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मायावती बोलीं कि मध्य प्रदेश में उनकी पार्टी अपने दम पर उतरेगी और कांग्रेस के नेता खुश हो गए. बीएसपी सुप्रीमो ने जब कांग्रेस को दलित विरोधी बताकर रिश्ता तोड़ा, तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता और गदगद हो गए, जबकि बीजेपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की फिक्र बढ़ गई. बीएसपी की राजनीति का केमिकल रिएक्शन मध्य प्रदेश में अलग ही दिख रहा है. मुंह में कुछ और, दिल में कुछ और.
सवर्ण और पिछड़ा वर्ग को नए कड़े एससी-एसटी एक्ट से सख्त ऐतराज है. वो मांग कर रहे हैं कि उत्पीड़न करने वालों के खिलाफ बिना जांच गिरफ्तारी वाला हिस्सा हटाया जाए. इस गुस्से को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने भरोसा दिया कि बिना जांच कोई गिरफ्तारी नहीं होगी. लेकिन जब हाईकोर्ट ने सफाई मांगी, तो राज्य सरकार पीछे हट गई.
बीएसपी ने जब एकतरफा तौर पर कांग्रेस को दलित विरोधी बताते हुए रिश्ते तोड़े, तो राज्य में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को बड़ी राहत मिली. उन्हें लगता है कि इससे सवर्णों का बीजेपी के खिलाफ गुस्सा कंसोलिडेट होगा और कांग्रेस के लिए फायदेमंद होगा.
पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह के सामने सवर्णों के प्रदर्शन हुए हैं, जिसमें कांग्रेस नेताओं ने एक ही जवाब दिया है, 'जाइए जो सरकार में हैं, उनसे सवाल कीजिए, ये हमने नहीं किया है'.
शिवराज कैबिनेट में सात मंत्री- नरोत्तम मिश्रा, यशोधरा राजे सिंधिया, रुस्तम सिंह, जयभान सिंह पवैया, लाल सिंह आर्य, नरेंद्र कुशवाहा और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सवर्ण समुदाय से आते हैं. इसलिए ये लोग सवर्ण आंदोलन का खुलकर विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं. लेकिन नए एससी-एसटी एक्ट का विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं. बीजेपी नेता अनूप मिश्रा और बीजेपी विधायक रघुनंदन शर्मा ने तो इस मुद्दे पर अपनी ही पार्टी में दबाव बढ़ा दिया है.
सपाक्स के एक नेता ब्रिजेश भदौरिया के मुताबिक, ''बीजेपी को लगता है कि सवर्ण समाज उसकी जागीर है. लेकिन इस बार हम उन्हें अपनी ताकत बता देंगे.'' हालांकि ये नेता यही कह रहे हैं कि वो कांग्रेस और बीजेपी, दोनों का विरोध करेंगे.
मुख्यमंत्री शिवराज चौहान का आरोप है कि सपाक्स और सवर्ण आंदोलनों को कांग्रेस सुलगा रही है. कांग्रेस का दावा है कि इसके पीछे आरएसएस है, लेकिन अनुमान यही है कि सपाक्स आंदोलन तेज हुआ, तो बीजेपी के कोर वोट बैंक (ठाकुर+वैश्य+ब्राह्मण) में कांग्रेस बड़ी सेंध लगा सकती है.
जानकारों के मुताबिक, कांग्रेस की स्ट्रैटेजी अभी तो यही लग रही है कि भले ही उसके वोट न बढ़ें, पर बीजेपी के वोट कम हो जाएं.
कई जिलों में सवर्णों की आबादी 25 से 30% है, जबकि एससी/एसटी वोटर 30% के आस-पास हैं. ऐसे में अब सारा खेल 32% ओबीसी और अल्पसंख्यकों के हाथ में है. इसी के चलते कांग्रेस चाहती है कि वोटों का बंटवारा कराया जाए.
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का दावा है कि बीएसपी का रवैया बड़ा अजीब रहा है. उसने ऐसी सीटें मांगीं, जहां वो बेहद कमजोर थी और ऐसी कई सीटों पर दावा नहीं किया, जहां वो मजबूत थी.
इन तमाम हालात में कांग्रेस की स्ट्रैटेजी यही है कि मध्य प्रदेश में सवर्ण आंदोलन के गुस्से का मुंह बीजेपी की तरफ मोड़ा जाए. साथ ही संदेश जाने दिया जाए कि बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए बीएसपी गठजोड़ से पीछे हट रही है.
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