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महाराष्ट्र में सरकार बनाने को शिवसेना ने बताया विष पीने जैसा

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में राज्यपाल के फैसले पर भी उठाए सवाल

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
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शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में राज्यपाल के फैसले पर भी उठाए सवाल
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शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में राज्यपाल के फैसले पर भी उठाए सवाल
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी है. शिवसेना का आरोप है कि उन्हें सिर्फ 24 घंटे दिए गए, जबकि सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को इतने दिनों तक कुछ भी नहीं कहा गया. महाराष्ट्र के मौजूदा हालात पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में बीजेपी को जमकर फटकार लगाई है. कहा गया है कि बीजेपी ने नैतिकता का पालन नहीं किया.

'कांग्रेस-एनसीपी का साथ देने को तैयार बीजेपी'

शिवसेना ने अपने मुखुपत्र सामना में बीजेपी के उस बयान का जिक्र किया है, जिसमें कहा गया था कि वो विपक्ष में बैठने को तैयार हैं और सरकार नहीं बना सकते हैं. सामना में लिखा है,

“भारतीय जनता पार्टी ने कहा था कि वो विरोधी पक्ष में बैठने को तैयार है. इसका मतलब कांग्रेस और एनसीपी का साथ देने के लिए तैयार है, ऐसा कहा जाए तो उन्हें मिर्ची नहीं लगनी चाहिए. दिए गए वचन पर बीजेपी कायम रहती तो स्थिति इतनी विकट नहीं होती. ये दांव-पेंच नहीं बल्कि शिवसेना को नीचा दिखाने का षड़यंत्र है.”
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नीलकंठ बनने को तैयार है शिवसेना

सामना के संपादकीय में बीजेपी के इनकार और कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से सरकार बनाने को विष पीना जैसा बताया गया है. शिवसेना ने कहा है कि हम भगवान शिव की तरह ये विष पीकर नीलकंठ बनने को तैयार हैं. सामना में लिखा गया है,

"कांग्रेस या फिर एनसीपी के साथ हमें क्या करना है, ये हम देख लेंगे. बीजेपी के साथ अमृत पात्र से निकले विष को महाराष्ट्र की अस्थिरता को मिटाने के लिए हम नीलकंठ बनने को तैयार हैं. यदि हिंदुत्व की भाषा में कहा जाए तो जिस हलाहल का प्राशन भगवान शंकर ने किया, उसी शिव की भक्ति शिवराय ने की और शिवराय की पूजा शिवसेना ने की है."

राज्यपाल के फैसले पर उठाए सवाल

शिवसेना ने अपने मुखपत्र में राज्यपाल के फैसले पर भी सवाल उठाए हैं. शिवसेना ने सामना में लिखा है- महाराष्ट्र में 24 तारीख से ही सत्ता स्थापन का मौका होने के बावजूद इतने दिनों में बीजेपी ने कोई कोशिश नहीं की. मतलब बीजेपी ने सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद कोई हलचल नहीं की और शिवसेना को 24 घंटे भी नहीं मिले. ये कैसा कानून? विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्र में थे और कई राज्य से बाहर थे. कहा गया कि उनके हस्ताक्षर लेकर आओ वो भी 24 घंटों में. व्यवस्था का दुरुपयोग और मनमानी इसे ही कहते हैं.

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Published: 13 Nov 2019,09:01 AM IST

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