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नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल (Modi Govt) में आज नए मंत्रियों की एंट्री हो चुकी है. महाराष्ट्र के दिग्गज नेता नारायण राणे को MSME मंत्रालय दिया गया है.
महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं में से एक नारायण राणे ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत शिवसेना के साथ की थी. शिवसेना में राणे का कद बढ़ता गया और 1999 में जब मनोहर जोशी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से हटे, तो ये जिम्मेदारी राणे को सौंपी गई. राणे को खुद बालासाहेब ठाकरे का समर्थन प्राप्त था. करीब 9 महीने तक इस पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद उनके और उद्धव ठाकरे के बीच खींचतान होने लगी.
शिवसेना से निकाले जाने के बाद राणे ने कांग्रेस का दामन थामा और उन्हें रेवेन्यू मंत्री बनाया गया. 2008 मुंबई हमलों के बाद, विलासराव देशमुख ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद अशोक चव्हाण को सीएम बनाया गया.
मुख्यमंत्री नहीं बनने से नाराज राणे ने इस दौरान खूब बयानबाजी की, जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें छह साल के लिए निलंबित कर दिया. तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगने के बाद उनपर लगा निलंबन हटाया गया. इसके बाद राणे को इंडस्ट्री मंत्रालय का भार सौंपा गया. सितंबर 2017 में अपनी पार्टी बनाने के लिए राणे ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.
कांग्रेस से इस्तीफा देने के एक महीने बाद ही, अक्टूबर 2017 में राणे ने अपनी पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष का ऐलान किया. 2018 में उन्होंने बीजेपी के लिए अपना सपोर्ट जाहिर किया.
15 सालों में ये चौथी बार था जब नारायण राणे नई पार्टी के साथ जुड़े. अक्टूबर 2019 में राणे आधिकारिक रूप से बीजेपी में शामिल हुए और उनकी पार्टी का भी बीजेपी में विलय हो गया. 15 सालों में चार पार्टियों के साथ रहने वाले नारायण राणे को मोदी कैबिनेट में अहम जिम्मेदारी मिली है. नारायण राणे को मंत्री बनाने का सबसे बड़ा असर महाराष्ट्र की सियासत में होगा. राणे के जरिए महाराष्ट्र की जनता के बीच संदेश. साथ ही इस फैसले का सीधा असर शिवसेना और बीजेपी के रिश्तो पर पड़ेगा. राणे ने शिवसेना छोड़ने के बाद लगातार ठाकरे परिवार पर हमला बोला है और उद्धव और आदित्य ठाकरे को निशाना बनाते रहे हैं.
नारायण राणे कई बार मंत्री रह चुके हैं, उनके लिए सरकार और नौकरशाहों के साथ तालमेल की समझ भी है. राणे कोंकण के रहने वाले हैं. महाराष्ट्र का कोंकण क्षेत्र शिवसेना का गढ़ है, ऐसे राणे के जरिए बीजेपी ये बताना चाहेगी कि कोंकण की फिक्र मोदी सरकार को है, इसलिए उनके इलाके के नेता को मंत्री बनाया गया है.
इसके अलावा अगले साल होने वाले बीएमसी चुनाव में भी वो बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकते हैं. राणे मराठा समुदाय से हैं तो मराठा समुदाय के बीच भी संदेश देने के लिए राणे कागर साबित हो सकते हैं.
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