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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कद्दावर नेता नारायण राणे ने अपने जीवन पर लिखी किताब ‘झंझावात’ लॉन्च की है. इस किताब में नारायण राणे ने अपने जिंदगी के कई पहलुओं को उजागर किया है. किताब के विमोचन के दौरान राणे ने कहा, ‘‘दिल्ली जाने का फैसला मेरा नहीं था, कुछ राजनीतिक मजबूरियां थीं, जिसकी वजह से मुझे दिल्ली जाना पड़ा, मैं वहां खुश नहीं हूं. मैं महाराष्ट्र में रहकर लोगों की सेवा करना चाहता हूं.’’
मुंबई के वायबी चव्हाण सेंटर में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में किताब का विमोचन किया गया. नारायण राणे की इस किताब में उन्होंने कई ऐसी बातों का जिक्र किया है जो पब्लिक डोमेन में सामने अब तक नहीं आई हैं.
नारायण राणे की किताब का विमोचन लोकसभा चुनाव से पहले की तैयार थी. राणे ने इस बात की भी कोशिश की थी कि सीएम फडणवीस के हाथों से इस किताब का विमोचन हो. राणे के करीबी बतातें हैं कि कई बार वक्त मांगने के बाद भी सीएम फडणवीस इस विमोचन के लिए समय नहीं निकाल सके.
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि फडणवीस ने सोची-समझी रणनीति के तहत इस प्रोग्राम से दूसरी बनाई. दरअसल महाराष्ट्र में कुछ महीनों बाद चुनाव होने हैं और बीजेपी और शिवसेना मिलकर गठबंधन में ये चुनाव लड़ने वाली है, ये तय माना जा रहा है. ऐसे में राणे के संबंध शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से जैसे रहे हैं, उसे देखते हुए फडणवीस इस प्रोग्राम में जाकर गठबंधन में अलग संदेश जाने की संभावना हो सकती थी. शायद ये एक वजह हो सकती है कि फडणवीस ने दूसरी बनाई?
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने राणे के कांग्रेस में शामिल होने का एक किस्सा बताया, जिसे सुनकर सभागार में मौजूद सभी लोग जमकर हंसे. पवार ने बताया की राणे ने शिवसेना छोड़ने का फैसला तो किया था, लेकिन जाना कहां था, ये तय नहीं किया था. एनसीपी या कांग्रेस में, ये समझ नहीं आ रहा था कि कहां जाएं. तब उन्होंने एनसीपी और कांग्रेस के नाम की पर्ची बनाई, उनमें से एक को खोला, जिस पर कांग्रेस लिखा था. ऐसा करके राणे ने कांग्रेस का दामन थामा था.
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Published: 16 Aug 2019,01:37 AM IST