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संसद में हिंदी के इस्तेमाल से बहस का गिर गया स्तर: राज्यसभा सांसद

राज्यसभा सांसद वायको ने सदन में संबोधन करने के मामले में पीएम मोदी की तुलना पिछले प्रधानमंत्रियों से की है

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
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राज्यसभा सांसद वाइको ने सदन में संबोधन करने के मामले में पीएम मोदी की तुलना पिछले प्रधानमंत्रियों से की है
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राज्यसभा सांसद वाइको ने सदन में संबोधन करने के मामले में पीएम मोदी की तुलना पिछले प्रधानमंत्रियों से की है
(फोटो: फेसबुक)

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MDMK के महासचिव और राज्यसभा सांसद वाइको ने संसद में हिंदी भाषा के इस्तेमाल पर सवाल उठाए हैं. वाइको ने सदन में ज्यादातर सांसदों के हिंदी में बोलने पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि हिंदी बोलने के कारण संसद में बहस का स्तर गिर गया है. इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी को भी जिम्मेदार ठहराया. पीएम पर आरोप लगाते हुए वाइको ने कहा कि मोदी हिंदी, हिंदू और हिंदू राष्ट्र की भावना से प्रेरित होकर सिर्फ हिंदी बोलते हैं.

वाइको ने कहा, "सदन में ज्यादातर सदस्यों का हिंदी बोलने की वजह से बहस का स्तर गिर गया है. सभी लोग सिर्फ हिंदी में ही चिल्लाते हैं. यहां तक की पीएम मोदी भी सदन को हिंदी में ही संबोधित करते हैं."

वाइको ने पिछले प्रधानमंत्रियों से की मोदी की तुलना

राज्यसभा सांसद वाइको ने सदन में संबोधन करने के मामले में पीएम मोदी की तुलना पिछले प्रधानमंत्रियों से की है. उन्होंने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू संसद के हर सत्र में भाग लेते थे जबकि मोदी सदन में सिर्फ मौजूद होते हैं.

मोदी ही सदन में हिंदी भाषा में संबोधित करते हैं. इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी अंग्रेजी बोला करते थे. मोरारजी देसाई, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरिसिम्हा राव, मनमोहन सिंह भी अंग्रेजी में संबोधित करते थे. ये नहीं कह सकते कि वो हिंदी के मुरीद नहीं थे.
वाइको, राज्यसभा सांसद

वाइको का कहना है कि मोदी ही सिर्फ हिंदी के प्रति प्यार जताते रहते हैं. ऐसा लगता है कि हिंदी बोलने के पीछे प्रधानमंत्री की भावना 'हिंदी, हिंदू, हिंदू राष्ट्र' बनाने की है. वाइको ने मांग की है सदन में सिर्फ अंग्रेजी में बहस होनी चाहिए, जब तक संसद में संविधान की मान्यता प्राप्त सभी 28 भाषाओं में बातचीत शुरू नहीं हो जाती.

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