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दिल्ली विधानसभा में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया. जिसके बाद ये प्रस्ताव दिल्ली विधानसभा में पास हो गया. इस प्रस्ताव दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पेश किया. इसके माध्यम से दिल्ली सरकार की तरफ से केंद्र सरकार को एनपीआर और एनआरसी के बीच संबंध स्पष्ट करने को कहा गया है.
दिल्ली विधानसभा में NPR और NRC का विरोध करते हुए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, मैं केंद्र से NPR और NRC वापस लेने का आग्रह करता हूं. "विधानसभा में 70 विधायक हैं लेकिन सिर्फ 9 विधायकों ने कहा कि उनके पास जन्म प्रमाण पत्र है."
एनपीआर का विरोध करते हुए गोपाल राय ने कहा,
आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी मार्लेना ने एनपीआर के विषय में कहा, "एनआरसी और एनपीआर को लेकर आज पूरे देश में दहशत मची हुई है, क्योंकि जो कागज एनआरसी और एनपीआर के लिए मांगे जाएंगे, मुझे नहीं लगता कि 80 से 90 फीसदी लोगों के पास वो कागज होंगे."
आतिशी ने कहा, "इस विधानसभा सदन में ही आधे से ज्यादा लोगों के पास अपने जन्म प्रमाण-पत्र नहीं हैं और तकरीबन सभी के पास अपने माता-पिता का जन्म प्रमाण-पत्र भी नहीं होगा. पहले लोग अपना जन्म प्रमाण-पत्र नहीं बनवाते थे. अधिकांश के जन्म गांव-देहात में हुए हैं. इन सबके अलावा केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों के तहत हमें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए लाइनों में खड़ा होना होगा. अगर हमारे पास कागज नहीं हुए तो बिना किसी पूछताछ के लोगों को डिटेंशन सेंटर में डाल दिया जाएगा. असम के डिटेंशन सेंटर की कहानियों से पूरा देश दहशत में है."
आप विधायक राघव चड्ढा ने कहा,
आप विधायक जरनैल सिंह ने कहा, "जैसे नोटबंदी से नुकसान हुआ और बेहिसाब परेशानी के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ, वैसे ही एनपीआर और एनआरसी लागू करने से भी परेशानी और नुकसान के अलावा कुछ हासिल नहीं होने वाला. बेरोजगारी, बैंकों के घोटाले, गिरती जीडीपी, पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम, सरकार की नाकामियों से ध्यान हटाने का नाम है एनपीआर और एनआरसी."
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