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कैबिनेट विस्तार:JDU की डिमांड,BJP की सप्लाई तय करेगी दोनों पार्टियों के रिश्ते

चिराग पासवान का कहना है कि कैबिनेट का विस्तार हुआ तो सबसे पहले JDU में टूट होगी

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<div class="paragraphs"><p>JDU की डिमांड,BJP की सप्लाई तय करेगी दोनों पार्टियों के रिश्ते</p></div>
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JDU की डिमांड,BJP की सप्लाई तय करेगी दोनों पार्टियों के रिश्ते

(फाइल फोटोः PTI)

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मोदी सरकार (Modi Government) के दूसरे कार्यकाल में एक केंद्रीय मंत्री बनाने का प्रस्ताव ठुकराने वाली जेडीयू (JDU) को इस बार आस है. केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार में अपनी 'उचित' भागीदारी चाहने वाली जेडीयू ने मई, 2019 में सिर्फ एक केंद्रीय मंत्री पद का कोटा लेने स इनकार कर दिया था. उस वक्त नीतीश कुमार की पार्टी की तरफ से ये संकेत मिले कि जेडीयू सांसदों की संख्या को देखते हुए कम से कम दो केंद्रीय मंत्री का पद मिलना चाहिए.

अब केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार की तैयारी है और ऐसा बताया जा रहा है कि एक बार फिर जेडीयू, सासंदों की संख्या के अनुपात में हिस्सेदारी मांग रही है और कैबिनेट में चार मंत्री पद चाहती है. बता दें कि जेडीयू के 16 सांसद हैं और संख्या के लिहाज से ये सातवीं बड़ी पार्टी है.

हालांकि, सीएम नीतीश कुमार का कहना है कि कैबिनेट विस्तार को लेकर उन्हें किसी भी फॉर्मूले की जानकारी नहीं है.

हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को इसके लिए अधिकार है. प्रधानमंत्री जो चाहेंगे उसके हिसाब से जो होना होगा, वो होगा.
नीतीश कुमार

सीटों की संख्या पर फंसा है मामला

वहीं पार्टी की मांग से अलग जो रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं, उनके मुताबिक जेडीयू से दो को कैबिनेट में जगह मिल सकती है. प्रमुख तौर से इसमें जनता दल-युनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह, संतोष कुमार और ललन सिंह का नाम सामने आ रहा है.

इस लिहाज से जेडीयू की मांग और कैबिनेट विस्तार में पार्टी को मिले पद ये तय कर सकते हैं बिहार सरकार में बीजेपी-जेडीयू के बीच का रिश्ता कैसा होगा. आरजेडी के साथ नाता तोड़कर बीजेपी के साथ आने वाली जेडीयू ने 2019 में इसी जिद की वजह से केंद्रीय कैबिनेट में अपनी हिस्सेदारी छोड़ दी थी, ऐसा कहा जा रहा है कि जेडीयू विस्तार में अपनी मांग पर अड़ी रहेगी.

'बड़े भाई'वाली भूमिका में नहीं है जेडीयू

यहां पर बीजेपी के पक्ष वाली बात ये है कि 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी का स्ट्राइक रेट जेडीयू से कहीं बेहतर रहा है. दोनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा था बीजेपी के खाते में 74 सीटें आईं तो जेडीयू के खाते में महज 43 सीटें. ऐसे में मई, 2019 वाली स्थिति अब नहीं है. बिहार में भले ही सीएम नीतीश कुमार हैं लेकिन बीजेपी सरकार में 'छोटे भाई' वाली भूमिका में कतई नहीं है. इस लिहाज से केंद्रीय कैबिनेट में मनमुताबिक, जगह हासिल करने के लिए दबाव बनाना जेडीयू के लिए पहले के मुकाबले अब ज्यादा मुश्किल है.

इसके अलावा बिहार से बीजेपी के सुशील मोदी, चिराग पासवान के खिलाफ बगावत करने वाले पशुपति पारस को एलजेपी से केंद्रीय सीट मिलने का अनुमान है.इस बीच चिराग पासवान का कहना है कि कैबिनेट का विस्तार हुआ तो सबसे पहले JDU में टूट होगी. चिराग का कहना है कि इसके बाद बिहार सरकार पर बड़ा खतरा आएगा.

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Published: 06 Jul 2021,04:09 PM IST

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