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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी पर इतिहास बदलने का आरोप लगाया है. शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित इंडियन वुमेन प्रेस कॉर्प्स में पहुंचे कमलनाथ ने कहा, 'नागरिकता कानून के जरिए बीजेपी एक डिजाइन के तहत इतिहास को बदलने की कोशिश कर रही है.
कमलनाथ ने कहा, “CAA एक ऐसी प्रक्रिया बताया ‘जो विभाजन का बीज बोती है.”
कमलनाथ उन गैर-बीजेपी मुख्यमंत्रियों की एक लंबी लिस्ट में शामिल हो गए, जिन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है.
हालांकि कमलनाथ सीएए के विरोध में पंजाब के अमरिंदर सिंह जितने सख्त नहीं दिखे, लेकिन उनके विरोध से साफ हुआ कि संशोधित अधिनियम का विरोध करने वाले मुख्यमंत्रियों की लिस्ट लगातार बढ़ती जा रही है और इसके देशभर में अमल पर सवालिया निशान लग गया है.
संशोधित विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद कानून बन चुका है. लेकिन, इस पर देशव्यापी स्तर पर सवाल उठाए जा रहे हैं. कई मुख्यमंत्रियों ने इसे असंवैधानिक बताया है.
पंजाब के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह इस मामले पर अपने रुख को साफ करने वाले पहले व्यक्तियों में से हैं. उन्होंने गुरुवार को कहा कि उनकी सरकार राज्य में कानून को लागू नहीं होने देगी.
सीपीआई(एम) नेता और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने गुरुवार को कहा था कि वह राज्य में इस अधिनियम को लागू नहीं होने देंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े आलोचकों में से एक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह साफ किया है कि वह अधिनियम को अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगी. इससे पहले उन्होंने कहा था कि एनआरसी को पश्चिम बंगाल में अनुमति नहीं दी जाएगी.
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन ट्वीट कर नागरिकता संशोधन विधेयक पर अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने अपनी पार्टी के रुख के खिलाफ जाते हुए ट्वीट किया, "बहुमत से संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया. न्यायपालिका के अलावा अब 16 गैर बीजेपी मुख्यमंत्रियों पर भारत की आत्मा को बचाने की जिम्मेदारी है, क्योंकि ये ऐसे राज्य हैं, जहां इसे लागू करना है"
उन्होंने आगे लिखा, "तीन मुख्यमंत्रियों (पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल) ने सीएबी और एनआरसी को नकार दिया है और अब दूसरे राज्यों को अपना रुख स्पष्ट करने का समय आ गया है."
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