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गुजरात चुनाव में बीजेपी को जमकर टक्कर देने वाली कांग्रेस पार्टी को अगर शरद पवार की एनसीपी और मायावती की बीएसपी का साथ मिला होता, तो नतीजों की तस्वीर बदल सकती थी. मगर ये हो न सका. नतीजा- कांग्रेस विपक्ष में है और बीजेपी सरकार बनाने जा रही है.
चुनाव परिणामों की बारीक पड़ताल कई ऐसे बड़े राज खोलती है कि एनसीपी और बीएसपी ने गुजरात की कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया या कहें कि बीजेपी का काम बना दिया.
एनसीपी केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार का हिस्सा रही है और बीएसपी बाहर से समर्थन देती रही है. लेकिन हर जगह बीजेपी का विरोध करने वाली ये दोनों पार्टियां गुजरात में कांग्रेस के लिए वोटकटवा साबित हुई. एनसीपी को सिर्फ एक सीट मिली, जबकि बीएसपी के हाथ कुछ नहीं आया. लेकिन इन दोनों ने कांग्रेस को अच्छा-खासा नुकसान पहुंचाया.
सौराष्ट्र के बोटाद में कांग्रेस महज 906 वोट से चुनाव हार गई. लेकिन अगर कांग्रेस को बीएसपी और एनसीपी का साथ मिलता तो वह इस सीट पर एक हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल कर सकती थी.
अहमदाबाद की ढोलका सीट पर कांग्रेस महज 327 वोट से चुनाव हार गई. अगर बीएसपी और एनसीपी के उम्मीदवार न होते, तो वह वहां कांग्रेस करीब 4000 वोटों से जीत हासिल कर सकती थी.
इस सीट पर कांग्रेस कुल 2,711 वोटों से हार गई. लेकिन बीएसपी-एनसीपी का सहयोग मिलने पर कांग्रेस करीब एक हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल कर सकती थी.
पंचमहल की गोधरा सीट पर कांग्रेस कुल 258 वोटों से चूक गई. लेकिन बीएसपी-एनसीपी का साथ मिलता तो कांग्रेस इस सीट पर करीब एक हजार वोटों से जीत हासिल कर सकती थी.
इस सीट पर कांग्रेस 1,712 वोटों से हार गई. लेकिन बीएसपी-एनसीपी से सहयोग मिलने की स्थिति में कांग्रेस इस सीट पर जीत हासिल कर सकती थी.
पोरबंदर सीट पर कांग्रेस के बड़े नेता अर्जुन मोढवाडिया को बीजेपी के बाबूभाई बोखीरिया ने जीत हासिल की. उन्हें कुल 72,430 वोट हासिल हुए. यहां कांग्रेस 70,575 वोट हासिल कर दूसरे नंबर पर रही. इस सीट पर बीएसपी ने 4337 वोट हासिल किए. यानी कांग्रेस को बीएसपी का साथ मिलता तो वो करीब ढाई हजार वोटों से जीत हासिल कर सकती थी.
साबरकांठा की प्रांतिज सीट पर बीजेपी के गजेंद्र सिंह परमार ने जीत हासिल की. उन्हें कुल 83,482 वोट हासिल हुए. यहां कांग्रेस 80,931 वोट हासिल कर दूसरे नंबर पर रही. वहीं इस सीट पर एनसीपी को कुल 3718 और बीएसपी को 1079 वोट हासिल हुए.
यानी करीब ढाई हजार वोट से चुनाव हारने वाली कांग्रेस बीएसपी और एनसीपी के सहयोग से इस सीट को भी अपने खाते में जोड़ सकती थी.
राजकोट रूरल सीट पर बीजेपी ने 92,114 वोट के साथ जीत हासिल की. यहां कांग्रेस कुल 89,935 वोट हासिल कर दूसरे नंबर पर रही. इस सीट पर बीएसपी को 3323 और एनसीपी को 880 वोट हासिल हुए.
आणंद की उमरेठ विधानसभा सीट पर बीजेपी ने 68,326 वोट पाकर जीत हासिल की. यहां कांग्रेस 66,443 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रही. इस सीट पर एनसीपी ने 35,051 वोट हासिल किए. यानी 1800 वोट से चुनाव हारने वाली कांग्रेस एनसीपी के साथ से बड़े अंतर से जीत हासिल कर सकती थी.
मेहसाणा की विजापुर सीट पर बीजेपी ने 72,326 वोट पाकर जीत हासिल की. यहां कांग्रेस 71,162 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही. इस सीट पर बीएसपी को कुल 621 और एनसीपी को 1037 वोट हासिल हुए.
10 सीटों का जिक्र ऊपर किया जा चुका है. ऐसे में गुजरात का चुनावी गणित साफ दिखाता है कि ग्रैंड ओल्ड पार्टी के नाम से पहचानी जाने वाली और ग्रैंड ओल्ड यंग पार्टी का चोला ओढ़ने को लालायित कांग्रेस गुजरात के मैदान में बस...चूक ही गई.
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