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वीडियो एडिटर: कनिष्क दांगी
पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजी चिट्ठी में नवजोत सिंह सिद्धू ने लिखा है कि आदमी के चरित्र का पतन समझौते से उपजता है. और वो पंजाब के भविष्य के साथ कभी कोई समझौता नहीं कर सकते.
कुछ दिन पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी इस्तीफा दिया था. जिनका सिद्धू से 36 का आंकड़ा रहा है. सिद्धू के इस्तीफा देते ही पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चुटकी ली और कहा कि मैंने कहा था ना कि ये आदमी स्थिर नहीं है और पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य के लिए उपयुक्त नहीं है.
लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ जो सिद्धू समझौता न करने जैसी बातें करने लगे और कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद उन्हें खुद भी रिजाइन करना पड़ा? इसके पीछे 3 कारण गिनाए जा रहे हैं.
1. सिद्धू खफा हैं कि क्योंकि पार्टी ने न तो उन्हें सीएम बनाया, न अगले चुनाव के लिए पंजाब सीएम का चेहरा
2. चूंकि पंजाब कैबिनेट में विभागों के बंटवारे के बाद सिद्धू ने इस्तीफा दिया है, तो कयास ये भी लगाया जा रहा है कि शायद उनकी पसंद के लोगों को मंत्री नहीं बनाया गया. कहा जा रहा वो दागी चेहरों को मंत्री बनाने और पुराने मंत्रियों को मंत्रिमंडल में जगह देने से खफा हैं.
3. तीसरी वजह ये बताई बताई जा रही है सिद्धू इस बात से भी खफा हैं कि एपीएस देओल को एडवोकेट जनरल और इकबाल प्रीत सिंह सहोटा को डीजीपी बनाया गया. 2015 में ग्ररु ग्रंथ साहिब के साथ बेअदबी वाले केस में आरोपियों की वकालत देओल ने की और सहोटा ने सीनियर पुलिस अफसर रहते हुए आरोपियों से नरमी बरती.
लेकिन क्या बात सिर्फ इतनी है जितनी सामने से दिख रही है. जरा क्रोनोलॉजी समझिए...
पंजाब में कांग्रेस के विधायक लंबे समय से कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराज चल रहे थे.
पार्टी आलाकमान ने प्रियंका गांधी के कहने पर कैप्टन के विरोधी सिद्धू को पंजाब का अध्यक्ष बनाया ताकि चेक एन्ड बैलेंस बना रहे.
चुनाव से पहले सीएम को लेकर जबरदस्त नेगेटिव फीडबैक से पार्टी आलाकमान को चिंता हुई और सिद्धू के सहारे उन्होंने कैप्टन को बोल्ड कर दिया.
कैप्टन के इस्तीफे के बाद सिद्धू को ये उम्मीद जगी कि अब सीएम की कुर्सी उनकी है, लेकिन हाईकमान को ये मंजूर न हुआ.
पार्टी ने सीएम पद के लिए उनकी जगह एक दूसरे जट सिख का नाम आगे लाया तो सिद्धू को नाराजगी हुई और अपने सलाहकारों के कहने पर उन्होंने दलित चेहरे चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर सहमति दे दी.
और यहीं सिद्धू हिट विकेट हो गए. जानकर बताते हैं कि ये राहुल गांधी की सोची समझी रणनीति थी. लेकिन सिद्धू को ये लगता रहा कि सब कुछ उनके हिसाब से हो रहा है.
अगर कोई जट सिख पंजाब का सीएम बनता तो आगामी चुनाव में उसे रिप्लेस कर सिद्धू मुख्यमंत्री बन सकते थे. लेकिन चन्नी को सीएम बनाकर राहुल गांधी ने सिद्धू के पर कतर दिए.
पंजाब में दलितों की आबादी एक तिहाई है, चन्नी इस वक्त देश के इकलौते दलित मुख्यमंत्री हैं और खुद कांग्रेस पार्टी भी इसका जोर-शोर से प्रचार कर रही है.
तो सवाल ये है कि कुछ महीने बाद होने वाले चुनाव में अगर कांग्रेस को बहुमत मिलता है, तो क्या चन्नी को हटाना इतना आसान होगा?
देर से ही सही लेकिन शायद इसका जवाब सिद्धू को बखूबी समझ आ गया है,
सीएम न बन पाने और अगले चुनाव में सीएम फेस बनने का सपना भी टूटने के बाद सिद्धू इस दांव के लिए वजहें ढूंढ रहे थे. पोर्टफोलियो बंटवारे और सहोटा, देओल की तैनाती से सिद्धू को वो मौका मिल गया.
कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक पार्टी आलाकमान ने एक बॉल से दो विकेट गिरा दिए हैं. पहले सिद्धू के सहारे कैप्टन की गिल्लियां उड़ाई और अब सिद्धू को ही हिट विकेट करा दिया. अब कांग्रेस पंजाब चुनाव में सरकार और पार्टी दोनों ही स्तर पर नए चेहरों के साथ जाएगी.
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Published: 28 Sep 2021,07:25 PM IST