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24 अक्टूबर को एक बार फिर गुपकार घोषणा ( (पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन)) की बैठक हुई. श्रीनगर में हुई इस बैठक के बाद सज्जाद लोन ने कहा कि पीपुल अलायंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला होंगे और उपाध्यक्ष होंगी महबूबा मुफ्ती. लोन का कहना है कि जो 'झूठ' जम्मू-कश्मीर के लोगों के खिलाफ फैलाए जा रहे हैं उन्हें ध्यान में रखते हुए दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं जो करीब एक महीने में पूरे हो जाएंगे. वहीं बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि ये जमात कोई एंटी-नेशनल जमात नहीं है, इसका मकसद सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनका अधिकार वापस दिलाना है. ये कोई धार्मिक लड़ाई नहीं है.
जम्मू-कश्मीर की एक सड़क का नाम है गुपकार, जिस सड़क पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला का घर स्थित है. बैठक उनके घर पर हुई थी, इसीलिए इसे गुपकार समझौते का नाम दे दिया गया. अब अगर गुपकार समझौते को समझना है तो इसके लिए एक साल पहले जाना होगा. पिछले साल यानी 2019 में अगस्त महीने की शुरुआत में ही जम्मू-कश्मीर में हलचल दिखनी शुरू हो गई.
कश्मीर में अचानक कई हजार जवानों की तैनाती होने लगी. साथ ही तमाम पर्यटकों के लिए एडवाइजरी जारी हो गई और कहा गया कि वो जल्द से जल्द कश्मीर से वापस लौट जाएं. अमरनाथ यात्रा को भी रोक दिया गया. इसके बाद जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने कहीं न कहीं ये अंदाजा लगा लिया कि कुछ तो बड़ा होने वाला है.
आर्टिकल 370 हटाने के प्रस्ताव पेश होने से ठीक एक दिन पहले यानी 4 अगस्त 2019 को करीब 8 स्थानीयत दलों ने फारूक अब्दुल्ला के गुपकार रोड स्थित घर पर एक बैठक बुलाई. इस बैठक में एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसे गुपगार समझौते का नाम दिया गया.
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