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नितिन गडकरी रेल मंत्रालय को लेकर उत्साहित नहीं?

गडकरी बारे में कहा जाता है कि वो टारगेट सेट कर उसे समय से पूरा करने में यकीन रखते हैं

रौनक कुकड़े
पॉलिटिक्स
Published:


नितिन गडकरी को सुरेश प्रभु की जगह रेल मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार मिल सकता है
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नितिन गडकरी को सुरेश प्रभु की जगह रेल मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार मिल सकता है
(Photo: The Quint)

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मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार की चर्चा तेज हो गई है. खबर है कि पितृपक्ष से पहले या बाद में किसी भी समय कैबिनेट का विस्तार संभव है. बीजेपी के सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को सुरेश प्रभु की जगह रेल मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार मिलने की पूरी संभावना है. चर्चा है कि ट्रांसपोर्ट का एक नया मंत्रालय बनेगा, जिसकी कमान गडकरी के हाथ में दी जाएगी.

दरसल 2014 में भी गडकरी को प्रधानमंत्री की ओर से ट्रांसपोर्ट मंत्रालय के साथ रेल और उड्डयन मंत्रालय मिलाकर एक इंटीग्रेटेड मंत्रालय देना का वादा किया गया था, लेकिन वो उस समय हो नहीं सका. लेकिन अब जबकि रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने खुद इस्तीफे की पेशकश की, इसके बाद इस संभावना पर फिर से चर्चा होने लगी है. 

गडकरी ने शुक्रवार को नागपुर में इस बारे में पत्रकारों से कहा कि वे अपने मंत्रालय के काम से पहले ही थक चुके हैं. उन्‍होंने कहा:

हालांकि किसे कौन-सा मंत्रालय देना है, इसका पूरा अधिकार प्रधानमंत्री का है. मैं फि‍लहाल अपने मंत्रालय में ज्‍यादा खुश हूं. मेरे मंत्रालय में ही इतने काम हैं कि उनसे ही फुर्सत नहीं मिलती. अगर नए मंत्रालय की जिम्‍मेदारी मिलती है, तो और मुश्किल होगी. 
नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री

दरअसल, मोदी सरकार में कार्यान्वयन के मामले में अव्‍वल नंबर पाने वालों में गड़करी का नाम काफी आगे रहा है. इंफ्रास्ट्रक्चर के कामों में तेजी लाने के लिए गडकरी को काफी शाबाशी भी मिली है. खुद प्रधानमंत्री ने भी पब्लिक फोरम पर उनकी तारीफ की है.

नितिन गडकरी बारे में कहा जाता है कि वो टारगेट सेट कर उसे समय से पूरा करने में यकीन रखते हैं. साथ ही ब्यूरोक्रेसी से कैसे काम लेना है, इस मामले में भी उनकी तारीफ होती रही है.
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(Photo: Reuters)

ऐसे में रेल मंत्रालय के लिए गडकरी को राइट च्वाइस माना जा रहा है. दरसल मोदी सरकार के लिए रेल मंत्रालय काफी अहम है. प्रधानमंत्री के सपनों की बुलेट ट्रेन हो या हाई स्पीड ट्रेन के प्रोजेक्ट. इसीलिए सूत्रों का मानना है कि प्रधानमंत्री आम चुनाव से पहले अपने कैबिनेट विस्तार में गडकरी को रेल मंत्रालय की बागडोर सौंप सकते हैं. रेलवे में सुधार का राजनीतिक फायदा भी मिल सकता है और 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए यह बड़ी प्राथमिकता है.

लेकिन क्या गडकरी इसके लिए खुद तैयार हैं? द क्विंट को गडकरी के नजदीकी लोगों ने बताया कि गडकरी फिलहाल रेल मंत्रालय को लेकर ज्‍यादा उत्साहित नहीं हैं. उनका कहना है कि वो ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर के तौर पर बनी छवि‍ को डायल्यूट करना नहीं चाहते हैं.

गड़करी के एक करीबी नेता ने हमें बताया:

रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी अगर मिलती है, तो इससे गडकरी पर काम का दबाव और भी बढ़ेगा. हालांकि इस मामले में प्रधानमंत्री का फैसला आखिरी रहेगा, लेकिन नितिन जी बहुत इच्छुक नहीं हैं.

कैबिनेट विस्तार में कौन होगा इन, कौन होगा आउट

बीजेपी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सुरेश प्रभु के रेल मंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश के बाद ये तय माना जा रहा है कि उनसे रेल मंत्रालय ले लिया जाएगा. प्रभु को किसी और मंत्रालय की जिम्मेदारी दी जा सकती है. पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान के प्रमोशन की चर्चा तेज है. उनको कैबिनेट का दर्जा दिया जा सकता है. रेल मंत्रालय के बारे में एक थ्योरी यह भी है कि एक हाई प्रोफाइल ब्यूरोक्रेट को रेलवे बोर्ड का चेयरमैन बनाने के बाद किसी लाइटवेट को इस मंत्रालय की जिम्मेदारी भी मिल सकती है. वो तब होगा, जब गडकरी इस मंत्रालय का जिम्मा उठाने को तैयार नहीं होते हैं.

सहयोगियों को भी मोदी कैबिनेट में किया जाएगा शामिल

जेडीयू के एनडीए में शामिल होने की घोषणा होने के बाद जेडीयू का कैबिनेट में आना तय है. जेडीयू को एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री मिल सकता है. वही पीडीपी और शिवसेना को भी एक-एक कैबिनेट पद मिलने की उम्मीद है.

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