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सीवोटर और इंडिया टुडे ग्रुप ने अपने सर्वे "मूड ऑफ नेशन/ Mood of the Nation survey" में बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को लोकसभा चुनाव 2024 में स्पष्ट बहुमत मिलने की भविष्यवाणी की है. इसका मतलब यह होगा कि नरेंद्र मोदी पीएम के तौर पर अपना तीसरा कार्यकाल जीतने के लिए पूरी तरह तैयार हो सकते हैं.
यदि ऐसा होता है, तो नरेंद्र मोदी, जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीन लोकसभा चुनाव जीतने वाले दूसरे प्रधान मंत्री बन जायेंगे.
सर्वे के अनुसार, एनडीए 335 सीटें जीत सकता है- 2019 में जीते 353 से 18 सीट कम. दूसरी ओर विपक्षी दलों का गठबंधन- इंडिया ब्लॉक 166 सीटें जीत सकता है. कांग्रेस 71 सीटें जीत सकती है, जो 2019 में जीते 52 सीटों से 19 अधिक है. यदि ऐसा होता है, तो कांग्रेस अंततः विपक्ष के नेता का पद हासिल करने में सक्षम होगी- पिछले दो चुनावों में उसे यह पद नहीं मिल सका है.
अगर वोट शेयर की बात करें, सर्वे में एनडीए के लिए 45 प्रतिशत और इंडिया ब्लॉक के लिए 38 प्रतिशत वोट शेयर की भविष्यवाणी की गई है. हालांकि, यदि पार्टी-वार देखें तो अंतर स्पष्ट है. सर्वे में बीजेपी को 40 फीसदी और कांग्रेस को 19 फीसदी वोट शेयर मिलने का अनुमान लगाया गया है.
सर्वे के अनुसार, राम मंदिर, आर्टिकल 370 को निरस्त करना और कोरोना से निपटने जैसे मुद्दे सरकार के पक्ष में काम कर रहे हैं. वहीं बेरोजगारी सरकार के खिलाफ जाने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है.
सर्वे में उत्तर भारत में एनडीए की लहर और पूर्व और पश्चिम में मजबूत प्रदर्शन की भविष्यवाणी की गई है. जबकि विपक्ष के दक्षिण में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है.
कई राज्यों में, भविष्यवाणियां 2019 के नतीजों के समान हैं - जैसे कि राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और झारखंड में बीजेपी की एकतरफा जीत या लगभग पूर्ण जीत. वहीं तमिलनाडु, केरल और तमिलनाडु में विपक्षी गठबंधन की जीत और पंजाब में दमदार प्रदर्शन का अनुमान लगाया गया है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर और मध्य प्रदेश में अनुमानित आंकड़े भी पिछले चुनाव के समान हैं.
पिछली बार के नतीजों से अलग आंकड़ें निम्नलिखित राज्यों में दिखने के अनुमान हैं:
महाराष्ट्र: इंडिया ब्लॉक को 26 सीटें मिलने का अनुमान है. जबकि 2019 में यूपीए को 7 सीटें मिली थीं. वहीं एनडीए को 2019 के 41 से 19 सीटें गिरकर 22 पर सिमट जाने का अनुमान लगाया गया है.
उत्तर प्रदेश: एनडीए को अपनी 2019 की 64 सीटों से बढ़कर इसबार 72 होने की उम्मीद है. जबकि यहां विपक्ष सिर्फ आठ पर सिमट सकता है.
बिहार: एनडीए 39 से घटकर 32 पर आ सकता है. वहीं विपक्ष 1 सीट से बढ़कर आठ पर पहुंच सकता है.
तेलंगाना: कांग्रेस 3 से बढ़कर 10 पर और बीआरएस 9 से घटकर 3 पर आ सकती है.
असम: एनडीए 9 से बढ़कर 12 पर पहुंच सकता है और कांग्रेस पिछली बार की 3 सीटों से घटकर 2 सीटों पर आ सकती है.
कर्नाटक: कांग्रेस 1 से बढ़कर 4 तक जा सकती है.
आंध्र प्रदेश: सर्वे के अनुसार राज्य में बड़ा बदलाव हो सकता है. वाईएसआरसीपी 22 सीटों से घटकर 8 पर आ सकती है. टीडीपी सहयोगियों के साथ 17 सीटों तक जा सकती है. 2019 में उसके पास केवल तीन सीटें थीं.
हरियाणा में बीजेपी की कीमत पर कांग्रेस को दो सीटों का मामूली फायदा होने की उम्मीद है.
मोदी सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर लगभग ना के बराबर है, जिसके परिणामस्वरूप बीजेपी को 2019 की अपेक्षा सीटों में मामूली कमी का सामना करना पड़ सकता है.
हालांकि, बीजेपी अपने मिशन से बहुत दूर नजर आ रही है. पीएम मोदी ने पार्टी के 'मिशन 370' या एनडीए के लिए 400 सीटों का लक्ष्य घोषित किया है.
सर्वे की माने तो बीजेपी ने तमिलनाडु, तेलंगाना, पंजाब, आंध्र प्रदेश, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे उन राज्यों में बहुत सीमित पैठ बनाई है जहां वह कमजोर है. ऐसा तब होता दिख रहा है जब प्रधानमंत्री मोदी ने इनमें से कुछ राज्यों, विशेषकर दक्षिण के दौरे पर विशेष ध्यान दिया है.
विपक्ष को मुख्य लाभ उन राज्यों में होता दिख रहा है, जहां उसके मजबूत गठबंधन हैं. जैसे कि महाराष्ट्र.
कर्नाटक और हरियाणा में मामूली लाभ को छोड़कर, कांग्रेस लगभग उन सभी राज्यों में बुरी तरह संघर्ष करती दिख रही है, जहां उसका बीजेपी के खिलाफ सीधा मुकाबला है.
'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' पूर्वी भारत के अधिकांश हिस्सों से गुजर चुकी है लेकिन इससे विपक्षी गठबंधन को कोई फायदा नहीं हो रहा है. पूर्व में इंडिया ब्लॉक को मिलती दिख रही अधिकांश सीट तृणमूल कांग्रेस की मदद है, जिसने इस यात्रा में भाग भी नहीं लिया.
उत्तर प्रदेश बीजेपी के लिए सबसे मजबूत राज्य और विपक्षी गठबंधन की सबसे कमजोर कड़ी है. इंडिया ब्लॉक में शामिल सभी गैर-कांग्रेसी दलों में से समाजवादी पार्टी सबसे ज्यादा संघर्ष करती नजर आ रही है.
बीजेपी की सीटों में बढ़ोतरी उन राज्यों में अधिक है जहां उसके पास मजबूत क्षेत्रीय नेता भी हैं: जैसे यूपी और असम.
अगर अभी के आंकड़ों को आधार बनाए तो इस सवाल का जवाब है- हां. सीवोटर सर्वे के अनुसार, विपक्ष ने महाराष्ट्र में गठबंधन के अंकगणित से संभावित लाभ प्राप्त कर लिया है. एक तरफ तो नीतीश कुमार के जाने से बिहार में गणित अब उनके पक्ष में नहीं है, लेकिन फिर भी वहां विपक्ष को कुछ सीटों का फायदा होने का अनुमान है.
जब तक कांग्रेस उन राज्यों में खराब प्रदर्शन करती है, जहां उसका सीधा मुकाबला बीजेपी से है और यूपी में एसपी का प्रदर्शन खराब रहता है, तब तक विपक्ष के लिए एनडीए के करीब आने का कोई रास्ता नहीं है.
केवल बेरोजगारी और आजीविका पर केंद्रित एक मजबूत कैंपेन ही विपक्ष को बीजेपी की बढ़त को कम करने और आधे के आंकड़े से नीचे लाने में मदद कर सकता है.
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