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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Varanasi) के दो दिवसीय दौरे पर हैं. रविवार, 17 दिसंबर को पीएम मोदी ने 'विकसित भारत संकल्प यात्रा' कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने अपनी स्पीच में कहा कि एक तरह से, विकसित भारत संकल्प यात्रा मेरे लिए एक कसौटी है. मैं जानना चाहता हूं कि जो कुछ मैंने कहा और किया क्या वह उसी तरह हुआ है जैसा मैं चाहता था? क्या यह उन लोगों के लिए हुआ है, जिनके लिए इसका इरादा था?
सोमवार, 18 दिसंबर को पीएम मोदी सेवापुरी विकास खंड के बड़की ग्राम सभा में 'विकसित भारत संकल्प यात्रा' कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. वह वाराणसी और पूर्वांचल क्षेत्र में 19,155 करोड़ रुपये की 37 परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे. अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी, काशी तमिल संगमम के दूसरे संस्करण का भी उद्घाटन करेंगे.
आइए जानते हैं कि 'विकसित भारत संकल्प यात्रा' है क्या?
'विकसित भारत संकल्प यात्रा' एक सरकारी पहल है, जो आयुष्मान भारत, उज्ज्वला योजना, पीएम सुरक्षा बीमा और पीएम स्वनिधि आदि जैसी प्रमुख केंद्रीय योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनके कार्यान्वयन पर नजर रखने के लिए देश भर में की जा रही है.
योजना की वेबसाइट के मुताबिक इसके चार उद्देश्य हैं:
उन कमजोर लोगों तक पहुंचना, जो विभिन्न योजनाओं के तहत पात्र हैं लेकिन अभी तक लाभ नहीं उठाया है.
योजनाओं के बारे में जानकारी का प्रसार और जागरूकता पैदा करना
सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के साथ उनकी व्यक्तिगत कहानियों/अनुभव साझा करने के जरिए बातचीत
यात्रा के दौरान सुनिश्चित विवरण के जरिए संभावित लाभार्थियों का नामांकन
बता दें कि यह प्रोग्राम विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों की सक्रिय भागीदारी से चलाया जा रहा है.
16 दिसंबर को पीएम मोदी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम...उन पांच राज्यों में यात्रा को हरी झंडी दिखाई थी, जहां हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए थे. यात्रा अन्य राज्यों में पहले ही शुरू हो गई थी, लेकिन इन पांच राज्यों में चुनाव से पहले आदर्श आचार संहिता लागू होने की वजह से यह यात्रा शुरू नहीं हो सकी. यह यात्रा 15 नवंबर को झारखंड के खूंटी से शुरू की गई थी.
PIB के मुताबिक केवल एक महीने की छोटी अवधि में, यात्रा देश के 68 हजार ग्राम पंचायतों (GP) में 2.50 करोड़ से ज्यादा नागरिकों तक पहुंच गई है. इसके अलावा, लगभग 2 करोड़ व्यक्तियों ने विकसित भारत संकल्प लिया है और केंद्र सरकार की योजनाओं के 2 करोड़ से ज्यादा लाभार्थियों ने 'मेरी कहानी, मेरी जुबानी' पहल के तहत अपने अनुभव साझा किए हैं. लोग योजना की वेबसाइट पर एक फॉर्म भरकर और फिर एक प्रमाणपत्र डाउनलोड करके 'संकल्प' (प्रतिज्ञा) ले सकते हैं.
पिछले साल से शुरू हुए काशी तमिल संगमम का उद्देश्य भारत के उत्तर और दक्षिण के बीच ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध के कई पहलुओं का जश्न मनाना है. इस साल, यह 17 दिसंबर से 31 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा. तमिलनाडु और वाराणसी के विभिन्न सांस्कृतिक समूह काशी में प्रदर्शन करेंगे.
PIB के मुताबिक लोगों से लोगों को जोड़ने के कार्यक्रम का व्यापक उद्देश्य काशी और तमिलनाडु के बीच प्राचीन भारत के शिक्षा और संस्कृति दो बेहद अहम और जीवंत संबंधों को पुनर्जीवित करना है.
इस महोत्सव का उद्देश्य दोनों संस्कृतियों के बीच प्राचीन बौद्धिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और कारीगर जुड़ाव को फिर से खोजना और मजबूत करना है.
सरकार की प्रेस रिलीज में कहा गया है कि इस आयोजन के लिए तमिलनाडु और काशी की कला और संस्कृति, हथकरघा, हस्तशिल्प, व्यंजन और अन्य विशेष उत्पादों को प्रदर्शित करने वाले स्टॉल लगाए गए हैं.
आधुनिक नवाचारों, व्यावसायिक आदान-प्रदान, एडटेक और अन्य अगली पीढ़ी की तकनीकों के साथ-साथ साहित्य, प्राचीन ग्रंथ, दर्शन, आध्यात्मिकता, संगीत, नृत्य, नाटक आदि विषयों पर सेमिनार, चर्चा, व्याख्यान आदि आयोजित किए जाएंगे.
इस आयोजन के लिए प्रतिनिधियों का पहला जत्था, पूरे तमिलनाडु से 'गंगा' नामक छात्रों का एक समूह, रविवार को काशी पहुंचा.
इसके अलावा शिक्षकों (यमुना), पेशेवरों (गोदावरी), आध्यात्मिक सदस्यों, (सरस्वती), किसानों और कारीगरों (नर्मदा), लेखकों (सिंधु) और व्यापारियों और व्यापारियों (कावेरी) के छह और समूह आने वाले दिनों में वाराणसी पहुंचेंगे.
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