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नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को पंजाब इकाई का अध्यक्ष नियुक्त करने के बाद भी कांग्रेस राहत की सांस नहीं ले पा रही है. जहां एक तरफ प्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत से मुलाकात करने वाले पंजाब के चार बागी मंत्रियों में से तीन मंत्री 26 अगस्त को कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हुए, वहीं अब हरीश रावत ने नवजोत सिद्धू को अपने सलाहकारों को हटाने का अल्टीमेटम भी दे दिया है.
इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब कैप्टन अमरिंदर सिंह धड़े ने भी शक्ति प्रदर्शन किया. 50 से अधिक विधायक और 8 सांसद मुख्यमंत्री के वफादार कैबिनेट मंत्री राणा गुरमीत सोढ़ी के घर पर डिनर में शामिल हुए.
कैप्टन सरकार में चार मंत्री - तृप्त राजिंदर बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, चरणजीत सिंह चन्नी और सुखबिंदर सिंह सरकारिया - उन बागी नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने 25 अगस्त को देहरादून में हरीश रावत से मुलाकात की और अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटाने की मांग रखी थी.
साथ ही कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा था, "हमें लगता है कि सभी चुनावी वादे पूरे नहीं होंगे, इसलिए हम केंद्रीय नेतृत्व से मिलेंगे"
कैबिनेट मीटिंग में 3 बागी मंत्रियों के शामिल नहीं होने के बाद NDTV ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट किया कि तीनों ने 26 अगस्त की सुबह दिल्ली के लिए उड़ान भरी. केवल चरणजीत सिंह चन्नी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए दोपहर 3.30 बजे हुई कैबिनेट बैठक में शामिल हुए.
हरीश रावत ने 26 अगस्त को कहा कि नवजोत सिद्धू को अपने सलाहकारों को खुद हटा देना चाहिए और अगर वह ऐसा करने में विफल रहते हैं तो ये काम पार्टी करेगी.
इसके बाद मुख्यमंत्री अमरिंदर के कैम्प ने सलाहकारों के बहाने सीधे सिद्धू को निशाने पर लिया था. पटियाला की सांसद परनीत कौर ने सिद्धू को पार्टी में संकट का मुख्य कारण होने आरोप लगाया था .
“पार्टी इस विवाद से कैसे निपटेगी” के सवाल पर हरीश रावत ने 26 अगस्त को कहा कि,
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