advertisement
18 मार्च, 2018 को दिल्ली मे हुए कांग्रेस महाधिवेशन के समापन भाषण में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की इस बात से साफ हो गया था कि अगली कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) में युवाओं और बुजुर्गों की बराबर भागेदारी होगी. ठीक चार महीने बाद आई कांग्रेस पार्टी की सबसे ताकतवर बॉडी की लिस्ट में ये बात साबित भी हो गई.
CWC में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मोतीलाल वोहरा (छत्तीसगढ़), गुलाम नबी आजाद (कश्मीर), मल्लिकार्जुन खड़गे (कर्नाटक), एके एंटनी (केरल), अंबिका सोनी (पंजाब) जैसे वरिष्ठों के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया (मध्य प्रदेश), जितिन प्रसाद (उत्तर प्रदेश), राजीव साटव (महाराष्ट्र), गौरव गोगोई (असम), आरपीएन सिंह (उत्तर प्रदेश), दीपेंद्र हुड्डा (हरियाणा), रणदीप सुरजेवाला (हरियाणा), अरुण यादव (मध्य प्रदेश) जैसे युवा शामिल हैं.
इस लिस्ट को देखने में भले लगता हो कि राहुल गांधी की नई टीम में तमाम राज्यों को नुमाइंदगी मिली है लेकिन ऐसा नहीं है.
या फिर कांग्रेस ने मान लिया है कि 2019 के में इन राज्यों की क्षेत्रिय पार्टियां ही बीजेपी के खिलाफ मोर्चा संभालेंगी और कांग्रेस बस पिछलग्गू बनकर चुनाव में क्षेत्रिय पार्टी का साथ देगी.
CWC की लिस्ट देखकर लगता है कि पार्टी का जोर लोकसभा से ज्यादा इसी साल होने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़े के विधानसभा चुनावों पर है. मध्यप्रदेश से सिंधिया के साथ अरुण यादव, छतीसगढ से मोतीलाल वोरा के साथ ताम्रध्वज साहू और राजस्थान से अशोक गहलोत और जितेंद्र सिंह के साथ रघुवीर मीना को जगह दी गई है.
कमेटी के 51 में से 4 सदस्य हरियाणा से हैं जहां लोकसभा की सिर्फ 10 सीटें हैं. और अगर राहुल और सोनिया गांधी को छोड़ दें तो 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश से भी 4 ही सदस्य हैं.
हरियाणा से चुने गए सदस्यों में चौंकाने वाला एक नाम कुलदीप बिश्नोई का है. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बेटे बिश्नोई को मार्च, 2007 में सोनिया गांधी पर जुबानी हमला करने के बाद कांग्रेस से बाहर कर दिया गया. इसके बाद उन्होंने हरियाणा जनतांत्रिक कांग्रेस नाम से अलग पार्टी बनाई और हरियाणा में कांग्रेस के खिलाफ झंडा बुलंद करते रहे.
लेकिन अप्रैल, 2016 में कुलदीप ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया. बिश्नोई समाज की नुमाइंदगी करने वाले कुलदीप का सीडब्लूसी में नाम सिर्फ और सिर्फ अगले साल होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनावों के मद्देनजर है.
अब राहुल गांधी की नई टीम में महिलाओं को नुमाइंदगी की बात. संसद का मॉनसून सत्र शुरु होने से दो दिन पहले राहुल गांधी ने ये ट्वीट किया.
उन्होंने लिखा कि ‘ क्या हमारे प्रधानमंत्री महिला सशक्तिकरण के सुधारक हैं? ये वक्त है किवो पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर उठकर अपने कहे पर अमल करें और संसद में महिला आरक्षण बिल पास करवाएं. कांग्रेस उन्हें बिना शर्त समर्थन करेगी.’
महिला आरक्षण बिल यानी लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण को मंजूरी देने वाला बिल. इसके बाद महिला कांग्रेस ने इसी मांग के साथ धरना-प्रदर्शन भी किया. सबने कहा कि कांग्रेस महिला आरक्षण को लेकर बेहद गंभीर है.
अगर पार्टी ने ये मुद्दा महिला वोटरों को रिझाने के लिए उठाया था तो अपने ही हाथों उसकी हवा निकाल दी.
लंबे इंतजार के बाद बनी राहुल गांधी की नई टीम के बारे में कहा गया कि वो 2019 के चुनावों में पार्टी की अगुवाई करेगी. लेकिन इसे देखकर किसी चमत्कार की उम्मीद तो नहीं जगती.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 18 Jul 2018,05:31 PM IST