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महाराष्ट्र: अब फडणवीस-अजित पवार के सामने होंगी ये बड़ी चुनौतियां

अजित पवार अब सिर्फ उप मुख्यमंत्री हैं.

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फडणवीस के साथ एनसीपी नेता अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी
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फडणवीस के साथ एनसीपी नेता अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी
(फोटो: ANI)

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महाराष्ट्र में सियासी उठापटक जारी है. राजनीतिक और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी, शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती महाराष्ट्र विधानसभा सत्र के दौरान होगी. एनसीपी ने अपने विधायक दल के नेता अजित पवार को बर्खास्त कर दिया और उनकी जगह प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल को दे दी. अजित पवार अब सिर्फ उप मुख्यमंत्री हैं.

एक संवैधानिक कानून जानकार ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहा, "एनसीपी ने राज्यपाल ऑफिस को पूरी जानकारी दी है, जहां इसे रिकॉर्ड में लिया गया है क्योंकि अभी कोई विधायिका नहीं है. प्रभावी रूप से अजित पवार एनसीपी के विधायक दल के नेता नहीं हैं और इस वजह से उनकी किसी भी कार्रवाई का अब कोई नतीजा नहीं होगा."

विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव बड़ी चुनौती

प्रोटेम स्पीकर, आम तौर पर सबसे सीनियर चुना हुआ विधायक होता है. उसे राज्यपाल बीएस कोश्यारी की ओर से नियुक्त किया जाना है और शपथ दिलाई जानी है. प्रोटेम स्पीकर, खुद को छोड़कर सभी 287 विधायकों को शपथ दिलाएंगे.

सत्तारूढ़ पार्टी के लिए विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव, विधानसभा के पटल पर पहले राजनीतिक और संवैधानिक परीक्षण के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा. इस मामले में बीजेपी और अजित पवार एनसीपी विधायकों के समर्थन का दावा करेंगे और विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा. अन्यथा, सरकार अपने आप गिर जाएगी.
विशेषज्ञ
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ऐसा हुआ तो इसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से विश्वास मत पेश करना महज औपचारिकता रह जाएगा.

वर्तमान संख्या बल के दावे के मुताबिक, बीजेपी ने 170 से ज्यादा विधायकों के समर्थन का दावा किया है. इसमें बीजेपी के 105 और कथित तौर पर अजित पवार का समर्थन करने वाले विधायक, निर्दलीय और छोटी पार्टियां शामिल हैं. दूसरी तरफ शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी ने भी 165 से ज्यादा विधायकों के समर्थन का दावा किया है. महाराष्ट्र विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 288 है. इसमें विधानसभा अध्यक्ष भी शामिल हैं.

विशेषज्ञ ने कहा कि दोनों दावों को जोड़ने से एक ऐसी स्थिति बनती है, जहां समर्थन करने वाले कुल विधायकों की संख्या विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की संख्या से ज्यादा है, इसलिए दावों में से एक भ्रामक या गलत है. और, ये विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में पूरे देश के सामने आ जाएगा.

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Published: 24 Nov 2019,10:27 PM IST

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