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तारीख- 14 जनवरी 2016, जगह- मुक्तसर.
कड़कड़ाती सर्दी के बीच आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के मालवा इलाके में एक बड़ी रैली की. ये शुरुआत थी पंजाब के 2017 में होने वाले चुनाव के ऐलान-ए-जंग की. सूबे की सत्ताधारी अकाली-बीजेपी सरकार के खिलाफ तो खैर सत्ता विरोधी लहर थी ही, पॉलिटिक्ल पंडितों ने 74 साल के कैप्टन अमरिंदर की अगुवाई में अंदरूनी झगड़ों से जूझ रही कांग्रेस पार्टी को भी ‘आप’ के सामने खारिज कर दिया.
लेकिन अपने रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ मिलकर पंजाब कांग्रेस ने अपनी बिसात बिछाई और एक साल के भीतर कैप्टन के चेहरे के साथ बाजी पलट डाली. आइये हम आपको बताते हैं पंजाब कांग्रेस और प्रशांत किशोर की आईपैक टीम की रणनीति के वो छुपे पहलू जिनके दम पर कांग्रेस पार्टी आखिरकार पंजाब की सत्ता तक जा पहुंची.
मार्च 2016, यानी पंजाब विधानसभा चुनाव से करीब साल भर पहले कैप्टन अमरिंदर की प्रचार टीम बनाई गई, जिसने फौरन एक नारा गढ़ा- ‘पंजाब दा कैप्टन’. उसके बाद से कांग्रेस का पूरा प्रचार इसी नारे के इर्दगिर्द केंद्रित हो गया. इसके अलावा कैप्टन अमरिंदर की महाराजा वाली छवि और पंजाब कांग्रेस में फूट की खबरों का असर खत्म करने के लिए पर्दे के पीछे काम शुरू कर दिया गया.
‘कॉफी विद कैप्टन’ यानी पंजाब के लोगों से कैप्टन अमरिंदर की रूबरू बातचीत. इन मुलाकातों में कॉफी की चुस्कियों के बीच कैप्टन लोगों के सवालों के जवाब देते थे और पंजाब के तमाम मुद्दों पर उनकी राय लेते थे. इस बात का ख्याल रखा गया कि भीड़-भड़क्के में किसी अकेले आदमी की निजी दिक्कतें गुम ना हो जाएं.
‘हलके विच कैप्टन’ यानी आपके इलाके में कैप्टन. ये लोगों से जुड़ने की एक नई पहल थी जिसके तहत कैप्टन अमरिंदर ने लोगों की शिकायत सुनने और उसे दूर करने पर फोकस किया. मकसद था पंजाब के तमाम वर्गों के लोगों से सीधा संपर्क करना. इस प्रक्रिया में लाखों लोग सीधे कैप्टन के संपर्क में आए.
पंजाब में किसानों की अहमियत के मद्देनजर कैप्टन अमरिंदर के लिए किसान यात्रा की योजना बनाई गई. यूं तो ये उत्तर प्रदेश में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की तर्ज पर ही थी लेकिन पुराने तजुर्बे से सबक लेते हुए इसे ज्यादा फोकस्ड बनाया गया. किसानों को वक्त पर उनकी फसल की कीमत दिलाने और आर्थिक सुरक्षा का अहसास कराने के लिए कैप्टन ने ये वादे किये-
इस स्कीम के तहत कैप्टन अमरिंदर ने फ्री डेटा और कॉलिंग सुविधा के साथ 18-35 साल के युवाओं को 50 लाख स्मार्टफोन देने का वादा किया. स्कीम का फायदा उठाने के लिए तमाम लोगों ने www.CaptainSmartConnect.com पर रजिस्टर किया. इस स्कीम में 30 लाख से ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया.
पंजाब के युवाओं को रोजगार देने और उन्हें ड्रग्स से दूर करने के लिए ‘हर घर कैप्टन’ नाम के कार्क्रम की शुरुआत की गई. ये कैप्टन अमरिंदर के प्रचार अभियान का फ्लैगशिप कार्यक्रम था. इसके तहत कैप्टन ने-
इसके बदले में उस युवा से परिवार समेत ड्रग्स से दूर रहने का प्रण करवाया गया. 40 लाख युवाओं ने इस कार्यक्रम के तहत रजिस्ट्रेशन करवाया.
पूरे पंजाब में रणनीति के तहत कैप्टन की 40 रैलियां करवाई गईं. लेकिन मालवा इलाके में आम आदमी पार्टी कांग्रेस को कड़ी टक्कर दे रही थी. यहां प्रशांत किशोर ने अपना आखिरी हथौड़ा चलाया. प्रचार के आखिरी दिनों में मालवा इलाके में नवजोत सिद्धू समेत तमाम स्टार प्रचारकों को उतारकर कांग्रेस ने रैलियों की झड़ी लगा दी. आखिरी तीन दिनों में ‘कैप्टन नू मत- ⅔ बहुमत (कैप्टन को वोट, दो-तिहाई बहुमत)’ नाम से कांग्रेस पार्टी ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी.
आखिरकार 11 मार्च 2017 को करीब दो-तिहाई बहुमत के साथ कैप्टन अमरिंदर की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी ने पंजाब में अपनी सरकार बना ली. ये जीत लगातार हार का सामना कर रही कांग्रेस पार्टी के लिए तो संजीवनी साबित होगी लेकिन कैप्टन के लिए कड़ा इम्तेहान. खाली खजाने, बढ़ते कर्ज, जड़ों तक फैली ड्रग्स की समस्या, बेरोजगारी और गिरती कृषि दर के साथ कैप्टन के लिए अपने वादों को पूरा करना आसान नहीं होगा.
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Published: 27 Mar 2017,09:12 PM IST