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संसद के बजट सत्र में केंद्र सरकार की तरफ से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र संशोधन विधेयक (2021) पेश किया गया. जिसे लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी पास करा दिया गया है. विधेयक को लेकर राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ और विपक्षी दलों ने इसे संविधान के खिलाफ बताया. इस विधेयक में दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकार बताए गए हैं. लेकिन दिल्ली सरकार का कहना है कि ये बिल उपराज्यपाल को ही सरकार बनाने के लिए लाया गया है.
राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि, मैं यहां पर दिल्ली के दो करोड़ लोगों के लिए न्याय मांगने आया हूं. उन्होंने कहा कि देश के संविधान को बचाने के लिए हर सदस्य को आवाज उठानी चाहिए. संजय सिंह ने कहा,
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के संबोधन के बाद राज्यसभा में केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई. तमाम विपक्षी दलों के सांसदों ने तानाशाही मुर्दाबाद और संविधान की हत्या बंद करो के नारे लगाए.
इन आरोपों के जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि हम संविधान के खिलाफ कुछ भी नहीं कर रहे हैं. सिर्फ संशोधन किए जा रहे हैं. जो विवाद चल रहा है, हम उसे दूर करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि, संविधान के अनुसार दिल्ली एक यूनियन टेरेटरी है. हमने भी इस संशोधन के जरिए यही बताया है कि दिल्ली यूनियन टेरेटरी है. इससे दिल्ली के लोगों का भला होगा और प्रशासनिक व्यवस्था बेहतर होगी. सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है, हम उसी पर संशोधन लाना चाहते हैं.
कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र संशोधन विधेयक (2021) को लेकर कहा कि, इस बिल में कम से कम 4 संशोधन लाए जा रहे हैं. इन चारों संशोधनों से चुनी हुई सरकार और जनता के प्रतिनिधियों को छीनकर एलजी के हाथ में देने की मंशा है. इस बिल में एलजी को ही सरकार मानने का प्रावधान है. खड़गे ने आगे कहा-
इन सांसदों के अलावा कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, टीएमसी सांसद डेरेक ओब्रायन, वाईएसआरसीपी के सांसद विजयसाई रेड्डी, आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा और तमाम अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने केंद्र के इस विधेयक को लेकर आलोचना की और इसे संविधान के खिलाफ बताया.
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