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पंजाब कांग्रेस: दिनभर मीटिंग के बाद भी कोई हल ना निकला, ये है वजह

ये करीब-करीब साफ हो गया है कि पार्टी अमरिंदर सिंह के साथ ही खड़ी रह सकती है

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
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<div class="paragraphs"><p>(फोटो- क्विंट हिंदी)</p></div>
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(फोटो- क्विंट हिंदी)

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पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह 22 जून को तीन सदस्यीय कांग्रेस पैनल के सामने पेश हुए. इस मुलाकात में अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस पार्टी में उनके ही खिलाफ बयान देने वाले नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर विरोध जताया. वहीं कांग्रेस के पैनल ने कैप्टन के उस फैसले पर सफाई भी मांगी जिसके तहत उन्होंने दो कांग्रेसी नेताओं के बेटों को सरकारी नौकरियां दीं.

कैप्टन जिस कांग्रेस के पैनल के सामने पेश हुए उसमें विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुल खड़गे, कांग्रेस के पंजाब इनचार्ज हरीश रावत और पार्टी के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल शामिल रहे. बताया गया कि ये बैठक करीब 3 घंटे तक चली.

बैठक के बाद हरीश रावत ने मीडिया से बातचीत में बताया कि 'हमें भरोसा है कि हम मतभेदों को दूर करने में कामयाब होंगे.'

इसी मुलाकात के सामानांतर पंजाब के कुछ विधायकों और सांसदों की मुलाकात कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से हुई. इससे पहले इन विधायकों, सांसदों से पैनल की मुलाकात हो चुकी थी.

इस घटना से इन सवालों के जवाब मिलते हैं-

1. आने वाले दिनों में क्या होगा?

2. मतभेदों की वजह क्या है?

3. कैप्टन और सिद्धू का स्टैंड क्या है?

4. पंजाब कांग्रेस और वहां की राजनीति में आगे क्या होने वाला है?

आने वाले कुछ दिनों में क्या होगा?

अगली अहम बैठक कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच हो सकती है. कांग्रेस पार्टी नवजोत सिंह सिद्धू से भी बात करने की कोशिश करेगी.

ये करीब-करीब साफ हो गया है कि पार्टी अमरिंदर सिंह के साथ ही खड़ी रह सकती है, लेकिन उनको ये कहा जा सकता है कि वो दूसरे नेताओं के मुद्दों को सुलझाने में ज्यादा सहयोगी रुख बरतें.

ऐसा माना जा रहा है कि मतभेदों को सुलझाने के लिए एक हफ्ते से कम का वक्त लग सकता है. लेकिन वो फैसला पंजाब कांग्रेस के सभी धड़ों को स्वीकार होगा या नहीं ये साफ नहीं है. कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कुछ मुद्दे अभी भी नहीं सुलझ पाए हैं.

विवाद की जड़ क्या है?

कहा जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष का पद पाना चाहते हैं लेकिन कैप्टन इसके बिल्कुल विरोध में हैं.

सिद्धू ने कई सारे इंटरव्यू देकर कैप्टन पर हमला किया और ऐसा करके उन्होंने खुद ही अपना नुकसान कर लिया है. सिद्धू ने कैप्टन को 'झूठा' तक करार दे दिया. लेकिन फिर भी कांंग्रेस नेता राहुल गांधी सिद्धू के पक्ष में हैं.

दूसरा मुद्दा ये है कि कैप्टन ने फतेहगंज के विधायक बाजवा और राकेश पांडे के बेटों को सरकारी नौकरी दी है. इस फैसले की वजह से पंजाब कांग्रेस में दो फाड़ मची हुई है.
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पंजाब के कांग्रेस चीफ सुनील जाखड़ और सुखजिंदर रंधावा, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, राजिया सुल्ताना, चरणजीत सिंह चन्नी और सुखविंदर सकारिया जैसे कैबिनेट मंत्री, इसके अलावा कुछ विधायक और पंजाब यूथ कांग्रेस प्रमुख बृजेंद्र ढिल्लन ने इसका विरोध किया है.

इसके बाद कैप्टन के समर्थक मंत्रियों, विधायकों, सांसदों ने मुख्यमंत्री के फैसले का बचाव किया.

अब मुद्दा ये है कि जो लोग मुख्यमंत्री के फैसले का विरोध कर रहे हैं वो सिद्धू के समर्थक नहीं है, लेकिन फिर भी वो कैप्टन के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं. इससे सीएम अमरिंदर की छवि को नुकसान पहुंचा है और उनकी साख को चोट पहुंचाई है.

कैप्टन और सिद्धू का क्या रुख है?

कैप्टन अमरिंदर सिंह

मौजूदा हालातों के मुताबिक कैप्टन, सिद्धू को उप-मुख्यमंत्री बनाए जाने और कुछ मंत्रालय देने में असहज नहीं है. वो पीसीसी चीफ बदलने के लिए भी तैयार हैं, वो सिर्फ सिद्धू को पीसीसी चीफ नहीं बनाना चाहते. इससे कैप्टन ही विधानसभा चुनाव 2022 के लिए पार्टी का चेहरा रहेंगे.

वहीं अगर सिद्धू पीसीसी चीफ बनते हैं तो उनको टिकट बंटवारे में अहम रोल मिलेगा और उनके मुख्यमंत्री बनने की ज्यादा उम्मीदें हैं.

नवजोत सिद्धू

सिद्धू चाहते हैं कि उन्हें ही पीसीसी चीफ बनाया जाए क्यों अगर इससे कम उन्हें कुछ मिलता है तो टिकट बंटवारे में उनकी कम चलेगी.

सिद्धू के पक्ष में जो बात जाती है वो ये है कि उन्हें बादल और कैप्टन के मुकाबले ज्यादा बढ़त है. वहीं वो आप उम्मीदवार भगवंत मान से ज्यादा करिश्माई नेता हैं.

लेकिन सिद्धू के पास सीमित विकल्प हैं. अगर कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं रहता है तो उनके पास आम आदमी पार्टी में जाने का विकल्प है. आम आदमी पार्टी उनको शामिल करने के लिए तैयार है लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने के लिए तैयार नहीं है.

आगे क्या होगा?

कांग्रेस को पंजाब के जमीनी हालात समझने की जरूरत है. कैप्टन की लोकप्रियता बेहद ही कम है. सी वोटर सर्वे के मुताबिक उनकी अप्रूवल रेटिंग बेहद कम है और वो सबसे कम लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों में से एक हैं.

किसान आंदोनल के बाद पंजाब का माहौल बदला है. लोगों की नाराजगी बीजेपी और अकाली दल के खिलाफ है. कांग्रेस के लिए जरूरी है कि नेताओं के बीच सामंजस्य बिठाकर सभी के साथ जरूरी पावर शेयर करे.

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