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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मांग की है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर एक कॉलेजियम का गठन होना चाहिए.
लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए बनर्जी ने कहा कि चुनाव आयोग के तीन मनोनीत सदस्यों को चुनाव कराने का अधिकार नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा-
तृणमूल कांग्रेस लोकसभा चुनाव में कई बार चुनाव आयोग पर केंद्र सरकार के प्रभाव में काम करने का आरोप लगा चुकी है.
ममता ने विपक्ष से अपील की कि ईवीएम में कथित छेड़छाड़ का खुलासा करने के लिहाज से एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के गठन की मिलकर मांग उठाएं.
बनर्जी ने यहां पार्टी की एक बैठक के बाद कहा, ‘‘अन्य विपक्षी दलों को भी यह मांग करनी चाहिए. मैं इस मांग के संबंध में कांग्रेस से बात करुंगी.’’
नीति आयोग की 15 जून को प्रस्तावित बैठक में भाग नहीं लेने के फैसले को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि बैठक में भाग लेना बेकार है क्योंकि केंद्र सरकार राज्यों से परामर्श किये बिना इसका एजेंडा तय कर रही है.
उन्होंने कहा-
जम्मू कश्मीर में परिसीमन की बीजेपी की योजना की खबरों पर बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार सभी पक्षों से परामर्श के बिना इस तरह की कवायद कैसे कर सकती है.
उन्होंने कहा, ‘‘बीजेपी को किसने जनसांख्यिकी बदलने का अधिकार दिया. वे नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती समेत सभी पक्षों से उचित परामर्श के बिना परिसीमन कैसे करा सकते हैं.’’
ममता ने कहा कि केंद्र को सभी के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को मंगलवार को जम्मू कश्मीर के हालात पर विस्तार से जानकारी दी गयी, जहां बीजेपी परिसीमन पर जोर दे रही है जिसके परिणामस्वरूप विधानसभा में जम्मू से और अधिक सीटें हो जाएंगी.
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