर पर नहीं चलती."
एलजेपी सांसद चिराग पासवान ने कहा था कि उनका मानना है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पार्टी के संविधान के बारे में जानकारी नहीं थी इसलिए उन्होंने पशुपति कुमार पारस को संसदीय दल का नेता घोषित कर दिया.
वहीं चिराग पासवान का तर्क है कि चुनाव अवैध था क्योंकि ये एलजेपी के ऐसे सदस्यों द्वारा किया गया था जिन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. पासवान कह रहे हैं कि, "एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा किया जाता है, जिसमें लगभग 75 सदस्य होते हैं. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में केवल 9 सदस्य मौजूद थे. निलंबित सदस्यों ने मेरे चाचा को अध्यक्ष चुना है, जो कि अवैध है."
कुल मिलाकर अभी दो धड़े में बंटी पार्टी में पशुपति पारस का पलड़ा भारी दिख रहा है. वहीं चिराग पासवान भी लंबी लड़ाई के लिए तैयार दिख रहे हैं.
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Published: 18 Jun 2021,10:59 PM IST