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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) और बीजेपी नेता व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की सियासी अदावत का रंग और गहरा होने वाला है। दोनों ही नेताओं की एक-दूसरे के प्रभाव वाले क्षेत्रों पर है और वे वहां शिकस्त देकर अपनी ताकत का एहसास कराना चाहते हैं।
ग्वालियर-चंबल मध्य प्रदेश का वह इलाका है जहां कांग्रेस की कमान दिग्विजय सिंह के हाथ में रही है, तो वहीं अब बीजेपी में यही कमाल ज्योतिरादित्य सिंधिया संभालने की तैयारी में हैं। यह बात अलग है कि इस इलाके से बीजेपी के केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्य सरकार में मंत्री नरोत्तम मिश्रा के अलावा जय भान सिंह पवैया जैसे कई नेता आते हैं।
सिंधिया राजघराने का प्रभाव ग्वालियर-चंबल के लगभग हर इलाके में रहा है तो वहीं दिग्विजय सिंह के परिवार की राजनीतिक जमीन गुना और राजगढ़ जिलों में है। दिग्विजय और सिंधिया दोनों ही राज्यसभा में सदस्य हैं जबकि दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह चाचौड़ा और उनके बेटे जयवर्धन सिंह राघोगढ़ से विधायक हैं। तो सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया शिवपुरी से बीजेपी विधायक हैं।
दिग्विजय सिंह की लगातार ग्वालियर-चंबल इलाके में सक्रियता बढ़ी हुई है और वे सिंधिया को उनके ही घर में कमजोर करने की तैयारी में लगे हुए हैं। पुराने ऐसे नेताओं को भी जोड़ने में लगे हैं जो कभी सिंधिया के साथ थे मगर अभी भी कांग्रेस में है। इतना ही नहीं बीजेपी के असंतुष्ट नेताओं को कांग्रेस में लाने की पूर्व मुख्यमंत्री की कोशिश चल रही है।
एक तरफ जहां दिग्विजय सिंह की सक्रियता बढ़ी है तो दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी राजगढ़ और गुना के उन क्षेत्रों में अपनी जमीन पुख्ता करने की कोशिश तेज कर दी है जहां से गहरा नाता है दिग्विजय सिंह का। केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने चाचौड़ा और राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्रों की कई बीजेपी नेताओं के साथ मुलाकात की। इस मुलाकात में सीधे तौर पर नेताओं और कार्यकतार्ओं को इन क्षेत्रों सक्रियता बढ़ाने के निर्देश दिए। सिंधिया चाचौड़ा और राघोगढ़ में दिग्विजय सिंह का प्रभाव कम करने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाह रहे हैं।
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