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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ‘‘अल्पसंख्यक कट्टरता’’ वाले बयान पर अब बवाल शुरू हो चुका है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने ममता बनर्जी को निशाने पर लिया है और जमकर हमला बोला है. एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष जमीरुल हसन ने दावा किया कि उनकी पार्टी राज्य में अपनी पैठ बढ़ा रही है जिससे तृणमूल कांग्रेस प्रमुख आपा खो बैठी हैं
हसन ने कहा कि ममता बनर्जी की पूरी राजनीति अल्पसंख्यक वोट बैंक के इर्द-गिर्द घूमती है. हसन ने कहा कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) पश्चिम बंगाल में 2021 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा,
हसन ने कहा कि बनर्जी अपना आपा खो बैठी हैं क्योंकि एआईएमआईएम बंगाल में खासतौर से सीमावर्ती जिलों में अपनी पैठ बढ़ा रही है. इससे पहले पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी ममता बनर्जी के बयान पर पलटवार किया था. उन्होंने कहा था कि बंगाल में मुसलमानों को मूलभूत मानवीय सुविधाएं नहीं होने पर सवाल उठाना धार्मिक कट्टरता नहीं है. ओवैसी ने कहा था,
“यह कहना अति धार्मिक अतिवाद नहीं होगा कि बंगाल के मुसलमान किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय के मुकाबले सबसे ज्यादा खराब हालत में हैं. अगर दीदी हम जैसे कुछ लोगों से जो “हैदराबाद से” हैं, उनके बारे में चिंतित हैं, तो उन्हें यह बताना चाहिए कि बीजेपी ने बंगाल से लोकसभा चुनाव में 42 में से 18 सीटें कैसे जीतीं. मुझ पर आरोप लगाकर आप (ममता बनर्जी) बंगाल के मुसलमानों को यह संदेश दे रही हैं कि ओवैसी की पार्टी राज्य में एक जबरदस्त ताकत बन गई है. ममता बनर्जी इस तरह की टिप्पणी करके अपने डर और हताशा का प्रदर्शन कर रही हैं.”
ममता बनर्जी ने बंगाल के कूचबिहार में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक में कहा,
‘अल्पसंख्यकों के बीच कट्टरता सामने आ रही है. ठीक जैसे कि हिंदुओं में चरमपंथ है. एक राजनीतिक पार्टी है, जो बीजेपी से पैसा लेती है. वह हैदराबाद से हैं न कि पश्चिम बंगाल से. आप लोग इन पर ध्यान मत दीजिए’.
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