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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम
वीडियो प्रोड्यूसर: फुरकान फरीदी
कांग्रेस ने राफेल जेट डील को लेकर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फिर से हमला बोला और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने दसॉ कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए पद का दुरुपयोग किया और विमानों की ज्यादा कीमत तय की, जिसके लिए उनके खिलाफ सीधे तौर पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला बनता है.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने इंडियन नेगोसिएशन टीम को दरकिनार करके राफेल डील को अंतिम रूप दिया.
'द हिंदू' ने राफेल डील पर बातचीत करने वाली भारतीय टीम की रिपोर्ट के आधार पर दावा किया है कि बैंक गारंटी ना होने की वजह से राफेल डील महंगी हो गई. रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक गारंटी ना होने की वजह से राफेल के दाम करीब 246 मिलियन यूरो तक बढ़ गए.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा खरीदे जा रहे 36 राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत, यूपीए-कांग्रेस सरकार द्वारा खरीदे जा रहे 126 राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत से ज्यादा है.
उन्होंने कहा, ‘राफेल डील की असली कीमत 63,450 करोड़ रुपये भी नहीं है, क्योंकि इसका निर्धारण भी इंडियन नेगोसिएशन टीम (INT) ने छह साल के लिए फ्रांस में हर साल 1.22 फीसदी महंगाई दर के हिसाब से आंका है. लेकिन जहाज तो 10 साल बाद आएंगे, तो 10 साल का अगर 1.22 फीसदी भी है तो वो भी आईएनटी की रिपोर्ट में नहीं आंका गया है. आईएनटी की रिपोर्ट में ये लिखा है कि अगर फ्रांस में महंगाई दर 3.50 फीसदी तक पहुंच जाएगी तो सारा आकलन 1.22 फीसदी से नहीं, बल्कि 3.50 फीसदी के दर माना जाएगा.’
सुरजेवाला ने बताया, ‘10 साल का अगर 1.25 फीसदी भी मंहगाई दर निकालें तो ये कीमत 9000 मिलियन यूरो, यानी 67,500 करोड़ रुपये बनती है.’ उन्होंने कहा कि ये कड़वा सच है जो आईएनटी की रिपोर्ट से साबित हो गया है.
सुरजेवाला ने आरोप लगाया, ‘‘पीएम मोदी ने इंडियन नेगोसिएशन टीम को दरकिनार कर खुद डील का फैसला किया. यह सनसनीखेज बात सामने आई है कि इंडियन नेगोसिएशन टीम ने फैसला नहीं किया, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने किया.’’
उन्होंने कहा, ‘‘क्या डोभाल, इंडियन नेगोसिएशन टीम का हिस्सा थे? जवाब नहीं है. क्या सुरक्षा मामले की कैबिनेट समिति ने डोभाल जी को स्वीकृति प्रदान की थी? जवाब नहीं है. यानी मोदीजी के नुमाइंदे ने इंडियन नेगोसिएशन टीम को दरकिनार कर डील को अंतिम रूप दिया.’’
राफेल डील को लेकर 'द हिंदू' ने एक और खुलासा किया है. 'द हिंदू' ने डील पर बातचीत करने वाली भारतीय टीम की रिपोर्ट के आधार पर दावा किया है कि बैंक गारंटी ना होने की वजह से ये डील महंगी हो गई. रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक गारंटी ना होने के कारण राफेल के दाम करीब 246 मिलियन यूरो तक बढ़ गए.
राफेल डील को लेकर ‘द हिंदू’ ने पहले भी एक खुलासा करने का दावा किया था. अखबार ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन रक्षा सचिव के एक नोट के हवाले से दावा किया था कि पीएमओ इस मामले में समानांतर बातचीत कर रहा था.
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Published: 06 Mar 2019,01:17 PM IST