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राघव चड्ढा को कोर्ट से झटका, टाइप 7 बंगला खाली करने का आदेश- क्या है पूरा मामला?

किसके लिए होता है टाइप- 7 बंगला?

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
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<div class="paragraphs"><p>राघव चड्ढा को कोर्ट से झटका, टाइप 7 बंगला खाली करने का आदेश- क्या है पूरा मामला?</p></div>
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राघव चड्ढा को कोर्ट से झटका, टाइप 7 बंगला खाली करने का आदेश- क्या है पूरा मामला?

(फोटोः क्विंट हिंदी)

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आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा (Raghav Chadha) को दिल्ली की एक कोर्ट से झटका लगा है. अदालत ने फैसला सुनाया कि उनको दिए गए सरकारी बंगले पर रहने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि उनका एलॉटमेंट रद्द हो गया है. कोर्ट ने राघव चड्ढा को दी गई अंतरिम स्टे हटा दी है, जिसका मतलब है कि राज्यसभा सचिवालय उन्हें किसी भी समय बंगला खाली करने के लिए कह सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि ये पूरा विवाद क्या है? आखिर टाइप-7 बंगला किसके लिए होता है?

कोर्ट के आदेश के बाद जारी एक बयान में राघव चड्ढा ने आवंटन रद्द करने को मनमाना और अभूतपूर्व बताया. इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि यह "बीजेपी के आदेश पर उनके राजनीतिक उद्देश्यों और निहित स्वार्थ को आगे बढ़ाने के लिए" किया गया था.

सितंबर 2023 में मिला था टाइप 7 बंगला

राघव चड्ढा को पिछले साल जुलाई में टाइप 6 बंगला (Type 6 Bungalow) दिया गया था और उन्होंने राज्यसभा के सभापति से बड़े टाइप 7 आवास (Type 7 Bungalow) के लिए गुजारिश किया. इसके बाद राघव चड्ढा को सितंबर में यह बंगला आवंटित किया गया था. हालांकि, मार्च में, सचिवालय ने यह तर्क देते हुए आवंटन रद्द कर दिया था कि पहली बार के सांसद उस ग्रेड के बंगले के हकदार नहीं थे.

इसके बाद राघव चड्ढा को बंगला खाली करने के लिए कहा गया था, जो मध्य दिल्ली के पंडारा रोड पर है. उन्होंने इस आदेश के खिलाफ दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट का रुख किया था. कोर्ट ने 18 अप्रैल को अंतरिम स्टे लगा दिया था.

शुक्रवार को स्टे हटाते हुए, पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा कि राघव चड्ढा बंगले पर कब्जे के पूर्ण अधिकार का दावा नहीं कर सकते.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि

"वादी यह दावा नहीं कर सकता कि उसे राज्यसभा के सदस्य के रूप में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान आवास पर कब्जा करने का पूरा अधिकार है. सरकारी आवास का आवंटन केवल वादी को दिया गया एक विशेषाधिकार है और उसे इस पर कब्जा जारी रखने का कोई निहित अधिकार नहीं है. आवंटन रद्द होने के बाद भी वही स्थिति है."
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बंगला ग्रेड पर क्यों छिड़ी बहस, किसके लिए होता है टाइप-7 बंगला?

जून में, राज्यसभा आवास समिति ने कहा था कि टाइप 7 बंगला पहली बार सांसद बने राघव चड्ढा के ग्रेड से ऊपर है और ऐसे आवास आमतौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्रियों, पूर्व राज्यपालों या पूर्व मुख्यमंत्रियों को दिए जाते हैं.

समिति के प्रमुख ने यह भी बताया था कि बीजेपी सांसद राधा मोहन दास को भी टाइप 7 से टाइप 5 बंगले में ट्रांसफर कर दिया गया है.

एक बयान में राघव चड्ढा ने कहा कि उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया गया और प्रताड़ित किया गया और उन्होंने उन जैसे सांसदों की राजनीतिक आलोचना को दबाने की कोशिश करने के लिए बीजेपी की आलोचना भी की.

राघव चड्ढा ने कहा कि राज्यसभा के 70 से ज्यादा सालों के इतिहास में यह पहले कभी नहीं हुआ कि एक मौजूदा राज्यसभा सदस्य को उसके आवंटित आवास से हटाने की मांग की जा रही है.

उन्होंने कहा कि मुझे बिना किसी नोटिस के मेरे आवंटित आधिकारिक आवास को रद्द करना मनमाना था. राघव चड्ढा ने दावा किया कि आदेश में कई अनियमितताएं थीं और राज्यसभा सचिवालय द्वारा उठाए गए कदम नियमों का स्पष्ट उल्लंघन थे.

"मेरे जैसे कई सांसदों को मिला बंगला"

राघव चड्ढा ने दावा किया कि उनके कई पड़ोसी पहली बार सांसद बने थे, जिन्हें उनकी पात्रता से ऊपर वही आवास आवंटित किया गया था. उन्होंने बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी, बहुजन समाज पार्टी के दानिश अली, राकेश सिन्हा और पूर्व सांसद रूपा गांगुली का नाम लिया.

दिलचस्प बात यह है कि 240 में से लगभग 118 राज्यसभा सदस्य अपनी पात्रता से ज्यादा आवासों में रह रहे हैं, लेकिन उन मुखर प्रतिनिधियों को चुनिंदा रूप से निशाना बनाना और हस्तक्षेप करना, जो सदन में बीजेपी का कड़ा विरोध कर रहे हैं, खेदजनक है.
राघव चड्ढा, AAP सांसद

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