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भीमा कोरेगांव केस में हुई गिरफ्तारियों के खिलाफ और UAPA को रद्द करने की मांग को लेकर कई विपक्षी पार्टियों के नेता 21 अक्टूबर को एक साथ नजर आएं. कांग्रेस, लेफ्ट समेत दूसरी पार्टियों ने एक ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस में कहा कि देश के संवैधानिक मूल्यों को बचाने के लिए एक साथ आने की जरूरत है. इन पार्टियों की मांग है कि UAPA के गलत इस्तेमाल को देखते हुए इसे वापस लिया जाना चाहिए और भीमा कोरेगांव केस में बंद लोगों को रिहा किया जाना चाहिए. 83 साल के ट्राइबल राइट्स एक्टिविस्ट स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी को ध्यान में रखते हुए ये ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी की तरफ से आयोजित किया गया था, जिसमें कांग्रेस, सीपीआई(M), झारखंड मुक्ति मोर्चा, डीएमके, एनसीपी जैसी पार्टियों के नेता शामिल हुए.
इस दौरान झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक्टिविस्ट स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी को 'हिटलरशाही' बताया. उनका कहना है कि जिस तरीके एक्टिविस्ट स्वामी स्टेन को प्रताड़ित किया जा रहा है, ऐसा आज उनके साथ हो रहा है कल किसी के साथ भी हो सकता है.
हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार लोगों की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है और इस सरकार की नीतियों के खिलाफ सभी विपक्षी पार्टियों को साथ आने की जरूरत है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने स्टेन स्वामी की सेहत का हवाला देते हुए कहा कि जिस शख्स ने अपनी जिंदगी के कई साल आदिवासियों की हितों के लिए लगा दिए, ऐसे शख्स को अमानवीय परिस्थितियों में हिरासत में रखना किसी भी लिहाज से सही नहीं हैं. उन्होंने कहा कि स्वामी को जेल की बजाए सम्मान मिलना चाहिए और वो उनके साथ खड़े हैं. थरूर ने सरकार से निष्पक्ष रहने और उन्हें जल्द से जल्द रिहा करने की मांग की है.
डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा कि ऐसे एक्टिविस्ट जो धर्मनिरपेक्षता में भरोसा रखते हैं उन्हें फंसाया जा रहा है.
सीपीआई(एम) नेता सीताराम येचुरी का कहना है कि देश में लगातार UAPA का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. येचुरी ने कहा कि महामारी के बीच स्टेन स्वामी और वरवरा राव जेल में कैद हैं, ये गिरफ्तारी गलत है.
येचुरी ने भी सभी राजनीतिक पार्टियों को केंद्र सरकार के खिलाफ एक साथ आने की बात कही.
बता दें कि पुणे पुलिस के मुताबिक, 31 दिसंबर 2017 को पुणे में यलगार परिषद की सभा के दौरान भड़काऊ भाषण दिए गए थे, जिसके चलते जिले में अगले दिन (एक जनवरी 2018) को भीमा-कोरेगांव युद्ध स्मारक पर जातीय हिंसा भड़क गई थी. 28 अगस्त, 2019 को पुणे पुलिस ने देश के अलग-अलग हिस्सों में छापे मारकर कई गिरफ्तारियां की. कहा गया कि प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रची जा रही थी. इस मामले में कई और गिरफ्तारियां बाद में हुईं.
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