advertisement
मध्यप्रदेश की सियासत में नेताओं के बयानों के जरिए 'हेमा मालिनी के गाल और चील-कौवे' तक की एंट्री हो गई है. नेताओं के बयान तमाम सीमाएं लांघ चले हैं, और वे एक-दूसरे पर हमला करने के लिए उन शब्दों का भी चयन करने से नहीं हिचक रहे, जो आमतौर पर सार्वजनिक तौर पर बोलने से समाज के सभ्य लोग कतराते हैं.
पिछले कुछ दिनों में राजनेताओं के लीक से हटकर बयान आए हैं और उन्होंने एक-दूसरे पर हमला करने में किसी भी तरह की मुरब्बत नहीं की है. यह बयान चर्चाओं में तो हैं ही साथ में राजनेताओं के बिगड़ते बोल उन पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं.
राजनेताओं के विवादित बयानों पर गौर करें तो झाबुआ उप-चुनाव को नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भारत-पाकिस्तान के प्रतिनिधियों के बीच का चुनाव बता दिया. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार भानु भूरिया का समर्थन करते हुए कहा, यह चुनाव दो दलों के बीच नहीं है, यह भारत और पाकिस्तान के बीच का चुनाव है, भानु भाई हिंदुस्तान का प्रतिनिधित्व करते हैं और कांतिलाल भूरिया पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व करते हैं. कांग्रेस उम्मीदवार का दल ऐसे लोगों का समर्थन करता है जो पाकिस्तान की प्रोत्साहित करते हैं.
बीजेपी के नेता के बयान के बाद राज्य सरकार के दो मंत्रियों जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा और लेाक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के अटपटे बयान आ गए. निकले तो थे सड़कों के गड्ढे देखने, मगर उनकी तुलना बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय के गालों से कर डाली तो सड़कों को हेमा मालिनी के गालों जैसा चका-चक करने का दावा भी ठोंक दिया. इस दौरान शर्मा ने कहा,
वहीं लोकनिर्माण मंत्री वर्मा ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री चौहान सड़कों को हेमा मालिनी के गालों जैसा बनाने निकले थे, लेकिन यह सड़कें तो विजयवर्गीय के गालों जैसी हो गई हैं.'
राज्य में तबादलों के चल रहे दौर के बीच पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का हमलावर तल्ख बयान आया. उन्होंने कहा, "एक मंत्री कहता है कि ट्रांसफर के रेट इतने हैं तो दूसरा कहता है कि इतने नहीं, इतने हैं. अरे कम से कम ट्रांसफर के रेट तो बैठकर तय कर लो इकट्ठे."
उन्होंने कहा, "यह इतिहास की भ्रष्टतम सरकार है. प्रदेश को चील और कौवों की तरह नोंच-नोंच कर खा रहे हैं. ये क्या मंत्री रहने लायक लोग हैं."
राजनेताओं के इन बयानों से इस बात तो साफ हो चली है कि आने वाले दिनों में यह दौर थमने वाला नहीं है. हां, यह कहां जाकर ठहरेगा, इसका अंदाजा लगाना भी आसान नहीं है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined