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महाराष्ट्र: दिलीप वलसे पाटिल बने प्रोटेम स्पीकर, फ्लोर टेस्ट कल

शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की अपील के बाद बदला गया प्रोटेम स्पीकर

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एनसीपी नेता दिलीप वलसे पाटिल प्रोटेम स्पीकर के तौर पर नियुक्त किए गए
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एनसीपी नेता दिलीप वलसे पाटिल प्रोटेम स्पीकर के तौर पर नियुक्त किए गए
(फोटो: फेसबुक)

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महाराष्ट्र में राज्यपाल ने एनसीपी नेता दिलीप वलसे पाटिल को नए प्रोटेम स्पीकर के तौर पर नियुक्त कर दिया है. इससे पहले राज्यपाल ने बीजेपी विधायक कालिदास एन. कोलंबकर को प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ दिलाई थी. लेकिन शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार की अपील के बाद राज्यपाल ने एनसीपी नेता को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त कर दिया.

महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार बहुमत साबित करने के लिए 30 नवंबर को फ्लोर टेस्ट से गुजर सकती है. इस फ्लोर टेस्ट के लिए एनसीपी विधायक दिलीप वलसे पाटिल को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया है. बहुमत साबित करने के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल का विस्तार होगा.

प्रोटेम स्पीकर का काम सदस्यों को शपथ दिलाना होता है, जबकि फ्लोर टेस्ट स्पीकर के सामने होता है. मगर कुछ परिस्थितियों में कोर्ट के आदेश पर प्रोटेम स्पीकर के सामने भी फ्लोर टेस्ट होता है. ऐसा पहले भी होता आया है. नियम-कायदे कहते हैं कि सदन के सबसे वरिष्ठ विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना चाहिए.

प्रो-टेम स्पीकर होता क्या है?

प्रो-टेम लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अंग्रेजी में मतलब है- For the Time Being या आसान हिंदी में कहें तो- ‘फिलहाल’.

प्रो-टेम स्पीकर परमानेंट यानी स्थायी स्पीकर की नियुक्ति तक ही विधानसभा की कार्यवाही का संचालन करता है. यानी महाराष्ट्र विधानसभा में विधायकों की शपथ और फ्लोर टेस्ट प्रोटेम स्पीकर एनसीपी नेता दिलीप वलसे पाटिल की निगरानी में होना है.

बता दें, बीजेपी और शिवसेना ने गठबंधन के तहत यह चुनाव लड़ा था. हालांकि, चुनाव के नतीजों के बाद शिवसेना ने बीजेपी से सत्ता साझेदारी के 50-50 फॉर्मूले के तहत मुख्यमंत्री पद की मांग की. शिवसेना की इस मांग को बीजेपी ने खारिज कर दिया, जिसके बाद दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया. इसके बाद शिवसेना ने अपनी प्रतिद्वंदी पार्टी एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली.

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