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गुरुवार शाम को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में जब नरेंद्र मोदी दूसरी बार पीएम पद की शपथ ली तो देश के लिए ऐतिहासिक क्षण था. शपथ लेने के साथ ही नरेंद्र मोदी नया रिकॉर्ड बनाया. मौजूदा पीढ़ी ने पहली बार इतना ताकतवर पीएम देखा है. आज सरकार और पार्टी से लेकर विपक्ष तक मोदी ही ‘सर्वशक्तिमान’ हैं . देश की जनता के बीच तो उनकी कल्ट इमेज है. चुनाव नतीजे में जो सांसद चुन कर आए हैं, उन पर गौर करें तो पता चलेगा कि नरेंद्र मोदी को कहीं से कोई चुनौती नहीं है.
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2019 में 303 सीटें हासिल की हैं, लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि इनमें से 131 सांसद पहली बार चुन कर आए हैं. कोई बैंक अफसर बनने की तैयारी कर रही थी और सांसद चुन ली गई तो कोई नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ी और सांसद बन गई. कोई 28 साल का युवा सांसद. कोई रिटायर क्रिकेटर था तो कोई भोजपुरी स्टार. उन राज्यों से भी भारी तादाद में बीजेपी के सांसद चुन कर आए जहां पिछले ही साल सरकार गिरी थी. इन सबकी जीत के पीछे मोदी नाम की ताकत थी. अब जब ये चुनकर संसद में आए हैं तो जरूर अपने नेता की हर बात को फॉलो करना चाहेंगे. ऐसे और इतनी संख्या में ‘आज्ञाकारी’ सांसद किसी पार्टी लीडर को अर्से बाद मिले हैं.
पीएम मोदी की पहली पारी में भी पार्टी के अंदर उनसे ताकतवर कोई नहीं था. लेकिन अब तो पूरा मैदान ही साफ हो गया है. वेटरन्स की विदाई पहले ही हो चुकी थी. आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा पहले ही साइडलाइन हो चुके थे. अब अरुण जेटली भी सामने से कह चुके हैं कि वो अगली सरकार में भूमिका नहीं लेना चाहते. सुषमा स्वराज के सामने भी सेहत को लेकर चुनौतियां हैं. ले देकर अब नितिन गडकरी और राजनाथ ही रह गए हैं लेकिन नरेंद्र मोदी का कद इनसे कहीं बड़ा है. अमित शाह हैं लेकिन वो पीएम मोदी के शैडो में रहना पसंद करते आए हैं और रहेंगे भी.
48 साल बाद देश में पीएम मोदी ने इतिहास रचा है. जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी तीसरे शख्स हैं, जो लगातार दूसरी बार बहुमत की सरकार बनाने जा रहे हैं. साथ ही आजाद भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब कोई गैर-कांग्रेसी पार्टी लगातार दूसरी बार बहुमत से सरकार बनाएगी. यानी अर्से बाद ऐसा हो रहा है जब एक मौजूदा पीएम के लिए एंटी इनकमबेंसी नहीं प्रो इनकमबेंसी के हालात हैं.
1971 में पीएम इंदिरा गांधी के बाद देश ने कोई और ऐसा पीएम नहीं देखा जिसका कद इतना बड़ा हो. तब पार्टी से लेकर सरकार और पब्लिक में इंदिरा की इमेज लार्जर दैन लाइफ थी. अब फिर से वही हालात हैं. पीएम मोदी की इमेज कल्ट की कैटेगरी में आ चुकी है. मोदी की लोकप्रियता के विपक्ष ही नहीं पक्ष वाले भी ईर्ष्या करने लगे हैं.
अभी-अभी खत्म हुए चुनाव में भी सिर्फ एक मुद्दा था- मोदी. एक तरफ था पूरा विपक्ष, सारे मुद्दे और दूसरी तरफ थे अकेले मोदी. और मोदी ने सारे नेताओं, सारे मुद्दों को बुरी तरह हराया. टीवी चैनलों से लेकर अखबारों तक और सोशल मीडिया से लेकर पार्टी की प्रचार सामग्री तक मोदी ही मोदी छाए रहे. कोई ताज्जुब नहीं कि समर्थकों से लेकर विरोधियों के दिमाग में हर वक्त एक ही तस्वीर रहती है, मोदी की तस्वीर. पब्लिक को ब्रांड मोदी पर इतना भरोसा है कि वो नोटबंदी में कोई भी तकलीफ झेलने के लिए तैयार है. रोजगार न मिले तो भी यही कहती है - ये तो ठीक है लेकिन मोदी नहीं तो कौन?
चुनाव के बाद विपक्ष का हाल सबके सामने है. गैर बीजेपी मोर्चे का हवाई किला टूट चुका है. दूसरे नंबर की सबसे बड़ी पार्टी अपने ही मसले नहीं सुलझा पा रही है. राहुल गांधी अध्यक्ष पद पर रहना ही नहीं चाहते. ममता का महल टूटता जा रहा है. कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस में दरार है तो एमपी-राजस्थान में कांग्रेस के अंदर ही रार है. यूपी में समाजवादी पार्टी अपना घर ठीक करने में जुटी है. दिल्ली में केजरीवाल को समझ नहीं आ रहा कि गड़बड़ी कहां हुई.
कुल मिलाकर इस वक्त गैर बीजेपी दलों में एक ऐसा नेता नहीं जो मोदी के 56 इंच के सीने के सामने सीना तानकर खड़ा हो सके.
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Published: 30 May 2019,02:49 PM IST