advertisement
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस चुनाव से पहले अपनी महाजनादेश यात्रा पर हैं. होम टर्फ विदर्भ से शुरू हुई फडणवीस की यात्रा के फोकस में महाराष्ट्र का ग्रामीण इलाका ज्यादा है. इशारा साफ है कि बीजेपी की रणनीति थोड़ी बदली है, जो पार्टी हमेशा से शहरी क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस रखती है, उस पार्टी के सीएम को ग्रामीण इलाकों में जोर लगाना पड़ रहा है. ऐसे में दिख रहा है कि सीएम फडणवीस इस चुनावी यात्रा के जरिए कुछ बदलने की कवायद में हैं.
4 हजार किमी लंबी यात्रा में फडणवीस करीबन 150 विधानसभा के मतदाताओं तक पहुंचेंगे. बीजेपी इस बात को अच्छी तरह जानती है कि फड़णवीस की क्लीन इमेज उन्हें महाराष्ट्र के इस विधानसभा चुनाव में जरूर बढ़त दिलाने में कामयाब रहेगी. लेकिन वहीं सीएम की इस यात्रा के जरिए बीजेपी की कमजोर कड़ी ग्रामीण इलाकों के मतदाताओं के मन में जगह बनाने का भी ये अच्छा मौका है जब विपक्ष के हौसले पस्त हैं.
यात्रा के प्लान को ध्यान से देखने के बाद पता चलता है कि सीएम जिले में या तो रात में रुक रहे हैं या सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा हैं, लेकिन उनकी यात्रा या उसमें होने वाली सभा सभी तहसील लेवल पर ज्यादा हो रही है.
यात्रा के दौरान सीएम फड़णवीस के गांव में होने वाले भाषणों में बीजेपी के अगले टर्म का एजेंडा साफ दिखता है. महाराष्ट्र में सूखा हर साल की बात हो गई है. लंबे समय से अटके मराठा आरक्षण जैसे जटिल मुद्दा सुलझाने वाले सीएम, सूखे की समस्या को बीती बात बनाना चाहते हैं.
विदर्भ, मराठावाडा और पश्चिम महाराष्ट्र के कई जिले पिछले कई सालों से सूखे की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. पानी की कमी की वजह से किसानों की फसल बर्बाद होना, किसान आत्महत्या, ये सबसे बड़ी समस्या है. बीजेपी इस बात को समझती है कि अगर सूखे की समस्या को वो खत्म करने में कामयाब रही तो महाराष्ट्र में बीजेपी को अपनी पकड़ और पहचान दोनों बदलने में बड़ी कामयाबी हासिल होगी.
चुनावी यात्रा निकालने वाले फड़णवीस महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री हैं. इससे पहले सत्तारूढ़ किसी भी नेता ने इस तरह की यात्रा नहीं की है. हालांकि, विपक्ष के कई नेता महाराष्ट्र में इस तरह की यात्रा कर सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का काम चुनाव से पहले कर चुके है.
गोपीनाथ मुंडे की संघर्ष यात्रा उन्हें महाराष्ट्र में एक जन नेता के तौर पर पहचान दिलाने में बड़ी अहम भूमिका निभाई थी. मुंडे दो बार महाराष्ट्र में यात्रा निकाल चुके हैं. देवेंद्र फड़णवीस सीएम के तौर पर अपने 5 साल पूरे करने वाले 1972 के बाद महाराष्ट्र के पहले सीएम होंगे. सीएम के तौर पर उनका काम भले ही अच्छा रहा हो लेकिन फड़णवीस की छवि अब भी जन नेता की नहीं बन सकी है और इसलिए वो इस यात्रा के जरिए जननेता वाली छवि बनाने की कोशिश में हैं.
फड़णवीस की यात्रा की शुरुआत अमरावती के मोझरी से हुई. फड़णवीस का दूसरा पड़ाव था आर्वी और फिर पुलगांव. तीनों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है जो ये साफ बताता है कि यात्रा में सबसे ज्यादा लक्ष्य उन विधानसभाओं पर रहेगा जहां बीजेपी कमजोर है.
विदर्भ की 62 सीटों में से 2014 में बीजेपी ने 44 सीटें जीती थी. पार्टी 2019 के विधानसभा चुनाव में अपने पिछले प्रदर्शन से बेहतर करना चाहती है.
बीजेपी सीएम फड़णवीस की ये यात्रा शिवसेना-बीजेपी के गठबंधन का भी टेस्ट है. सीएम खुद ये देखना चाहते हैं कि लोगों का उन्हें किस तरह का समर्थन मिल रहा है. कार्यकर्ताओं के अलावा सीएम की सभा में क्या आम जनता भी कनेक्ट होती दिख रही है? इन सभी चीजों का भी बारीकी से ध्यान दिया जा रहा है.
ऐसे में कोशिश है कि ये देखा जाए और आकलन किया जाए कि बीजेपी को अकेले दम पर कितना समर्थन मिल रहा है या चुनाव में ये समर्थन कितना कारगर साबित हो सकता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined