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पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू की गई बातचीत की प्रक्रिया को केंद्र शासित प्रदेश में ''दमनकारी युग'' के अंत और इस समझ के साथ विश्वसनीयता मिल सकती है कि असहमति रखना कोई आपराधिक काम नहीं है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहीं महबूबा ने साफ किया कि बातचीत की प्रक्रिया को विश्वसनीय बनाना केंद्र के हाथ में है. महबूबा ने कहा, ''लोगों को चैन से जीने देने से मेरा मतलब है कि आज असहमति रखने वाले किसी भी पक्ष को जेल में डाले जाने का खतरा रहता है. हाल ही में एक व्यक्ति को अपने भाव प्रकट करने के लिए जेल में डाल दिया गया कि उसे एक कश्मीरी सलाहकार से बहुत उम्मीदें थीं. संबंधित उपायुक्त ने यह सुनिश्चित किया कि उसे अदालत से जमानत मिलने के बावजूद कुछ दिन जेल में रखा जाए.''
महबूबा ने कहा कि जब प्रधानमंत्री कहते हैं कि वह 'दिल की दूरी' मिटाना चाहते हैं तो इस तरह के दमन का तत्काल अंत हो जाना चाहिए. बता दें कि ऐतिहासिक बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर की जनता को दिल्ली के करीब लाने के लिए ''दिल्ली की दूरी'' के साथ-साथ ''दिल की दूरी'' मिटाना चाहते हैं.
महबूबा ने कहा कि उन्होंने दिल्ली में हुई बैठक में केवल केंद्रीय नेतृत्व को लोगों की समस्याओं से अवगत कराने के लिए हिस्सा लिया. उन्होंने कहा, ''मैं किसी भी सत्ता की राजनीति के लिए नहीं आई हूं क्योंकि मेरा रुख स्पष्ट है कि मैं जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा वापस मिलने तक कोई चुनाव नहीं लड़ूंगी.''
तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर की अंतिम मुख्यमंत्री महबूबा ने कहा, ''चूंकि निमंत्रण प्रधानमंत्री की ओर से आया था, इसलिए मैंने इसे 5 अगस्त, 2019 के बाद लोगों की पीड़ा को उजागर करने के मौके के रूप में लिया, जब आर्टिकल 370 को खत्म कर कर दिया गया था.''
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Published: 27 Jun 2021,06:06 PM IST