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मणिपुर में सियासी उथलपुथल तेज हो गई है. कांग्रेस ने 18 जून को सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए राज्यपाल को फ्लोर टेस्ट कराने और बहुमत साबित करने का मौका देने के लिए लिखा है.
अब बीजेपी सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. पार्टी के तीन विधायकों ने बुधवार को इस्तीफा देते हुए जहां कांग्रेस ज्वाइन कर लिया, वहीं सहयोगी दलों और निर्दलीय समेत कुल 6 अन्य विधायकों ने भी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. बीजेपी सरकार से कुल नौ विधायकों के अलग होने से मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की मुसीबत बढ़ गई है. वहीं कांग्रेस राज्य में नई सरकार बनाने का दावा पेश करेगी.
मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में इस वक्त कुल 59 विधायक हैं. कांग्रेस से बीजेपी में जाने पर श्याम कुमार सिंह नाम के एक विधायक अयोग्य हो चुके हैं. बीजेपी के तीन विधायकों के जुड़ने के बाद कांग्रेस का दावा है कि उसके पास 24 विधायक अब हो गए हैं.
बता दें कि 2017 के चुनाव के बाद मणिपुर में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति सामने आई थी. 28 विधायकों के साथ कांग्रेस नंबर वन पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि, बीजेपी के पास 21 विधायक थे. बाद में बीजेपी सभी गैर कांग्रेसी विधायकों को एकजुट कर सरकार बनाने में सफल रही.
बीजेपी ने नागा पीपुल्स फ्रंट के 4, एनपीपी के 4, टीएमसी के 1 और एलजेपी के 1 और एक निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल करने में सफलता हासिल की थी. जिस पर राज्यपाल ने बीजेपी को सरकार बनाने के बुलाया था, जिसके बाद बीजेपी से एन बीरेन सिंह मुख्यमंत्री बने थे.
हालांकि, बाद में सात और कांग्रेस विधायकों ने बीजेपी ज्वाइन कर ली थी, जिससे एनडीए को 40 विधायकों का समर्थन हासिल हो गया था, वहीं अब नौ विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया है.जिससे बीजेपी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ीं हो गईं हैं. राज्य में एक सीट के लिए 19 जून को चुनाव होना है.
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Published: 18 Jun 2020,10:53 AM IST