मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कर्नाटक में येदियुरप्पा की मुश्किलों की वजह उनका परिवार तो नहीं? 

कर्नाटक में येदियुरप्पा की मुश्किलों की वजह उनका परिवार तो नहीं? 

येदियुरप्पा के परिवार में कौन है वो शख्स जिसे ‘सुपर सीएम’ माना जाता है? 

नाहीद अताउल्ला
पॉलिटिक्स
Published:
बी एस येदियुरप्पा की फैमिली
i
बी एस येदियुरप्पा की फैमिली
(Photo- Quint Hindi)

advertisement

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को अपने राजनीतिक विरोधियों को कहीं बाहर ढूंढने की जरूरत नहीं है, वो तो उनकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अंदर ही ज्यादा हैं. येदि के विरोध का ताजा मामला उनकी ही सरकार में ग्रामीण विकास और पंचायतराज मंत्री केएस ईश्वरप्पा से जुड़ा है. ईश्वरप्पा ने अपने सीएम के तानाशाही हस्तक्षेप को लेकर राज्य के राज्यपाल वजुभाई वाला को पांच पन्नों की चिट्‌ठी लिखकर शिकायत की है.

बीजेपी के कई सदस्य इस तरह की शिकायतों को हवा देते रहे हैं. आरोप हैं कि येदियुरप्पा का परिवार कर्नाटक सरकार के कामकाज में दखल देता रहा है. लेकिन कैसे? आइए जानते हैं कि पार्टी के ताकतवर शख्स के परिवार के बारे में. उनके परिवार में कौन है और उनकी भूमिका क्या है?

"यहां हर कोई खिलाड़ी है'

येदियुरप्पा और उनकी स्वर्गवासी पत्नी मैत्रादेवी के पांच बच्चे हैं, तीन बेटियां और दो बेटे. तीन बेटियां पद्मावति (53 साल), अरुणादेवी (51 साल) और उमादेवी (49 साल). इनसे दो छोटे बेटे बीवाय राघवेंद्र (47 साल) और बीवाय विजयेंद्र (45 साल).

कर्नाटक के राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक, येदियुरप्पा का परिवार कैडर आधारित पार्टी ऑफिस की तरह काम करता है. परिवार में हर किसी की भूमिका तय है. जब क्विंट ने परिवार की सबसे मुखर सदस्य उमादेवी से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि तीनों बड़ी बहनों ने अपने-अपने काम तय कर लिए हैं.

येदियुरप्पा का परिवार(Photo- Quint Hindi)
“मेरी बड़ी बहन पद्मावति एक होममेकर हैं और पिता के साथ सीएम हाउस में रहती है. वह उनके खाने-पीने और स्वास्थ्य की देखभाल के साथ उनकी अधिकारिक यात्राओं का जिम्मा भी संभालती है. दूसरी बहन अरुणादेवी एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और एनजीओ चलाती हैं. वह कर्नाटक अखिल भारतीय वीराशैव महासभा के महिला विंग की अध्यक्ष है. जबकि मैं एक शिक्षाविद, फाइनेंशियल एनालिस्ट हूं और इसके साथ परिवार का बिजनेस देखती हूं.”-
उमादेवी

बेटों में राघवेंद्र कर्नाटक के शिवमोगा से बीजेपी सांसद हैं, और जहां तक येदियुरप्पा परिवार में उनकी भूमिका की बात है तो वह एक शिक्षाविद, किसान और व्यवसायी हैं. दूसरे बेटे विजयेंद्र पार्टी में हैं और अभी चुनावों के लिए उम्मीदवार के तौर पर उनका लॉन्च होना बाकी है.

परिवार में कौन है ताकतवर?

बीजेपी के भीतर और कर्नाटक के अन्य राजनीतिक हलकों में विजयेंद्र को ‘सुपर सीएम’ कहा जाता है. उनके खिलाफ राज्य के मामलों में कथित तौर पर दखल देने की शिकायतें हैं.

येदियुरप्पा विजयेंद्र को अपने उत्तराधिकारी के रूप में देखते हैं. उन्होंने 45 साल के इस बेटे को मांड्या जिले के केआर पेट और तुमकुरू जिले के सीरा का प्रभारी बनाया, जहां विधानसभा के उपचुनाव होने थे. दोनों ही जगह बीजेपी को पहली जीत हासिल हुई. इससे ज्यादा और क्या होगा कि येदियुरप्पा अपने इस छोटे बेटे को अगले विधानसभा चुनाव में मैसूर की वरुणा सीट पर लड़ाने की घोषणा कर चुके हैं.

विजयेंद्र बीजेपी नेताओं को खटकते हैं?

येदयुरप्पा से मतभेद रखने वाले बीजेपी विधायक बासनगौड़ा पाटिल (यत्नाल) ने इस साल 15 फरवरी को मीडिया के सामने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री का परिवार बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त है और ये राज्य सरकार और बीजेपी का नाम खराब करते हैं. उनका सीधा निशाना विजयेंद्र की तरफ था.

विजयेंद्र का उदय बीजेपी के इस दावे के उलट है कि पार्टी वंशवाद की राजनीति का समर्थन नहीं करती है. अगर उनके पिता ने पार्टी के भीतर समर्थन खो दिया तो क्या संभवत: बेटे की भूमिका को समाप्त कर दिया जाएगा? शायद हां.
फिलहाल, येदियुरप्पा के परिवार में सत्ता को लेकर कोई संघर्ष नहीं है, क्योंकि सभी भाई-बहन अपने-अपने कामकाज देख रहे हैं.

जैसे कि यह बात साफ है कि बेटियां और उनके पति बिजनेस पर ध्यान दे रहे हैं और बेटे राजनीति पर फोकस कर रहे हैं. हालांकि बड़ी बेटियां सार्वजनिक जीवन से दूरी बनाए रखती हैं. उमादेवी कॉमर्स में पोस्ट ग्रेजुएट और मैसूर यूनिवर्सिटी में रैंक होल्डर हैं. फिलहाल वह बेंगलुरू में एक बीपीओ फर्म चलाती हैं. ऐसा माना जाता है कि फैमिली का पैसा इस बीपीओ फर्म के जरिए बहता है.

बेटों के बीच यह तय है कि बड़े बेटे राघवेंद्र शिवमोगा में रहेंगे और केंद्रीय मंत्रीमंडल में जाने की कोशिश करेंगे, जबकि कर्नाटक में विजयेंद्र को एक बीजेपी नेता के रूप में चुना जाएगा, जो अपने पिता की तरह लिंगायत संप्रदायों की कमान संभाल सकते हैं.

"अपने परिवार को सबसे ऊपर रखना

येदियुरप्पा का परिवार सिर्फ उनके बेटे-बेटियाें तक ही सीमित नहीं है, इसके बाद बेटियों के पति और उनके बच्चों की भूमिका भी आती है.

पद्मावति के पति वीरूपक्षप्पा राज्य सरकार से रिटायर्ड इंजीनियर हैं. अरुणादेवी के पति उदय कुमार और उमादेवी के पति सोहन कुमार अपना बिजनेस देखते हैं. येदियुरप्पा के नाती-पाेते या तो बिजनेस करते हैं या फिर पढ़ाई कर रहे हैं. इनमें सबसे प्रमुख बड़ा नाती 31 साल का शशीधर पद्मावति का बेटा है. वह उस समय विवादों में घिर गया था, जब एक कन्नड़ चैनल ने उस पर सरकारी मंजूरी के बदले उनके कारोबार में शेल कंपनियों के जरिए फंडिंग का आरोप लगाया.

हालांकि, परिवार के व्यापार और राजनीतिक हितों नेयेदियुरप्पा की राजनीति को प्रभावित किया, जो कभी बीजेपी के निर्विवाद नेता थे. अब उन्हें पार्टीके आलाकमान के बजाय अपने परिवार से ज्यादा मार्गदर्शन मिलता है.

एक बीजेपी एमएलसी लहार सिंह ने क्विंट को बताया कि यह कर्नाटक की राजनीति के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य के हितों से ज्यादा “अपने बच्चों और परिजन के प्यार काे सर्वाेपरी” रखा गया. उनके विचार का समर्थन करते हुए एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, “उनका काम सत्ता में आने के बाद राज्य को लूटना है.”

परेशानियां खत्म नहीं होंगी

फिलहाल ईश्वरप्पा के राज्यपाल को लिखी गई चिट्‌ठी का परिणाम आना अभी बाकी है, लेकिन येदियुरप्पा की परेशािनयां बढ़ती जा रही हैं. फरवरी में कर्नाटक हाईकोर्ट ने विशेष अदालत को एक जमीन के लेन-देन में गैरकानूनी तौर पर अधिसूचना रद्द करने के आपराधिक मामले का संज्ञान लेने का निर्देश दिया है, इस मामले में येदियुरप्पा कथित रूप से शामिल हैं.

ताजा मामला 31 मार्च का है. जहां हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री के खिलाफ 2019 में दर्ज आपराधिक मामले की जांच के आदेश दिए. जिसमें उन पर जेडीएस के विधायक नागंगौडा कांडकुर के बेटे शरणागौड़ा को पैसे का लालच देकर बीजेपी में शामिल कराने की कोशिश का आरोप है.

इस शिकायत पर बीजेपी के महासचिव और कर्नाटक प्रभारी अरुण सिंह ने क्विंट को बताया कि अभी पार्टी का फोकस बेलगावी लोकसभा और दाे विधानसभा उपचुनाव जीतना है जो 17 अप्रैल को होंगे.

लहार सिंह ने कहा कि ईश्वरप्पा को सबसे पहले कैबिनेट छोड़नी चाहिए और फिर आरोप लगाने चाहिए. इसी बीच, 48 बीजेपी विधायकों ने मुख्यमंत्री के समर्थन में बीजेपी आलाकमान को चिट्ठी लिखी है, इसका ये मतलब है कि उनके निर्वाचन क्षेत्रों को लगातार फंड मिल रहा है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT