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ममता बनर्जी CBI विवाद से विपक्ष का दमदार चेहरा कैसे बन गईं?

बंगाल विवाद: ममता बनर्जी का धरना खत्म, क्या लोकतंत्र की हुई जीत?

तरुण अग्रवाल
पॉलिटिक्स
Updated:
क्या ममता एक बार बन गईं विपक्ष का बड़ा चेहरा?
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क्या ममता एक बार बन गईं विपक्ष का बड़ा चेहरा?
(फोटो: Reuters)

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कोलकाता पुलिस और सीबीआई के बीच विवाद के बाद शुरू हुआ ममता बनर्जी का धरना आखिरकार 46 घंटे बाद खत्म हो गया. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 'संविधान बचाओ' धरना मंगलवार शाम को खत्म करने का ऐलान कर दिया. इस आंदोलन से ममता एक बार फिर विपक्ष का बड़ा चेहरा बनकर उभरती दिख रही हैं.

ममता ने रविवार रात अचानक इस आंदोलन को शुरू करने का ऐलान किया और कुछ मिनटों में कांग्रेस, एसपी, बीएसपी समेत तमाम विपक्षी पार्टियों ने उन्‍हें समर्थन देने की घोषणा कर दी. यहां तक कि टीडीपी चीफ चंद्रबाबू नायडू, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और डीएमके नेता कनिमोली ने कोलकाता पहुंचकर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई.

कोलकाता पुलिस और सीबीआई के बीच का विवाद अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ममता बनर्जी ने अपनी और लोकतंत्र की जीत बताया है. वहीं केंद्र सरकार ने भी इसे अपनी बड़ी जीत बताया है. किसकी जीत हुई और किसकी हार, इसे समझने के लिए पहले पूरे मामले पर गौर करते हैं.

कैसे शुरू हुआ विवाद

ये पूरा विवाद रविवार को कोलकाता में शाम करीब सात बजे चिटफंड घोटाले की जांच पर की गई सीबीआई की कार्रवाई से शुरू हुआ. सीबीआई के कुछ अफसरों की टीम घोटाले की जांच का हवाला देकर कोलकाता पुलिस कमिश्नर के घर पहुंची. लेकिन वहां मौजूद पुलिस अफसरों ने सीबीआई टीम को कमिश्नर के घर के बाहर ही रोक दिया. पुलिस ने कमिश्नर से मामले की पूछताछ के लिए वारंट दिखाने को कहा.

पुलिस अफसरों का कहना है कि उनके पास वारंट नहीं था, वहीं सीबीआई का कहना है कि वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले में पूछताछ करने पहुंचे. इसी बीच सीबीआई और पुलिस के बीच तनाव काफी बढ़ गया. यहीं से इस विवाद की शुरुआत हुई.

ममता भी आईं एक्शन में

पुलिस ने सख्त एक्शन लेते हुए सीबीआई के पांच अफसरों को हिरासत में ले लिया. उन्हें अपनी पुलिस गाड़ी में बैठाया और थाने ले गई. कोलकाता पुलिस और सीबीआई का विवाद तुरंत ही नेशनल मीडिया में छा गया.

उधर, ममता भी तुरंत एक्शन में आ गईं. वे कमिश्नर राजीव कुमार के घर पहुंच गई. वहां अफसरों के साथ मीटिंग की. ये समय था रविवार रात करीब साढ़े सात बजे का.

'संविधान बचाओ' धरना शुरू

(फोटो: PTI)

राजीव कुमार के घर पर पुलिस अफसरों के साथ मीटिंग करके ममता बाहर आईं. बड़ी संख्या में मीडिया के लोग पहले ही वहां पहुंच गए थे. जैसे ही ममता बाहर आईं, सैकड़ों कैमरे उनका इंतजार कर रहे थे.

सीबीआई की कार्रवाई पर ममता बनर्जी मोदी सरकार पर जमकर बरसीं और उसी दिन रात नौ बजे से 'संविधान बचाओ' धरने पर बैठने का ऐलान कर दिया. उन्होंने मोदी सरकार पर लोकतंत्र को खत्म करने और सरकारी संस्थाओं का निजी राजनीति फायदे के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

ममता का इतना ऐलान करते ही तमाम विपक्ष एकजुट हो गया. सोशल मीडिया पर और फोन करके विपक्ष ने अपना समर्थन दिया. दूसरी तरफ देखते ही देखते पूरे बंगाल में भी ममता समर्थक सड़क पर उतर आए और मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

रिपोर्ट के मुताबिक, आजाद भारत में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी राज्य की सरकार पुलिस प्रशासन के समर्थन में धरने पर बैठ गई. मेट्रो चैनल पर हुए इस धरने में ममता के साथ कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार भी साथ बैठे.

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कोलकाता में धरना स्थल पर कैबिनेट मीटिंग करती ममता बनर्जी(फोटो: PTI)

सड़क से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

अगले दिन सुबह यानी सोमवार को चिटफंड घोटाले की जांच में 'बाधा डाले जाने' पर सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को कई बार समन भेजा, लेकिन उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया.

कोर्ट ने अगले दिन इस मामले पर सुनवाई करने का फैसला लिया.

उधर बंगाल में हुई सीबीआई की कार्रवाई पर विपक्ष के नेताओं ने लोकसभा में जमकर हंगामा किया. इसके बाद लोकसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी.

आरोप-प्रत्यारोप के नाम रहा पूरा दिन

सोमवार एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप और देशभर में जगह-जगह धरना प्रदर्शन के नाम रहा. सीएम ममता बनर्जी ने साफ-साफ कह दिया कि उनका सत्याग्रह किसी एजेंसी के खिलाफ नहीं, बल्कि मोदी सरकार की अराजकता के खिलाफ है.

वहीं बीजेपी ने कई सवाल उठाए:

  • एक पुलिस अधिकारी के लिए धरना क्यों कर रही हैं ममता बनर्जी
  • कमिश्नर के पास क्या जानकारी है, जिसे छिपाना चाहती हैं सीएम
  • सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंपी, मोदी सरकार को गाली क्यों दे रहे हैं
  • बंगाल में संविधान की हत्या क्यों की जा रही है
  • सरकारी अधिकारियों के धरने पर बैठना कौन सा नियम है

SC का फैसला किसकी जीत?

(फोटो: PTI)

सीबीआई की अर्जी पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस ने कहा कि पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार सीबीआई के सामने शिलांग में पेश हों और चिटफंड घोटाले की जांच में उनका सहयोग करें.

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को उन पर कोई भी एक्शन न लेने की हिदायत भी दी. साथ ही कोर्ट ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर, डीजीपी और पश्चिम बंगाल की सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने ये नोटिस सीबीआई की अवमानना याचिक पर जारी किए, जिसकी सुनवाई 20 फरवरी को होगी.

कोर्ट के इस फैसले को बीजेपी ने अपनी नैतिक जीत करार दिया. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कमिश्नर को अब सीबीआई के सामने उपस्थित होना होगा. ईमानदार जांच के लिए ये बहुत ही सही फैसला है.

वहीं ममता ने भी कोर्ट के फैसले को अपनी बड़ी जीत बताया. उन्होंने कहा, "हम सभी एजेंसियों का सम्मान करते हैं. आज हमारे पूरे देश, हर नागरिक सभी को जीत मिली है. आज कोई आदमी सरकार के बारे में बात भी नहीं कर सकता है. दूसरे दिन फोन आता है कि मोदी के खिलाफ कुछ मत बोलो."

इसी दिन शाम करीब छह बजे संविधान और लोकतंत्र की जीत बताते हुए ममता बनर्जी ने चंद्रबाबू नायडू के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपना धरना खत्म करने का ऐलान कर दिया.

इस पूरे मामले में आखिर जीत किसकी हुई, ये अभी तय करना जल्‍दबाजी होगी. अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई और निर्देश पर होंगी. यकीनन फाइनल तो अप्रैल-मई के आम चुनाव के रिजल्‍ट से ही तय होना है.

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Published: 05 Feb 2019,10:58 PM IST

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