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राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने 7 फरवरी को संसद में गौतम अडानी (Gautam Adani) से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया. अडानी और उनकी कंपनी, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से ही सुर्खियों में हैं. राहुल ने पीएम मोदी पर गौतम अडानी के व्यापारिक साम्राज्य को बढ़ाने में मदद करने का आरोप लगाया. भारतीय जनता पार्टी ने इसका जोरदार विरोध किया.
राहुल गांधी ने लोकसभा में बताया कि यात्रा के दौरान इस नाम के बारे में जब लोग मुझसे बोलते थे तो पूछते थे, तो ये कहते कि अडानी किसी भी बिजनेस (सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा) में फेल नहीं होते हैं. मेरी यात्रा के दौरान लोगों ने मुझसे पूछा कि अडानी को इतने इलाकों में इतनी सफलता कैसे मिली, प्रधानमंत्री के साथ उनका क्या संबंध है. राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि अडानी ने उन देशों में ठेके लिए, जिनका पीएम मोदी ने दौरा किया था.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नियमों में बदलाव किया गया ताकि अडानी ग्रुप 6 हवाईअड्डों के ठेके हासिल कर सके.
राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने उन पर पलटवार करते हुए कहा कि बेकार आरोप मत लगाइए, सबूत दीजिए.
पिछले साल कांग्रेस शासित राज्य में "राजस्थान निवेश शिखर सम्मेलन" में अडानी द्वारा 65,000 करोड़ रुपये देने का हवाला देते हुए, बीजेपी सांसदों ने चिल्लाकर कहा कि कांग्रेस ने जीवीके ग्रुप और डालमिया को हवाई अड्डे के ठेके सौंपे हैं. राहुल गांधी को "अशोक गहलोत-अडानी संबंधों" के बारे में बात करनी चाहिए.
अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को "चयनात्मक गलत सूचनाओं और बासी, निराधार और बदनाम करने वाले आरोपों का दुर्भावनापूर्ण संयोजन कहा है.
विपक्षी दलों का आरोप है कि अडानी ग्रुप के शेयरों में हालिया मंदी में जनता का पैसा शामिल है क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों जैसे भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने उनमें निवेश किया है. अडानी ग्रुप का कहना है कि उसने कानूनों का पालन किया है.
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