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मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) की दुर्गति बिहार में सरकार बनने के बाद ही शुरू हो गई थी. उन्हें मंत्री तो बनाया गया लेकिन चूंकि वो खुद अपनी सीट हार गए थे इसलिए उन्हें विधानपरिषद भेजा गया. बीजेपी ने सबसे पहले यहीं पर खेल कर दिया. सुशील मोदी की खाली हुई सीट, जिसका कार्यकाल 4 साल का बचा था, उस पर शाहनवाज हुसैन को भेजा जबकि डेढ़ साल के लिए बची विनोद नारायण झा की सीट पर मुकेश सहनी को परिषद भेजा.
मुकेश सहनी राज्यपाल कोटे से 6 साल के लिए परिषद जाने की उम्मीद लगाए बैठे थे लेकिन उन्हें 6 साल के पूरे कार्यकाल की जगह डेढ़ साल के लिए बची सीट पर विधान परिषद भेजा गया जिसका कार्यकाल इसी साल जुलाई में खत्म हो रहा है. जबकि राज्यपाल कोटे की 12 सीटों में से एक भी सहनी के खाते में नहीं गई.
इसी दौरान बिहार में विधानपरिषद की 24 सीटों पर होने वाले चुनाव में सीट बंटवारे में मुकेश सहनी को एक भी सीट नहीं मिली और उन्होंने बीजेपी के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिए. जबकि जेडीयू का समर्थन करने की घोषणा की.
बोचहां विधानसभा सीट मुकेश सहनी के खाते में थी, वहां से विधायक मुसाफिर पासवान की मौत के बाद हो रहे उपचुनाव में बीजेपी ने ये सीट सहनी को देने की बजाय खुद अपना उम्मीदवार उतार दिया. इसे बीजेपी की सहनी के प्रति नाराजगी के तौर पर देखा गया. इस फैसले से नाराज सहनी ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए इस सीट से अपना उम्मीदवार भी मैदान में उतार दिया और आज बुधवार को ही वो अपने उम्मीदवार के नामांकन में शामिल होने मुजफ्फरपुर गए थे.
उधर सहनी अपने उम्मीदवार का नामांकन करा रहे थे, इधर बीजेपी ने खेल खत्म करने का फैसला लिया और VIP के तीनों विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया. जिसकी सम्भावना काफी दिनों से जताई जा रही थी. चूंकि VIP के सारे विधायक पहले से ही BJP के समर्थक और कार्यकर्ता थे और उन्हें विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे की मजबूरियों की वजह से VIP के टिकट पर चुनाव लड़ाया गया था इसलिए ये BJP के लिए काफी आसान था. VIP के विधायक ज्यादातर मौकों पर सहनी के स्टैंड से इतर खड़े रहते थे. सहनी को अपने विधायकों का भी समर्थन हासिल नहीं था.
मुकेश सहनी ने 2013 में बिहार की सिसायत में कदम रखा और 2014 के लोकसभा और 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का साथ दिया. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मुकेश सहनी ने महागठबंधन का दामन थाम लिया और जब ये लग रहा था कि 2020 के विधानसभा चुनाव में भी वो आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे तब सीट बंटवारे से नाखुश होकर उन्होंने महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही तेजस्वी पर ‘पीठ में छुरा’ मारने का आरोप लगाकर महागठबंधन छोड़ दिया.
जिसके बाद उन्हें BJP ने अपने साथ लिया और सरकार बनाई. हालांकि तेजस्वी लगातार मुकेश सहनी को रीचार्ज कूपन कहते रहे हैं, और बुधवार को जो हुआ उससे इतना तो साफ है कि सहनी का कूपन खत्म हो चुका है.
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Published: 23 Mar 2022,09:37 PM IST