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समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन से सैफई, इटावा, मैनपुरी और फिरोजाबाद के लोग शोक में डूबे हैं. इटावा जहां मुलायम का गृह जनपद रहा, तो फिरोजाबाद उनकी कर्मभूमि. यहां मुलायम के साथ पढ़े और राजनीति में उतरे कई ऐसे चेहरे हैं, जिनके साथ नेताजी ने काम किया.
मुलायम ने इटावा के केके कॉलेज से ग्रेजुशन किया था. उन्होंने राजनीति शास्त्र में BA और MA किया था. साल 1967 में वह UP विधानसभा के सदस्य चुने गए थे, क्विंट की टीम ने मुलायम सिंह के साथी रहे विश्राम सिंह यादव से बात की तो उन्होंने मुलायम सिंह से जुड़े हुए कुछ किस्से सुनाए.
मुलायम सिंह के साथ पढ़े विश्राम सिंह यादव बताते हैं,
विश्राम सिंह यादव आगे बताया कि "एक बार कड़ाके की सर्दियों में मैं मुलायम सिंह यादव से मिलने लखनऊ पहुंच गया. ठंड में मैं हवाई चप्पल पहन पहुंचा, तो वह भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि विश्राम इतनी ठंड में तुम हवाई चप्पल पहन कर पहुंचे हो. मैंने कहा कि तुमसे मिलना था, इसलिए आ गया. वह भी हंसी में टाल गए. इसके बाद उन्होंने मुझे अपनी सरकार में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री बनाया. हम लोग हमेशा दोस्तों की ही तरह रहे. हंसी-ठिठोली भी कर लिया करते थे. इसी होली पर मैं इटावा में उनकी कोठी पर उनसे मिलने पहुंचा था. उन्होंने मेरा हालचाल लिया, बोले कि तुम बहुत कमजोर हो गए हो. मैंने कहा कि उम्र दोनों की ढल रही है. आप भी कमजोर होते जा रहे हैं. उसके बाद से उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया.”
"जब हम बोल-बोल कर प्रश्न-उत्तर याद करते थे, वे सुनकर ही तैयार कर लेते थे. इसी तैयारी के आधार पर वह पेपर दे आते थे. उनका रिजल्ट भी हमारे बराबर आता था. इसी तरह वह एक बार जिस व्यक्ति से ढंग से मिल लेते थे, उसको भी नहीं भूलते थे. वह ज्यादातर लोगों काे उनके नाम से बुलाते थे.”
विश्राम सिंह यादव बताते हैं, “मुलायम सिंह यादव शुरू से ही खाने के शौकीन थे. उन्हें आम बहुत पसंद थे. हम लोग जब भी इटावा, फिरोजाबाद या आसपास कहीं खाने के लिए रुकते तो नेताजी के लिए बाल्टी में भरकर आम रखे जाते थे. वह हमेशा सादे खाने को ही प्राथमिकता देते थे. मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उनके लिए विशेष तौर पर दाल, चावल, सब्जी, रोटी ही बनाई जाती थी. खाने के दौरान हमेशा अपने दोस्तों के साथ पुरानी यादों पर ही चर्चा करते थे.”
(इनपुट:शुभम श्रीवास्तव)
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