मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019उमर-मुफ्ती पर लगा PSA, चिदंबरम बोले-क्रूर कदम से हैरान,परेशान हूं

उमर-मुफ्ती पर लगा PSA, चिदंबरम बोले-क्रूर कदम से हैरान,परेशान हूं

चिदंबरम ने महात्मा गांधी और सत्याग्रह की पीएम को याद दिलाई.

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
Updated:
पी चिदंबरम ने कहा, पब्लिक सेफ्टी एक्ट के क्रूर आह्वान से हैरान और परेशान हूं.
i
पी चिदंबरम ने कहा, पब्लिक सेफ्टी एक्ट के क्रूर आह्वान से हैरान और परेशान हूं.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) लगाने पर अब पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने नाराजगी जाहिर की है. चिदंबरम ने ट्वीटकर इस कार्रवाई को क्रूर बताया है और हैरानी जताई है. उन्होंने कहा, "उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और अन्य लोगों के खिलाफ पब्लिक सेफ्टी एक्ट के क्रूर आह्वान से हैरान और परेशान हूं."

शुक्रवार को ट्वीट करते हुए चिदंबरम ने कहा,

आरोपों के बिना कैद लोकतंत्र में सबसे घृणास्पद बात है. जब अन्यायपूर्ण कानून पारित किए जाते हैं या अन्यायपूर्ण कानून लागू किए जाते हैं, तो लोगों के पास शांति से विरोध करने के अलावा और क्या विकल्प होता है?
पी चिदंबरम, पूर्व वित्त मंत्री

चिदंबरम ने महात्मा गांधी और सत्याग्रह की पीएम को याद दिलाई

चिदंबरम ने अपने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए पीएम मोदी पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा,

“पीएम का कहना है कि विरोध प्रदर्शन से अराजकता होगी और संसद और विधानसभाओं द्वारा पारित कानूनों का पालन करना चाहिए. वह इतिहास और महात्मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला के प्रेरक उदाहरणों को भूल गए हैं. शांतिपूर्ण प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा के माध्यम से अन्यायपूर्ण कानूनों का विरोध किया जाना चाहिए, वह सत्याग्रह है.”

बता दें कि अब्दुल्ला-मुफ्ती को पिछले साल 5 अगस्त से ऐहतियातन तौर पर हिरासत में लिया गया है. अब इन पर पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया है. बता दें, उनकी छह महीने की एहतियाती हिरासत गुरुवार को खत्म हो रही थी.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

क्या है PSA?

अगर सरकार को शक है कि आप पब्लिक सेफ्टी के लिए खतरा हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं तो आपने भले ही कोई गलत काम नहीं किया हो, लेकिन सरकार को अगर शक होता है तो आपको हिरासत में ले सकती है.

शेख अब्दुल्ला सरकार में लाए गए PSA को 8 अप्रैल, 1978 को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल की मंजूरी मिली थी. PSA को लकड़ी तस्करों पर लगाम कसने के लिए लाया गया था. इस कानून के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति का मामला सरकार को एडवाइजरी बोर्ड के सामने भेजना होता है. बोर्ड को अपना सुझाव आठ हफ्तों में देना होता है. अगर बोर्ड हिरासत को सही ठहराता है, तो सरकार शख्स को बिना ट्रायल के 2 साल तक हिरासत में रख सकती है. शुरुआत में इस कानून के तहत 16 साल से ज्यादा के नाबालिगों को भी हिरासत में लिया जा सकता था.

हालांकि बाद में इसमें संशोधन कर दिया गया, जिसके तहत 18 साल से कम के व्यक्ति को हिरासत में नहीं लिया जा सकता. ‘किसी व्यक्ति की गतिविधि से राज्य को खतरा’ होने की सूरत में या किसी व्यक्ति की गतिविधि से ‘कानून व्यवस्था को बरकरार रहने में खतरा’ होने की स्थिति में भी उसे PSA के तहत हिरासत में लिया जा सकता है. PSA के तहत किसी की हिरासत का आदेश डिविजनल कमिश्नर या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की तरफ से जारी होता है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 07 Feb 2020,10:22 AM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT