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तीन कृषि कानूनों को लेकर लोकसभा में लगातार दूसरे दिन बुधवार को भी हंगामा जारी रहा. विपक्षी सदस्यों ने पिछले साल सितंबर में लागू इन कानूनों को निरस्त करने के लिए नारे लगाए. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने हंगामे की वजह से शाम 4 बजे सदन 4.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. दूसरे स्थगन की घोषणा शाम 5 बजे की गई. लेकिन हंगामा जारी रहा, इसलिए तीसरी बार सदन को शाम 7 बजे तक स्थगित कर दिया गया.
इन संक्षिप्त बैठकों के दौरान, सरकार ने वित्त, श्रम, उद्योग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु बदलाव, यातायात, पर्यटन और संस्कृति पर छह स्थायी समिति की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और शिवसेना उन आठ प्रमुख विपक्षी दलों में शामिल थे, जिन्होंने विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया. विपक्षी पार्टी के नेताओं ने, 'किसान विरोधी बिल वापस लो', 'किसानो पर तानशाही नहीं चलेगी, 'मोदी सरकार- हाय, हाय' जैसे नारे लगाए.
पोडियम के पास खड़े कुछ सांसद 'किसान मारने वाले कानून वापस लो' की तख्तियां पकड़े हुए थे.
वाईएसआरसीपी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सदस्य भी अपनी सीटों से सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे.
बिड़ला ने इस दौरान कार्रवाई करने की धमकी भी दी, लेकिन लगातार विरोध के चलते उन्हें लगभग 70 मिनट की अवधि में संक्षिप्त अंतराल पर तीन बार सदन को स्थगित करने पर मजबूर कर दिया.
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