मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मायावती ने रिश्ता कांग्रेस से तोड़ा तो शिवराज को टेंशन क्यों?

मायावती ने रिश्ता कांग्रेस से तोड़ा तो शिवराज को टेंशन क्यों?

कांग्रेस की बीएसपी की दूरी शिवराज चौहान के लिए परेशानी का सबब

अरुण पांडेय
पॉलिटिक्स
Updated:
मायावती से गठजोड़ न हो पाने से कमलनाथ खुश और शिवराज परेशान
i
मायावती से गठजोड़ न हो पाने से कमलनाथ खुश और शिवराज परेशान
(फोटो: क्विंट)

advertisement

मायावती बोलीं कि मध्य प्रदेश में उनकी पार्टी अपने दम पर उतरेगी और कांग्रेस के नेता खुश हो गए. बीएसपी सुप्रीमो ने जब कांग्रेस को दलित विरोधी बताकर रिश्ता तोड़ा, तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता और गदगद हो गए, जबकि बीजेपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की फिक्र बढ़ गई. बीएसपी की राजनीति का केमिकल रिएक्शन मध्य प्रदेश में अलग ही दिख रहा है. मुंह में कुछ और, दिल में कुछ और.

वजह है मध्य प्रदेश में गरमाया सवर्ण आंदोलन. बरसों से मध्य प्रदेश में बीजेपी की जीत का आधार रहे कोर सवर्ण वोटर उससे छिटके हुए हैं. इसके लिए इन दिनों वो दो तरह की मुहिम में हिस्सा ले रहे हैं. एक तो नोटा दबाने का अभियान और दूसरा, सवर्णों और पिछड़ों की सपाक्स पार्टी का राज्य की सभी 230 विधानसभा सीटों से उम्मीदवार खड़े करने का ऐलान. जानकारकहते हैं कि ये दोनों बातें बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकती हैं.
सवर्ण और पिछड़ा वर्ग ने बनाया सपाक्स(फोटो: फेसबुक)

सवर्णों के गुस्से की वजह

सवर्ण और पिछड़ा वर्ग को नए कड़े एससी-एसटी एक्ट से सख्त ऐतराज है. वो मांग कर रहे हैं कि उत्पीड़न करने वालों के खिलाफ बिना जांच गिरफ्तारी वाला हिस्सा हटाया जाए. इस गुस्से को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने भरोसा दिया कि बिना जांच कोई गिरफ्तारी नहीं होगी. लेकिन जब हाईकोर्ट ने सफाई मांगी, तो राज्य सरकार पीछे हट गई.

कांग्रेस की खुशी की वजह

बीएसपी ने जब एकतरफा तौर पर कांग्रेस को दलित विरोधी बताते हुए रिश्ते तोड़े, तो राज्य में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को बड़ी राहत मिली. उन्हें लगता है कि इससे सवर्णों का बीजेपी के खिलाफ गुस्सा कंसोलिडेट होगा और कांग्रेस के लिए फायदेमंद होगा.

कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिंया और कमलनाथ को लेकर वायरल हो रहे पोस्टर(फोटोः Twitter)
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के मुताबिक, बीएसपी को डराने के लिए बीजेपी सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल कर रही है. ऐसे में कांग्रेस की स्ट्रैटेजी यही है कि मध्य प्रदेश के लोगों में ये बात बैठा दी जाए कि बीजेपी और बीएसपी में अंदरूनी साठगांठ है.

सपाक्स ने बनाया दबाव

पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह के सामने सवर्णों के प्रदर्शन हुए हैं, जिसमें कांग्रेस नेताओं ने एक ही जवाब दिया है, 'जाइए जो सरकार में हैं, उनसे सवाल कीजिए, ये हमने नहीं किया है'.

बीजेपी नेता टेंशन में

शिवराज कैबिनेट में सात मंत्री- नरोत्तम मिश्रा, यशोधरा राजे सिंधिया, रुस्तम सिंह, जयभान सिंह पवैया, लाल सिंह आर्य, नरेंद्र कुशवाहा और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सवर्ण समुदाय से आते हैं. इसलिए ये लोग सवर्ण आंदोलन का खुलकर विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं. लेकिन नए एससी-एसटी एक्ट का विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं. बीजेपी नेता अनूप मिश्रा और बीजेपी विधायक रघुनंदन शर्मा ने तो इस मुद्दे पर अपनी ही पार्टी में दबाव बढ़ा दिया है.

शिवराज सिंह चौहान जनआशीर्वाद यात्रा पर निकले (फोटो: Reuters)
सवर्ण संगठन सपाक्स, ब्राह्मण सभा और करणी सेना ने मिलकर बीजेपी के उम्मीदवारों का विरोध करने का ऐलान किया है. इसके खिलाफ दलित भी लामबंद हो गए हैं और उनके संगठन अजाक्स ने सवर्ण उम्मीदवारों को वोट न करने कीअपील की है. कांग्रेस को लगता है कि ऐसे में बीएसपी से दूरी उसे सवर्ण वोटरों के गुस्से से बचा सकती है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

सपाक्स के एक नेता ब्रिजेश भदौरिया के मुताबिक, ''बीजेपी को लगता है कि सवर्ण समाज उसकी जागीर है. लेकिन इस बार हम उन्हें अपनी ताकत बता देंगे.'' हालांकि ये नेता यही कह रहे हैं कि वो कांग्रेस और बीजेपी, दोनों का विरोध करेंगे.

कौन है सपाक्स के पीछे?

मुख्यमंत्री शिवराज चौहान का आरोप है कि सपाक्स और सवर्ण आंदोलनों को कांग्रेस सुलगा रही है. कांग्रेस का दावा है कि इसके पीछे आरएसएस है, लेकिन अनुमान यही है कि सपाक्स आंदोलन तेज हुआ, तो बीजेपी के कोर वोट बैंक (ठाकुर+वैश्य+ब्राह्मण) में कांग्रेस बड़ी सेंध लगा सकती है.


जानकारों के मुताबिक, कांग्रेस की स्ट्रैटेजी अभी तो यही लग रही है कि भले ही उसके वोट न बढ़ें, पर बीजेपी के वोट कम हो जाएं.

मध्य प्रदेश में सवर्ण वोटर

कई जिलों में सवर्णों की आबादी 25 से 30% है, जबकि एससी/एसटी वोटर 30% के आस-पास हैं. ऐसे में अब सारा खेल 32% ओबीसी और अल्पसंख्यकों के हाथ में है. इसी के चलते कांग्रेस चाहती है कि वोटों का बंटवारा कराया जाए.

राज्य की 230 सीटों में करीब 5 करोड़ वोटर हैं, जिसमें ब्राह्मण वोटर की तादाद 40 लाख के आसपास है. विंध्य, महाकौशल, चंबल और मध्य क्षेत्र में 60 सीटों पर उनका सीधा असर है. ये कमलनाथ और ज्योतिरादित्य के असर वाले इलाके हैं. इसके अलावा मुस्लिम वोटर करीब 10 परसेंट हैं.

BSP ने मनमानी सीटें मांगीं: कांग्रेस

(फोटो: ट्विटर)

मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का दावा है कि बीएसपी का रवैया बड़ा अजीब रहा है. उसने ऐसी सीटें मांगीं, जहां वो बेहद कमजोर थी और ऐसी कई सीटों पर दावा नहीं किया, जहां वो मजबूत थी.

मध्य प्रदेश में BSP का प्रदर्शन

2013 में बीजेपी ने राज्य की 230 में से 165 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को 58 और बीएसपी को सिर्फ 4 सीटें मिली थीं और उसे 7 परसेंट वोट मिले थे. राज्य में 82 सीटें रिजर्व हैं (35 एससी के लिए और 47 सीटें एसटी के लिए)

इन तमाम हालात में कांग्रेस की स्ट्रैटेजी यही है कि मध्य प्रदेश में सवर्ण आंदोलन के गुस्से का मुंह बीजेपी की तरफ मोड़ा जाए. साथ ही संदेश जाने दिया जाए कि बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए बीएसपी गठजोड़ से पीछे हट रही है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 05 Oct 2018,07:15 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT