मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019BJP ने कैसे सहयोगी मुकेश सहनी की पूरी पार्टी हथिया ली?2020 से शुरू होती है कहानी

BJP ने कैसे सहयोगी मुकेश सहनी की पूरी पार्टी हथिया ली?2020 से शुरू होती है कहानी

Mukesh Sahni से छीन लिए तीनों विधायक, आखिर बिहार में बीजेपी इतना बड़ा खेल कैसे कर गयी ?

उत्कर्ष सिंह
पॉलिटिक्स
Updated:
<div class="paragraphs"><p>खत्म हुआ मुकेश सहनी का रीचार्ज कूपन, बीजेपी के लिए अब VIP नहीं रहे सहनी</p></div>
i

खत्म हुआ मुकेश सहनी का रीचार्ज कूपन, बीजेपी के लिए अब VIP नहीं रहे सहनी

(फोटो- Altered By Quint)

advertisement

मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) की दुर्गति बिहार में सरकार बनने के बाद ही शुरू हो गई थी. उन्हें मंत्री तो बनाया गया लेकिन चूंकि वो खुद अपनी सीट हार गए थे इसलिए उन्हें विधानपरिषद भेजा गया. बीजेपी ने सबसे पहले यहीं पर खेल कर दिया. सुशील मोदी की खाली हुई सीट, जिसका कार्यकाल 4 साल का बचा था, उस पर शाहनवाज हुसैन को भेजा जबकि डेढ़ साल के लिए बची विनोद नारायण झा की सीट पर मुकेश सहनी को परिषद भेजा.

मुकेश सहनी राज्यपाल कोटे से 6 साल के लिए परिषद जाने की उम्मीद लगाए बैठे थे लेकिन उन्हें 6 साल के पूरे कार्यकाल की जगह डेढ़ साल के लिए बची सीट पर विधान परिषद भेजा गया जिसका कार्यकाल इसी साल जुलाई में खत्म हो रहा है. जबकि राज्यपाल कोटे की 12 सीटों में से एक भी सहनी के खाते में नहीं गई.

इसके बाद बारी आई यूपी चुनाव की जहां मुकेश सहनी ने खुलेआम बीजेपी का विरोध किया, यहां तक कि योगी आदित्यनाथ पर भी काफी तीखे हमले बोले. सहनी को उम्मीद थी कि उन्हें यूपी में 1-2 सीट मिल जाएगी और वो यूपी की राजनीति में भी जगह बना पाएंगे. चुनाव के दौरान सहनी लगातार बीजेपी पर हमलावर रहे.

इसी दौरान बिहार में विधानपरिषद की 24 सीटों पर होने वाले चुनाव में सीट बंटवारे में मुकेश सहनी को एक भी सीट नहीं मिली और उन्होंने बीजेपी के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिए. जबकि जेडीयू का समर्थन करने की घोषणा की.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

बोचहां उपचुनाव से बढ़ी तकरार

बोचहां विधानसभा सीट मुकेश सहनी के खाते में थी, वहां से विधायक मुसाफिर पासवान की मौत के बाद हो रहे उपचुनाव में बीजेपी ने ये सीट सहनी को देने की बजाय खुद अपना उम्मीदवार उतार दिया. इसे बीजेपी की सहनी के प्रति नाराजगी के तौर पर देखा गया. इस फैसले से नाराज सहनी ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए इस सीट से अपना उम्मीदवार भी मैदान में उतार दिया और आज बुधवार को ही वो अपने उम्मीदवार के नामांकन में शामिल होने मुजफ्फरपुर गए थे.

उधर सहनी अपने उम्मीदवार का नामांकन करा रहे थे, इधर बीजेपी ने खेल खत्म करने का फैसला लिया और VIP के तीनों विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया. जिसकी सम्भावना काफी दिनों से जताई जा रही थी. चूंकि VIP के सारे विधायक पहले से ही BJP के समर्थक और कार्यकर्ता थे और उन्हें विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे की मजबूरियों की वजह से VIP के टिकट पर चुनाव लड़ाया गया था इसलिए ये BJP के लिए काफी आसान था. VIP के विधायक ज्यादातर मौकों पर सहनी के स्टैंड से इतर खड़े रहते थे. सहनी को अपने विधायकों का भी समर्थन हासिल नहीं था.

मुकेश सहनी का राजनीतिक करियर

मुकेश सहनी ने 2013 में बिहार की सिसायत में कदम रखा और 2014 के लोकसभा और 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का साथ दिया. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मुकेश सहनी ने महागठबंधन का दामन थाम लिया और जब ये लग रहा था कि 2020 के विधानसभा चुनाव में भी वो आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे तब सीट बंटवारे से नाखुश होकर उन्होंने महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही तेजस्वी पर ‘पीठ में छुरा’ मारने का आरोप लगाकर महागठबंधन छोड़ दिया.

जिसके बाद उन्हें BJP ने अपने साथ लिया और सरकार बनाई. हालांकि तेजस्वी लगातार मुकेश सहनी को रीचार्ज कूपन कहते रहे हैं, और बुधवार को जो हुआ उससे इतना तो साफ है कि सहनी का कूपन खत्म हो चुका है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 23 Mar 2022,09:37 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT