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महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर खींचतान जारी है. सहयोगी शिवसेना की नाराजगी के बाद बीजेपी ने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने में असमर्थता जाहिर कर दी है. इसके बाद राज्यपाल ने अब राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने के लिए न्योता दिया है. यानी कि अब बीजेपी ने गेंद शिवसेना के पाले में फेक दी है.
शिवसेना लगातार ये दावा कर रही है कि उसके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्याबल मौजूद है. शिवसेना कई बार संकेत दे चुकी है कि उसे सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन मिल सकता है. लेकिन एनसीपी ने साफ कह दिया है कि जब तक शिवसेना बीजेपी के साथ संबंध पूरी तरह खत्म करने का ऐलान नहीं करती, तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है.
महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी के सरकार बनाने से पीछे हटने के बाद अब राज्य की जनता के सामने सीमित विकल्प बचे हैं.
1. शिवसेना-एनसीपी गठबंधन और कांग्रेस बाहर से समर्थन
शिवसेना दावा कर रही है कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी नंबर हैं. शिवसेना कई बार संकेत दे चुकी है कि उसे एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन मिल सकता है. उधर, एनसीपी समर्थन देने के लिए तैयार दिख रही है, लेकिन उसने शिवसेना के सामने तीन बड़ी शर्तें रख दी हैं.
वहीं कांग्रेस हिंदुत्व के मुद्दे पर मुखर शिवसेना के साथ सरकार में शामिल होकर अपने लिए मुश्किलें खड़ी नहीं करना चाहिए. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अगर शिवसेना और एनसीपी सरकार बनाने पर राजी होते हैं तो कांग्रेस उन्हें बाहर से समर्थन दे सकती है. कांग्रेस के कुछ नेता पहले ही शिवसेना-एनसीपी सरकार को बाहर से समर्थन देने का संकेत दे चुके हैं.
2. बीजेपी और एनसीपी
बीजेपी भले ही पर्याप्त संख्या न होने की वजह से सरकार बनाने से पीछे हट गई हो, लेकिन कुछ लोग इस बात की संभावना भी जता रहे हैं कि जरूरत पड़ने पर बीजेपी और एनसीपी भी मिलकर सरकार बना सकते हैं.
हालांकि, इस विकल्प की संभावनाएं सबसे कम हैं. क्योंकि अब तक बीजेपी और एनसीपी के बीच इस पर कोई बातचीत नहीं हुई है.
3. राष्ट्रपति शासन
अगर सरकार बनाने पर राजनीतिक दलों के बीच सहमति नहीं बन पाती है तो उस स्थिति में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है. हालांकि, अब तक सभी दल यही कहते रहे हैं कि वे राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के समर्थन में नहीं हैं.
कांग्रेस और एनसीपी खुले तौर पर कह चुकी हैं कि वह राज्य राष्ट्रपति शासन लागू होने के पक्ष में नहीं है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने शिवसेना के सामने समर्थन के बदले तीन शर्तें रखी हैं. एनसीपी ने कहा है कि इन शर्तों के पूरा होने के बाद ही शिवसेना के प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है. एनसीपी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक ने कहा है-
एनसीपी की शर्तों पर फिलहाल शिवसेना की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन इतना तय है कि अब तक बीजेपी को नखरे दिखा रही शिवसेना को अब समर्थन के लिए एनसीपी और कांग्रेस के नखरे उठाने होंगे.
शिवसेना के समर्थन को लेकर कांग्रेस ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. महाराष्ट्र कांग्रेस के बड़े नेता अशोक चव्हाण ने कहा है, ‘हम ताजा हालात पर नजर रख रहे हैं. हम लगातार बैठकें कर रहे हैं और देख रहे हैं कि हमारे सामने क्या विकल्प हैं. अब तक हमने कोई फैसला नहीं लिया है.’
अब सवाल ये है कि अगर शिवसेना ने एनसीपी की तीनों शर्तें मान भी लीं और कांग्रेस के बाहर से समर्थन के साथ सरकार बन भी गई तो क्या होगा? सरकार कैसे चलेगी? कितनी स्थिर सरकार होगी?
तो इन जवाबों के संकेत भी एनसीपी नेता नवाब मलिक ने पहले ही दे दिए हैं. मलिक ने कहा है-
यानी साफ है कि शिवसेना को मुख्यमंत्री पद भले ही मिल जाए, लेकिन सरकार में एनसीपी का दखल बराबर का रहेगा. इसके अलावा शिवसेना हिंदुत्व को लेकर मुखर रहने वाली पार्टी है. वहीं एनसीपी और कांग्रेस को सेक्युलर माना जाता है. ऐसे में कई मौकों पर इस संभावित गठबंधन में टकराव देखने को मिल सकता है.
बहरहाल, इतनी शर्तों के साथ मजबूरी में बन रहे इस गठबंधन की सरकार कितनी स्थिर होगी ये कहना थोड़ा मुश्किल होगा.
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