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पीएम मोदी ने 'ओम' और 'गाय' को लेकर विपक्ष की आलोचना की, तो विपक्षी नेताओं ने पलटवार शुरू कर दिया है. पीएम ने मथुरा में कहा, "हमारे देश में कुछ लोगों के कान पर अगर 'ओम' और 'गाय' शब्द पड़ता है तो उनके बाल खड़े हो जाते हैं, गाय का नाम सुनते ही करंट लग जाता है." इस बयान पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि आपके कान तब खड़े हो जाने चाहिए जब गाय के नाम पर इंसानों को मारा जाता है.
ओवैसी ने कहा-
पीएम मोदी के बयान पर कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, "ओम का अस्तित्व बीजेपी और आरएसएस से पहले भी था. मोदी राजनीतिक एजेंडे के लिए ओम का भगवाकरण कर रहे हैं. उनको ये बताना चाहिए कि पशुओं के लिए उनकी सरकार ने क्या किया है?"
वहीं कांग्रेस की प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने भी पीएम मोदी के बयान पर आपत्ति जताई है. शमा ने कहा, "ओम और गाय जैसे शब्दों से किसी को आपत्ति नहीं है. लेकिन देश का दुर्भाग्य है कि कुछ लोगों के कान पर 'इकनॉमी' और 'बेरोजगारी' शब्द पड़ता है, तो वो खामोश पड़ जाते हैं. उन लोगों का क्या मोदी जी?"
मोदी के बयान को लेकर लेफ्ट पार्टियों ने भी सवाल उठाए हैं. सीपीआई नेता डी राजा ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ओम और गाय के नाम पर क्या संदेश देना चाहते हैं? ओम और गाय के नाम पर बीजेपी लोकतंत्र को बर्बाद कर रही है."
डी राजा ने आगे कहा, "प्रधानमंत्री को इंसानों की बात करनी चाहिए. देश में आर्थिक मंदी है, वह लोगों की समस्याओं को सुनने की बजाए ओम और गाय के नाम पर सरकार की आलोचना करने वालों पर निशाना साध रहे हैं."
11 सितंबर को पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश के मथुरा में राष्ट्रीय पशुरोग उन्मूलन कार्यक्रम में हिस्सा लिया. उन्होंने मथुरा की वेटरनरी यूनिवर्सिटी में पहुंचकर पशु आरोग्य मेले की शुरुआत की. इस मौके पर पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि क्या बिना दूध, दही और माखन के बिना बाल गोपाल की कल्पना कोई कर सकता है? पर्यावरण और पशुधन हमेशा से ही भारत के आर्थिक चिंतन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है.
विपक्ष की आलोचना करते हुए पीएम ने ये भी कहा, हमारे देश में कुछ लोगों के कान पर अगर ओम शब्द पड़ता है, गाय शब्द पड़ता है तो उनके बाल खड़े हो जाते हैं. गाय का नाम सुनते ही कुछ लोगों को करंट लग जाता है.
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