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मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस संकट के पहले मार्च में कैसे सत्ता पलटी, सभी ने देखा. थोक में कांग्रेस विधायकों ने घेराबंदी की और ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस से इस्तीफा देकर कमलनाथ सरकार गिरा दी. लेकिन कांग्रेस से बीजेपी में आए 'रणबांकुरों' के लिए अब बारी है फिर से बीजेपी के टिकट पर जनादेश पाने की. मौका है मध्य प्रदेश में 27 सीटों पर उपचुनावों का.
230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में वर्तमान में 203 सदस्य हैं और वहीं 27 सीटें खाली हैं, जिनके लिए उपचुनाव होना है. कांग्रेस 114 से घटकर 89 सीटें, बीजेपी के पास 107 और 7 अन्य विधायक हैं. कांग्रेस के 25 विधायकों ने इस्तीफा दिया है और उम्मीद की जा रही है कि ये सारे 25 लोग बीजेपी के टिकट पर विधानसभा उपचुनाव लड़ेंगे. बीजेपी के 107 विधायक हैं और इसके अलावा 7 (BSP 2, SP 1, अन्य 4) का भी समर्थन हासिल है. आने वाले उपचुनाव में बीजेपी को बहुमत के लिए सिर्फ 9 विधायकों की जरूरत है. जबकि कांग्रेस को अगर बहुमत चाहिए तो उन्हें क्लीन स्वीप करना होगा. कम से कम 26 सीटें तो जीतनी ही होंगी.
जब से कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई है और बीजेपी सत्ता में आई है, कांग्रेस खार खाई बैठी है. उपचुनाव में कांग्रेस के पास मौका है कि वो बीजेपी को पटखनी दे और फिर से सत्ता में वापसी करे. कांग्रेस को खुद को साबित करने का मौका है, लेकिन राह इतनी आसान नहीं है. वैसे कमलनाथ अपना पूरा जोर लगा रहे हैं. बीजेपी से नाराज लोगों से वो खुद मुलाकात कर रहे हैं. राम मंदिर निर्माण के दौरान भी पूजा पाठ से लेकर हनुमान पूजा तक में वो काफी एक्टिव दिखे थे.
कोरोना संकट के बीचों बीच जब उपचुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ रही है. शिवराज सरकार ने ऐलान किया कि मध्य प्रदेश राज्य की सारी सरकारी नौकरियां अब सिर्फ मध्य प्रदेश के युवाओं को ही मिलेंगी. सरकार इसके लिए जरूरी कानूनी बदलाव करेगी. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि शायद ये बदलाव न्यायिक पचड़े में फंस जाए. लेकिन इतना तय है कि चुनावी दांव चल दिया गया है. बीजेपी और शिवराज ने इस कदम से ये संकेत दे दिया है कि वो अब पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुके हैं.
मध्य प्रदेश में जिन 27 सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से 16 सीटें ग्वालियर चंबल क्षेत्र से आती हैं. यहां जिन सीटों पर कांग्रेस जीती थी वहां से कई सारी सीटों पर बीएसपी ही दूसरे नंबर पर रही थी. मतलब दलित वोट बैंक इस इलाके में काफी अहमियत रखता है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर उपचुनाव में बीएसपी सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करती है तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही होने वाला है और बीजेपी को इस बात का फायदा होगा.
पूरी दुनिया से अभी कोरोना वायरस संकट टला नहीं है. भारत में तो अभी तक हम पीक तक भी नहीं पहुंचे लेकिन मध्य प्रदेश में भारी तादाद में भीड़ जमा करके राजनीतिक गतिविधियों जोरों से हो रही है. पिछले दिनों कांग्रेस से बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों को बीजेपी में शामिल कराने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं. सिंधिया चंबल इलाके में पूरे एक्शन में दिख रहे हैं और कार्यकर्ताओं को बीजेपी की सदस्यता दिला रहे हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया का जहां-जहां दौरा हो रहा है कांग्रेस के कार्यकर्ता काले झंडे दिखाकर, नारे लगाकर, भीड़ इकट्टी करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं और अपनी गिरफ्तारियां दे रहे हैं. ग्वालियर, इंदौर, भोपाल में इस तरह की कई घटनाएं देखने को मिली हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी सिंधिया के विरोध में सड़कों पर उतर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है.
कुल मिलाकर मध्य प्रदेश का ये मिनी चुनाव फुल स्केल पर लड़ा जाएगा और इसके लिए मैदान सज चुका है. ये भले ही मिनी हों लेकिन नतीजों में सत्ता के समीकरण भी बदलने की क्षमता होगी.
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