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संसद के मानसून सत्र का पहला दिन काफी हंगामेदार रहा. पहले दिन जहां नए केंद्रीय मंत्रियों का परिचय कराते हुए विपक्षी नेताओं ने खूब हंगामा किया और नारेबाजी की, वहीं पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) को लेकर भी जमकर बवाल हुआ. जिसके बाद दोनों सदनों की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित करना पड़ा. पहले दिन के संसद सत्र में क्या कुछ हुआ आइए जानते हैं.
संसद सत्र के शरू होने से पहले ही विपक्ष ने कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी की थी. दरअसल विपक्ष सरकार से कृषि कानूनों, बढ़ती महंगाई, पेट्रोल-डीजल की कीमतों और अन्य तमाम मुद्दों पर जवाब मांग रहा था. इन मुद्दों को लेकर लगातार नारेबाजी चलती रही.
मोदी कैबिनेट में पिछले दिनों बदलाव किया गया, जिसके बाद परंपरा के अनुसार पीएम मोदी ने नए मंत्रियों का परिचय संसद में किया, लेकिन इस दौरान विपक्षी दलों ने जमकर नारेबाजी शुरू कर दी और वेल में आ गए. हंगामे के चलते नए मंत्रियों का परिचय भी पूरा नहीं हो पाया. संसद सत्र के पहले ही दिन लोकसभा को दो बार और राज्यसभा को तीन बार स्थगित करना पड़ा. हंगामा बढ़ता देख दोनों सदनों को दूसरे दिन तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
विपक्ष के विरोध के बाद सरकार की तरफ से भी इसका जवाब दिया गया. खुद प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में विपक्ष पर जमकर हमला बोला. पीएम मोदी ने कहा कि,
उन्होंने कहा कि, "बड़ी संख्या में किसान, महिला, दलित, ओबीसी समाज के लोग मंत्री बने हैं. खुशी होती अगर उनका स्वागत किया जाता लेकिन कुछ लोगों को यह रास नहीं आता."
पीएम मोदी के अलावा बीजेपी नेता और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने भी नाराजगी जताते हुए कहा कि, सदन में नए मंत्रियों का परिचय कराने की परंपरा नेहरू के वक्त से चला आ रही है. लेकिन विपक्ष ने इस परंपरा को तोड़ने का काम किया. इसे तोड़ना लोकतंत्र की परंपराओं को नुकसान पहुंचाने वाला है.
केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी विपक्षी दलों की आलोचना की. उन्होंने कहा कि अब तक उनके संसदीय कार्यकाल में ऐसा पहले कभी नहीं देखा, जब पीएम को मंत्रिमंडल का परिचय नहीं कराने दिया गया हो. राजनाथ सिंह ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
तमाम मुद्दों के साथ मानसून सत्र से ठीक पहले विपक्ष को एक और बड़ा मुद्दा मिल गया है. मानसून सत्र के पहले दिन पेगासस प्रोजेक्ट का मुद्दा भी खूब उछाला गया. जिसमें कई नेताओं और पत्रकारों के जासूसी के आरोप लगाए गए हैं. विपक्ष के आरोपों के बाद संसद में केंद्रीय आईटी मंत्री अश्वनी वैष्णव ने इसे लोकतंत्र को बदनाम करने की कोशिश बताया. उन्होंने लोकसभा में जवाब देते हुए कहा कि, पेगासस प्रोजेक्ट' के आरोप "हमारे लोकतंत्र और सुस्थापित संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश लगते हैं".
पिछले कुछ महीने में जो कुछ हुआ है उससे कहीं न कहीं सरकार बैकफुट पर दिखी है. फिर चाहे वो बढ़ती महंगाई हो, पेट्रोल डीजल की कीमतें हों या फिर देश में वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार... तमाम मुद्दों पर सरकार ज्यादा कुछ नहीं कर पाई है. इसीलिए विपक्ष के पास मानसून सत्र में यही तमाम मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर वो मोदी सरकार को घेरने की तैयार कर रहा है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जो अव्यवस्थाएं फैली थीं, उन्हें लेकर भी विपक्ष सरकार से सवाल पूछ सकता है.
वहीं अगर सरकार की बात करें तो वो इस सत्र में तमाम अहम बिल पास कराने के मूड में है. इनमें से कुछ बिलों को लेकर अभी से विरोध शुरू हो चुका है. जिनमें किसानों के पराली जलाने पर सजा के प्रावधान वाले बिल और आयुध कारखानों में हड़ताल पर रोक व ऐसा करने पर सजा के प्रावधान वाला बिल शामिल है. इसके अलावा अगर नई जनसंख्या नीति का मुद्दा छिड़ता है तो दोनों सदन हंगामेदार रह सकते हैं. सत्र के पहले दिन ने ये बता दिया है कि विपक्ष पूरी तरह सरकार को बैकफुट पर धकेलने के मूड में है.
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