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18 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. मंगलवार को पार्टी छोड़ने से पहले सिंधिया ने पहले गृह मंत्री अमित शाह के साथ पीएम मोदी से मुलाकात की. सिंधिया के इस फैसले पर अब कांग्रेस की तरफ से हमला बोला जा रहा है, कांग्रेस के नेता उन्हें गद्दार से लेकर सत्ता का लालची तक कह रहे हैं. हालांकि सिंधिया के इस फैसले के बाद कांग्रेस ये मान रही है मध्य प्रदेश में उनकी सरकार गिर जाएगी.
ज्योतिरादित्या सिंधिया के इस्तीफे के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा-
बता दें कि ज्योतिरादित्य ने अमित शाह और सिंधिया दोनों प्रधानमंत्री मोदी से मिलने उनके आवास पर पहुंचे. तीनों के बीच करीब आधा घंटा तक मुलाकात चली, जिसके बाद सिंधिया ने अपना इस्तीफा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा. हालांकि इस बीच पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देकर कांग्रेस ने तत्काल प्रभाव से ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी से बाहर कर दिया.
अधीर रंजन चौधरी ने आगे कहा,
उन्होंने आगे कहा, “कांग्रेस पार्टी ने उनको राज्यसभा में MP बनने के लिए टिकट दी फिर भी उनको ये रास नहीं आता क्योंकि मोदी जी उनको कह दिए कि तुम्हें हम मंत्री पद देंगे. सिंधिया देख रहे हैं कि मंत्री पद इससे ज्यादा मुनाफे का होगा."
वहीं कांग्रेस के सीनियर लीडर दिग्विजय सिंह ने बिना सिंधिया का नाम लिए कहा कि हमारे पास सबूत हैं कि तीन चार्टर्ड विमान (जो कथित तौर पर कांग्रेस के विधायकों को बेंगलुरु ले गए थे) की व्यवस्था बीजेपी ने की थी. यह मध्य प्रदेश के लोगों के जनादेश को उलटने की साजिश का हिस्सा है क्योंकि कमलनाथ जी ने माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की है.
वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सिंधिया के बचाव में नजर आए. उन्होंने कहा, "जब तक सिधिंया कांग्रेस में थे तो महाराजा थे, अब क्या माफिया हो गए?" दूसरी ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के साथ ही 19 कांग्रेस विधायकों ने भी अपना इस्तीफा दे दिया है. इसमें मध्य प्रदेश के 6 राज्य मंत्री भी शामिल हैं जो फिलहाल बेंगलुरु रिसॉर्ट में हैं.
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